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12 बजे तक भी नहीं आते हैं िचकित्सक

विभागीय उदासीनता. कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा है शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चारपाई पर बैठ कर मरीज कर रहे थे डॉक्टर का इंतजार. अस्पताल के आदेशपाल ने बताया कि डॉक्टर मैडम शनिवार को किशनगंज चली जाती हैं, इसलिए आने में देर होगी. पूर्णिया : शहरी वासियों को उम्दा स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य शहरी […]

विभागीय उदासीनता. कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा है शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

चारपाई पर बैठ कर मरीज कर रहे थे डॉक्टर का इंतजार. अस्पताल के आदेशपाल ने बताया कि डॉक्टर मैडम शनिवार को किशनगंज चली जाती हैं, इसलिए आने में देर होगी.
पूर्णिया : शहरी वासियों को उम्दा स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य शहरी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 2016 में की गयी थी. लेकिन सच तो यह है कि जिन स्थानों पर यह स्वास्थ्य केंद्र अवस्थित है, उसके आसपास के लोग भी इसकी अवस्थिति से वाकिफ नहीं हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां रोजाना कितने मरीज अस्पताल पहुंच रहे होंगे और कितने का सचमुच में इलाज भी हो रहा होगा. सच तो यह है कि शहरी पीएचसी महज दिखावा बन कर रह गया है और कुव्यवस्था के मकड़जाल में उलझा यह केंद्र पूरी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है. सोमवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर के तीन शहरी पीएचसी का जायजा लिया.
अस्पताल में कोई कर्मी नहीं था मौजूद
जनता चौक स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एक बंगलानुमा बिल्डिंग में स्थापित किया गया है. इस समय दोपहर के 12.06 बज रहे थे. बाहर लगभग आधा दर्जन की संख्या में मरीज चारपाई पर बैठ कर अस्पताल खुलने का इंतजार कर रहे थे.
ओपीडी के मुख्य द्वार के पास धूप में कुरसी लगाये वहां के आदेशपाल चिकित्सक के आने का इंतजार कर रहे थे. पूछने पर आदेशपाल ने बताया कि डॉक्टर मैडम शनिवार को किशनगंज चली जाती हैं, इसलिए आने में लेट हो गयी है. इसी बीच पीएचसी में पदस्थापित एएमटी भी पहुंच गये. आते ही आनन-फानन में दवा वितरण कक्ष की कमान संभाल ली. 12.12 बजे के आस-पास अस्पताल में तैनात एएनएम भी पहुंच गयी. 12.15 के आस-पास अस्पताल की प्रभारी डॉक्टर भी अपने कक्ष में प्रवेश कर चुकी थी. इसके बाद ओपीडी का संचालन आरंभ हुआ. गौरतलब है कि ओपीडी का आरंभ होने का समय 12 बजे और समाप्त होने का समय 04 बजे है.
आशा लेकर आयी थी तीन चार मरीज : इस समय दिन के 1.42 बज रहे थे. सिपाही टोला स्थित शहरी पीएचसी में डॉक्टर, एएमटी, एएनएम,सहित तमाम कर्मी मौजूद थे. लेकिन यहां भी सभी बैठकर मरीजों का इंतजार कर रहे थे. यहां भी एक भी मरीज देखने को नहीं मिला.
यहां के एएमटी ने बताया कि यहां भी रोजाना पचास से ज्यादा मरीज आते हैं. लेकिन उसके इस बात में कोई दम नहीं दिखाई दिया. क्योंकि पंद्रह मिनट होने को थे, एक भी मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंचा. हां, अस्पताल से निकलने के क्रम में यहां आशा द्वारा दो महिला एवं तीन चार की संख्या में बच्चे को अस्पताल में लाया गया. जहां डॉक्टर उन्हें देख कर दवा आदि उपलब्ध कराया.
मूल उद्देश्य से भटका अरबन पीएचसी
एनआरएचएम की तर्ज पर भारत सरकार ने एनएएचएम का गठन किया है. जिसके तहत शहरी लोगों में स्वास्थ्य की विस्तारित सुविधा उपलब्ध कराया जा सके. पूर्णिया में भी इसी नीति के तहत पांच अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना 01 फरवरी 2016 को की गयी थी. लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण लोग इस पीएचसी का नाम व पता तक नहीं जान रहे हैं. जिससे यह पीएचसी अपने उद्देश्य से दूर खड़ा नजर आ रहा है. संसाधन तो उपलब्ध कराये गये हैं, लेकिन जागरुकता के अभाव में सरकार की योजना सरजमीं पर नहीं उतर पा रही है. विभागीय इस विफलता का लाभ यहां पदस्थापित कर्मी भी बखूबी उठाते हैं.
इस समय दोपहर के 12.35 बज रहे थे. मधुबनी में भी शहरी पीएचसी को शानदार बंगले में स्थापित किया गया है. इस समय यहां तमाम स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे, लेकिन यहां किसी भी कोने में एक भी मरीज देखने को नहीं मिला.हालांकि अस्पताल प्रबंधन का मानना है कि यहां रोजाना औसतन पचास के आस पास मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. लेकिन अस्पताल में पंद्रह मिनट से भी अधिक समय बिताने के बाद यहां एक भी मरीज देखने को नहीं मिला. हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के सामने वाली नुक्कड़ पर एक मकान में खड़ी महिला से जब अस्पताल के बारे में पूछा गया तो उसने सदर अस्पताल का पता बताया. मरीजों की अनुपस्थिति इस बात का गवाह है कि अधिसंख्य लोगों को शहरी पीएचसी के बारे में जानकारी नहीं है.

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