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शहर को करना था स्वच्छ व व्यवस्थित

शहर को स्वच्छ व व्यवस्थित बनाने के िलए वर्ष 2012 में नगर निगम की सशक्त स्थाई समिति व बोर्ड की बैठकों में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद दोनों योजनाएं चार वर्ष बाद भी प्रस्ताव व अनुमोदन पुस्तिका से बाहर नहीं निकल पायी हैं. पूर्णिया : अपने खुद के प्रस्ताव व प्रस्तावित योजना पर सहमति के […]

शहर को स्वच्छ व व्यवस्थित बनाने के िलए वर्ष 2012 में नगर निगम की सशक्त स्थाई समिति व बोर्ड की बैठकों में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद दोनों योजनाएं चार वर्ष बाद भी प्रस्ताव व अनुमोदन पुस्तिका से बाहर नहीं निकल पायी हैं.
पूर्णिया : अपने खुद के प्रस्ताव व प्रस्तावित योजना पर सहमति के बावजूद नगर निगम जनहित के योजनाओं पर अमल करने में अक्षम साबित हो रहा है. इसका ज्वलंत उदाहरण है कि वर्ष 2012 में नगर निगम की सशक्त स्थाई समिति व बोर्ड की बैठकों में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद वह योजना चार वर्ष बाद भी प्रस्ताव व अनुमोदन पुस्तिका से बाहर नहीं निकल पायी है. यह दीगर बात है कि निगम के पूर्व कार्यकाल के बाद व्यवस्था बदली है, कई नयी योजनाओं का कार्यान्वयन भी हो रहा है, लेकिन बीते कार्यकाल की अवधि में निगम के सशक्त स्थायी समिति के प्रस्तावों पर लगी बोर्ड की मुहर व प्रस्तावित जन हितकारी योजनाओं को लेकर निगम की मंशा स्पष्ट नहीं है. सवाल तो यह भी है कि अगर निगम द्वारा प्रस्तावित योजना को अमल में नहीं लाया गया तो क्यूं नहीं उसे बोर्ड की बैठकों में रद्द कर नयी योजना बनायी गयी.
क्या थी योजना : दरअसल नगर निगम से गुलाबबाग और खुश्कीबाग सफाई कर्मियों को जाने में दिन के 12 बज जाते थे. वहीं सफाई वाहनों के उपयोग के बाद कचरा निष्पादन में भी दूरी बड़ी समस्या थी जो आज भी बरकरार है. अलबत्ता कचरा निष्पादन को लेकर लगातार हुए आंदोलन के बाद गुलाबबाग के बाजार समिति एवं खुश्कीबाग में सफाई कर्मियों एवं कचरा निष्पादन हेतु वाहनों के लिए सेक्टर सेंटर खोलने की योजना बनी थी. मधुबनी और भट्ठा बाजार स्थित सेक्टर को भी विकसित करने की योजना बनायी गयी थी.
शहर में पार्किंग जोन की योजना भी फेल : सफाई सेक्टर के साथ-साथ शहर में वाहनों के लगातार बढ़ते भार और सड़कों पर लगते जाम को देखते हुए शहर में व्यवस्थित पार्किंग जोन बनाने का निर्णय भी निगम की हिलाहवाली की भेंट चढ़ गया. यह योजना भी वर्ष 2011 के दिसंबर में सशक्त स्थायी समिति द्वारा बना और 4 अप्रैल 2012 को बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से पारित भी हो गया. प्रस्तावित व पारित पार्किंग जोन की इस योजना के तहत शहर के नौ जगहों पर पार्किंग जोन बनना था जो सही मायने में शहर को व्यवस्थिति करने एवं वाहन चालकों के लिए राहत के साथ निगम की आमदनी बढ़ाने वाला साबित होता. मगर विडंबना यह रही कि महज खीरू चौक, जिला स्कूल रोड, रजनी चौक रोड एवं कोर्ट स्टेशन के पास ही यह योजना जमीं पर उतरी. वहीं लाइन बाजार में रेडक्रॉस के उत्तर भाग, सदर अस्पताल के नजदीक, मोहन बाबू के पेट्रोल पंप से डिलक्स होटल तक, कालीबाड़ी चौक से चित्रवाणी रोड तक एवं मधुबनी नाका के सामने बनने वाला प्रस्तावित पार्किंग जोन फाइलों में ही रह गया.
सफाई व पार्किंग बनाने की थी योजना
वर्ष 2012 में शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर जन दबाव के बाद शहर के चार जगहों पर सेक्टर खोलने का प्रस्ताव निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक में 8 दिसंबर 2012 को लाया गया था. जिस पर 8 अगस्त 2013 को बोर्ड की बैठक में सहमति भी बनी और इस पर बोर्ड द्वारा संपुष्टि की मुहर भी लगी. इस प्रस्ताव के बाद तब बड़ी धूमधाम से नगर निगम ने गुलाबबाग के सोनौली चौक और खुश्कीबाग में इस योजना को लेकर जनसभा की थी और सफाई अभियान भी चलाया था.
शेड का निर्माण व सफाई निरीक्षक होने थे बहाल : इस योजना के तहत सेक्टर सेंटरों पर शेड का निर्माण कर वहां कचरा निष्पादन हेतु वाहन रखना था. वहीं जरूरत के लिहाज से सफाई कर्मी और एक सफाई निरीक्षक की बहाली के साथ सफाई जमादार की नियुक्ति प्रत्येक सेक्टर सेंटर पर करना तय किया गया था. इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए शेड निर्माण की राशि 13 वीं वित्त योजना से खर्च होनी थी. लेकिन निगम के जन पक्षीय योजना के प्रति संवेदनशीलता के अभाव का ही परिणाम है कि 4 वर्ष बाद भी योजना पुस्तिका से बाहर नहीं निकल पायी है.

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