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शहर के अल्ट्रासाउंड सेंटर छीन रहे बेटियों की किलकारियां
पूर्णिया : गर्भ में ही बेटियों की मौत मुकर्रर करने का सिलसिला लाइन बाजार में वर्षों से जारी है. यहां चल रहे लगभग पांच दर्जन से अधिक मानकविहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर बेटियों के जान के दुश्मन बनकर उसके जन्म से पूर्व व जन्म के बाद रोजाना हत्या की पटकथा लिखते हैं. इसके बाद यहां के वैध […]
पूर्णिया : गर्भ में ही बेटियों की मौत मुकर्रर करने का सिलसिला लाइन बाजार में वर्षों से जारी है. यहां चल रहे लगभग पांच दर्जन से अधिक मानकविहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर बेटियों के जान के दुश्मन बनकर उसके जन्म से पूर्व व जन्म के बाद रोजाना हत्या की पटकथा लिखते हैं. इसके बाद यहां के वैध अवैध प्रसव गृह में बेटियों के किलकारियों को गुम करने का खेल शुरू होता है. इसके कई उदाहरण भी हैं. विभाग व प्रशासन ऐसे मानकविहीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों व वैध अवैध प्रसव गृहों पर विभाग कार्रवाई तो करती है,लेकिन यह कार्रवाई महज लूट-खसोट के लिए की जाती रही है.
किलकारियों को गुम करने का कारोबार : शहर में चल रहे मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर जांच के के लिए कम भ्रूणहत्या को बढ़ावा देने के लिए शुरू से ही काफी चर्चित रहा है. भ्रूण व नवजात हत्या मामले में पोर्टेबल मशीन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है.
ऐसे मामलों में सबसे पहले इन्हीं पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन वालों से लोग संपर्क करते हैं. उसके बाद घर या निर्धारित स्थान पर चोरी छिपे लिंग परीक्षण किया जाता है. जानकार बताते हैं कि लिंग निर्धारण के बाद वैसे प्रसव गृह से संपर्क करते हैं,जहां गुपचुप तरीके से गर्भपात व प्रसव कराये जाते हैं. भ्रूण व नवजात को कुत्ते व कौवे के खाने के लिए छोड़ देते हैं. लाइन बाजार में पोस्टमार्टम रोड, बिहार टॉकिज रोड, शिव मंदिर रोड, अस्पताल गेट के इर्द-गिर्द कई वैध एवं अवैध प्रसव गृह व अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हो रहे हैं. इन सेंटरों का सीधा कनेक्शन अल्ट्रासाउंड सेंटरों के संचालको से होता है. जानकारों के अनुसार यहां गर्भपात एवं प्रसव हेतु आने वाले प्रसूता का लिंग निर्धारण बड़ा ही गुप्त तरीके से किया जाता है.
दलाल भी सक्रिय : जानकारों की मानें तो मेडिकल हब का मुख्य आधार स्तंभ बिचौलिये हैं.
जहां जितना अधिक कमीशन,वहां उतना मरीजों की भीड़ लगती है. बिचौलियों की भूमिका किसी डॉक्टर या सेंटर को चमकाने में अहम होती है. लिंग निर्धारण के कारोबार में भी इन बिचौलियों की ही चलती है. गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने के इच्छुक लोग सबसे पहले बिचौलियों से ही संपर्क करते हैं. इसके बाद बिचौलिये उन्हें संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर में ले जाकर बड़ी ही सावधानी एवं गोपनीय तरीके से लिंग बता कर वापस घर भेज देता है. लाइन बाजार में ऐसे बिचौलियों की भरमार देखने को मिलती है.
पीएनडीटी एक्ट के तहत सजा व दण्ड का प्रावधान : जांच के समय एफ फार्म भरा जाना चाहिए, जिसे प्रत्येक माह की पांच तारीख तक सीएमओ कार्यालय में जमा कराना होता है. उस फार्म में जांच कराने वाले का नाम,पता, उम्र,फोन नंबर,बच्चों की संख्या एवं लिंग नहीं जांच करने का आश्वासन डॉक्टर द्वारा दिया जाता है. एफ फार्म को निर्धारित तारीख तक जमा नहीं करने पर पीएनडीटी एक्ट के अनुच्छेद के तहत तीन माह की सजा एवं दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. एक्ट के तहत जांच सेंटर में जांच के समय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षित तकनीशियन,शौचालय,निर्धारित दर तालिका,चिकित्सक का नाम व योग्यता बोर्ड,पीसी, पीएनडीटी एक्ट पुस्तिका एवं जांच कराने का संधारण पंजी होना आवश्यक है.
लूट खसोट के लिए होती है कार्रवाई : अवैध प्रसवगृहों व मानक विहीन पैथोलॉजी पर नकेल डालने के उद्देश्य से विभाग ने इसी माह लगभग डेढ़ दर्जन सेंटरों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद सभी सेंटरों को वैधता प्रमाणपत्र की मांग की गयी थी. इसके बाद कार्रवाई तय करनी थी. लेकिन छापेमारी के बाद से अब तक विभाग के द्वारा इन धंधेबाजों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जानकारों की माने तो जब जब कोई विभागीय कार्रवाई होती है,तब तब ऐसे संचालकों के द्वारा चढ़ावा चढ़ा दिया जाता है. इसके बाद सब
कार्य पूर्ववत जारी रहता है. यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा है.
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