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निबंधन के रास्ते निजी संस्थानों पर आसान नहीं है नियंत्रण

दायरे में नहीं आये निजी शिक्षण संस्थान, तो एक लाख तक जुर्माना 10 से अधिक छात्र वाले शिक्षण संस्थान का निबंधन अनिवार्य पूर्णिया : निजी शिक्षण संस्थानों के निबंधन को लेकर जहां शिक्षा विभाग ने समयसीमा निर्धारित कर दी है, वहीं इन संस्थानों पर नियंत्रण की राह अभी भी मुश्किल नजर आ रही है. हालांकि […]

दायरे में नहीं आये निजी शिक्षण संस्थान, तो एक लाख तक जुर्माना

10 से अधिक छात्र वाले शिक्षण संस्थान का निबंधन अनिवार्य
पूर्णिया : निजी शिक्षण संस्थानों के निबंधन को लेकर जहां शिक्षा विभाग ने समयसीमा निर्धारित कर दी है, वहीं इन संस्थानों पर नियंत्रण की राह अभी भी मुश्किल नजर आ रही है. हालांकि विभागीय प्रावधानों के अनुसार निजी स्कूल व कोचिंग संस्थानों का निबंधन नहीं कराने की स्थिति में एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. बिहार कोचिंग रेगुलेशन एक्ट 2010 के अनुसार वैसे सभी निजी शिक्षण संस्थानों के लिए निबंधन अनिवार्य है, जहां 10 से अधिक छात्र अध्ययन करते हैं. निबंधन प्राप्त करने के लिए इसके कुछ मापदंड भी तैयार किये गये हैं, जिसका अनुपालन करने पर ही संस्थान को निबंधन निर्गत किया जाना है.
लेकिन आलम यह है कि अब तक जिन 319 निजी स्कूल अथवा 138 निजी कोचिंग संस्थानों ने निबंधन के लिए आवेदन किया है, प्रावधानों से उनमें से अधिकतर का दूर-दूर तक वास्ता नहीं है. यहां तक कि इनमें से निबंधित 104 निजी स्कूलों में से भी अधिकतर मानकों के मामले में फिसड्डी हैं. इसके अलावा बिना आवेदन के भी सैकड़ों की संख्या में शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि इसकी मूल वजह यह रही है कि जिला शिक्षा विभाग कभी भी इन मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं रहा है.
हजारों की संख्या में हैं निजी स्कूल व कोचिंग
जानकार बताते हैं कि एक ओर जहां निजी शिक्षण संस्थान के नियंत्रण को लेकर जिला शिक्षा महकमा उदासीन रहा है, तो वही दूसरी ओर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक हर गली और मुहल्ले में शिक्षण संस्थान अपने पांव पसार रहे हैं. शिक्षा का सौदा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सबसे अधिक बेहतर और कम जोखिम का सौदा नजर आता है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में हर रोज पांव रखने वालों की संख्या बढ़ रही है. अकेले शहर में ही करीब 800 से अधिक कोचिंग संस्थानों का संचालन हो रहा है. जबकि निजी स्कूलों की तादाद भी 200 के पार है. जबकि जिले में कोचिंग संस्थानों का आंकड़ा 05 हजार तथा स्कूलों की संख्या भी 01 हजार के पार है. समस्या यह है कि इनमें से अधिक शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के लिए निर्धारित मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा पढ़ाने वाले शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता अथवा अनुभव भी कोई मायने नहीं रखता है.
कोचिंग के लिए अनिवार्य है मूलभूत सुविधाएं
इस एक्ट का मूल उद्देश्य कोचिंग को कानून के दायरे में लाना तथा यहां अध्ययनरत छात्रों व उनके अभिभावकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है. एक्ट के अनुसार पहली अनिवार्यता छात्र-छात्राओं की संख्या के विरुद्ध वर्गकक्ष की व्यवस्था और आकार का है. इसके अलावा कोचिंग संस्थानों में शुद्ध पेयजल सहित पुरुष व महिला के लिए अलग-अलग शौचायल, कॉमन रूम, साइकिल अथवा अन्य वाहनों के लिए पार्किंग स्थल आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी है. कोचिंग संस्थानों के लिए अपना प्रोसपेक्टस होना भी अनिवार्य है. जिसमें संस्थान को कोचिंग फीस और कोर्स की पूरी जानकारी भी देनी होती है. लेकिन एकआध कोचिंग संस्थानों को छोड़ इसका अनुपालन कहीं भी नहीं हो रहा है. अगर इसकी जांच हो तो कई फंस सकते हैं.
डीएम की अध्यक्षता में गठित हुई निगरानी समिति
कोचिंग संस्थानों की निगरानी को लेकर वर्ष 2012-13 में तत्कालीन जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा द्वारा कोचिंग रेगुलेशन एक्ट 2010 के प्रावधानों के अनुसार निगरानी समिति का गठन किया गया था. जिसमें जिलाधिकारी समिति के अध्यक्ष, पुलिस अधीक्षक उपाध्यक्ष व जिला शिक्षा पदाधिकारी सदस्य सचिव बनाये गये. इसके अलावा समिति में संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य के रूप में महिला कॉलेज के प्राचार्य को सदस्य मनोनीत किया गया. लेकिन समस्या यह है कि समिति गठन के कुछ दिनों बाद ही श्री वर्मा का स्थानांतरण हो गया, जिसके बाद से समिति की एक भी बैठक नहीं हुई. इसके अलावा रोटेशन पॉलिसी के तहत जो संबद्ध कॉलेज के प्राचार्य को बतौर सदस्य बदलना था, वह भी नहीं बदला गया है.
25 हजार से एक लाख तक जुर्माना का है प्रावधान : कोचिंग संस्थानों के निबंधन के मामले में 25 हजार रुपये से 01 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान बिहार कोचिंग रेगुलेशन एक्ट 2010 में किया गया है. प्रावधान के अनुसार निगरानी समिति को नियमित तौर पर संस्थानों की जांच करनी है. जिसमें पहली बार मानकों का उल्लंघन पाये जाने अथवा बिना निबंधन संचालन पर 25 हजार रुपये के जुर्माना का प्रावधान है. वही दूसरी बार दोषी साबित होने पर 01 लाख रुपये का जुर्माना किया जाना है. जबकि तीसरी बार संस्थान दोषी पाया गया तो उसे सदा के लिए बंद करने का प्रावधान किया गया है.

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