जनप्रतिनिधियों में स्वच्छता के प्रति समर्पण भाव की कमी के कारण यह समस्या सवालों को जन्म दे रही है.
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दो वर्ष बाद भी नहीं हो रहा डोर टू डोर कचरे का उठाव
जनप्रतिनिधियों में स्वच्छता के प्रति समर्पण भाव की कमी के कारण यह समस्या सवालों को जन्म दे रही है. पूर्णिया : शहर में बढ़ती आबादी और स्वच्छता को लेकर शहर को स्वच्छ बनाने के मिशन के तहत नगर निगम की बनी योजना ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. दो वर्ष पूर्व 2014 और 2015 में […]
पूर्णिया : शहर में बढ़ती आबादी और स्वच्छता को लेकर शहर को स्वच्छ बनाने के मिशन के तहत नगर निगम की बनी योजना ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. दो वर्ष पूर्व 2014 और 2015 में शहर को स्वच्छ बनाने को लेकर डोर टू डोर कचरा निष्पादन और तीन जोन में शहर को बांट कर सफाई अभियान चलाने की योजना दो वर्ष बाद भी सपना बना हुआ है. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि निगम द्वारा स्वच्छता और कचरा निष्पादन को लेकर हाल के दिनों में कोई कदम नहीं उठाये गये हैं. लेकिन डोर टू डोर कचरा निष्पादन का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहना सवालों के घेरे में है.
अतिरिक्त बजट, कड़ी मशक्कत फिर भी सवाल : बेशक नगर निगम शहर को स्वच्छ बनाने की कवायद में जुटा है. अतिरिक्त सफाई कर्मी, अतिरिक्त वाहन के साथ निगम के कर्मचारी, सफाई कर्मी और एनजीओ द्वारा लगातार कवायद जारी है, लेकिन स्वच्छता को लेकर आम आदमी में जागरूकता का अभाव और जनप्रतिनिधियों में स्वच्छता के प्रति समर्पण भाव की कमी के कारण यह समस्या सवालों को जन्म दे रही है.
हुई होती पहल, तो बदल गयी होती सूरत
विडंबना तो यह है कि स्वच्छता मिशन के तहत योजना तो बनी लेकिन इसके कार्यान्वयन और इसे मूर्त रूप में लाकर धरातल पर उतारने के दिशा में कोई पहल नहीं हो पायी.
अगर दो वर्ष पूर्व बनी इस योजना पर पहल हुआ होता और पूर्ण रुपेण यह योजना शहर में उतरी होती तो आज न तो कोई सवाल होता न ही कोई बहस होती. दीपावली और छठ के समय में शहर में स्वच्छता अभियान चलाया गया तो उसका असर भी देखा गया. लेकिन एक बार फिर निगम इलाके में गंदगी की समस्या बढ़ती नजर आ रही है.
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