गुलाबबाग मंडी. एकजुट हुए व्यवसायी, बदहाली के खिलाफ बाजार बंद
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पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित
गुलाबबाग मंडी. एकजुट हुए व्यवसायी, बदहाली के खिलाफ बाजार बंद गुलाबबाग मंडी में व्याप्त कुव्यवस्था व समस्याओं को लेकर व्यवसायियों का आक्रोश बुधवार को फूट पड़ा. व्यापािरयों ने अपने-अपने काम बंद रखे. व्यावसाियक मंडी में काम बंद रहने के कारण पांच करोड़ का कारोबार प्रभािवत हुआ. पूर्णिया : गुलाबबाग मंडी की बदहाली के खिलाफ आंदोलन […]
गुलाबबाग मंडी में व्याप्त कुव्यवस्था व समस्याओं को लेकर व्यवसायियों का आक्रोश बुधवार को फूट पड़ा. व्यापािरयों ने अपने-अपने काम बंद रखे. व्यावसाियक मंडी में काम बंद रहने के कारण पांच करोड़ का कारोबार प्रभािवत हुआ.
पूर्णिया : गुलाबबाग मंडी की बदहाली के खिलाफ आंदोलन के पहले चरण में बुधवार को स्थानीय व्यवसायियों ने अपने व्यापार को तीन घंटे तक बंद रखा और बाद में जिला पदाधिकारी से मिल कर ज्ञापन सौंपा. तीन घंटे कारोबार बंद रहने से मंडी का मोटे अनुमान के तौर पर पांच करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ.
कोसी और सीमांचल के कोने-कोने से आये किसानों को अपना अनाज बेचने के लिए दोपहर तक का इंतजार करना पड़ा. पिछले दो दशक में यह पहला मौका था कि मंडी के कारोबारी एक साथ सड़क पर उतरे थे और स्वत: स्फूर्त संपूर्ण मंडी तीन घंटे तक बंद रही. इस दौरान व्यवसायी महासंघ कार्यालय से व्यवसायियों की एक रैली निकली और डीएम कार्यालय पहुंचा जहां व्यवसायियों ने डीएम पंकज कुमार पाल व पुलिस कप्तान निशांत कुमार तिवारी को अपनी मांगों से संबंधित मांग पत्र सौंपा. अपने आंदोलन के पहले दिन व्यवसायियों ने डीएम पंकज कुमार पाल, कृषि उत्पादन बाजार समिति (विघटित)के नोडल पदाधिकारी सह सदर एसडीएम रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह के अलावा स्थानीय सांसद संतोष कुशवाहा के कार्यालय पहुंच मांग पत्र सौंपा.
नारकीय है मंडी की स्थिति : स्थिति यह है कि एक तरफ मंडी के भवनों की हालत जर्जर है वहीं सड़कें गड्ढे में तब्दील हो चुकी है. हर तरफ कचरे का दुर्गंध फैला हुआ है. पीने के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है. मंडी की नारकीय स्थिति के कारण मंडी आने वाले तकरीबन तीस प्रतिशत किसान व खरीदार बंगाल के मंडियों में पलायन कर रहे हैं. जिसके कारण व्यवसायियों में मंडी के उजड़ने का भय बना हुआ है. दरअसल 01 अक्तूबर के बैठक में ही व्यवसायियों ने करो या मरो की रणनीति तय कर लिया था. बुधवार को यही वजह रही कि व्यवसायियों के तेवर तल्ख थे.
डीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल : बुधवार को व्यावसायिक मंडी का नजारा बदला-बदला था. व्यवसायियों के तौर-तरीके भी बदले हुए थे. दुकानें बंद रखने के बाद प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल से मिलने समाहरणालय पहुंचा. शिष्टमंडल में महासंघ अध्यक्ष बबलू चौधरी, उपाध्यक्ष रूपेश डुंगरवाल, सचिव वीरेंद्र जैन, मुकेश जायसवाल और पप्पू यादव शामिल थे. जिला पदाधिकारी श्री पाल ने समस्याओं को गंभीरतापूर्वक सुनने के बाद समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया. श्री पाल ने कहा कि कृषि विभाग के प्रधान सचिव से बात कर मामले के समाधान का प्रयास किया जायेगा. प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने बताया कि डीएम ने माना कि मांगें जायज हैं, लिहाजा समाधान होना ही चाहिए.
व्यवसायियों को मिला मजदूर व किसानों का भी साथ मंडी में तीन घंटे तक रही स्वत: स्फूर्त बंदी
व्यवसायियों के आंदोलन को मजदूर संगठन और किसानों का भी साथ मिला. बुधवार को मंडी के मजदूरों एवं किसानों ने भी सुर में सुर मिलाया और अपना-अपना काम बंद रखा. मंडी में कार्यरत मजदूरों का कहना था कि कचरों और जल जमाव के बीच माथे पर बोरा ढोते वक्त परेशानी का सामना करना पड़ता है. गंदे पानी के बीच गड़े चापाकल का गंदा पानी पीकर बीमार होने से आंदोलन अच्छा है. वहीं मंडी पहुंचे किसान मो शब्बीर ने बताया कि गड्ढों में अनाज लदी गाड़ियां पलटती है, अनाज खराब होता है. ऐसे में आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है.
वायदे पूरे नहीं किये जाने से उपजा है आक्रोश
दरअसल व्यवसायियों का आक्रोश शासन व प्रशासन की ओर से मंडी के जीर्णोद्धार के वायदे को पूरा नहीं किये जाने से पनपा है. वर्ष 2006 में कृषि उत्पादन बाजार समिति के विघटन के बाद से न तो सड़कें बनी और न ही नाला बना है. मंडी के कारोबारियों ने महासंघ का गठन कर वर्ष 2013 में कृषि मंत्री को मंडी में बुला कर समस्या से अवगत कराया था. कई दफा स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि व मुख्यमंत्री को आवेदन सौंपा लेकिन कोई पहल नहीं हुई. मंडी के लिए बने प्रोजेक्ट रिपोर्ट तथा आवंटित सड़क निर्माण की राशि पर भी ठोस पहल नहीं होने से कारोबारी आक्रोशित हैं.
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