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वार्ता के बाद करेंगे आर्थिक नाकेबंदी
पूर्णिया : गुलाबबाग में नो इंट्री का मसला अब गरमाता जा रहा है. गुरुवार को देर रात व्यवसायियों की दूसरी बैठक हुई. इस बैठक में तकरीबन सौ से अधिक व्यवसायी शामिल थे. तकरीबन दो घंटे के विचार विमर्श के बाद बैठक में शामिल व्यवसायियों ने कई निर्णयों पर मुहर लगायी और उसे अमलीजामा पहनाने की […]
पूर्णिया : गुलाबबाग में नो इंट्री का मसला अब गरमाता जा रहा है. गुरुवार को देर रात व्यवसायियों की दूसरी बैठक हुई. इस बैठक में तकरीबन सौ से अधिक व्यवसायी शामिल थे. तकरीबन दो घंटे के विचार विमर्श के बाद बैठक में शामिल व्यवसायियों ने कई निर्णयों पर मुहर लगायी और उसे अमलीजामा पहनाने की कवायद भी आरंभ कर दी. बैठक में सबसे अहम निर्णय यह लिया गया कि नो इंट्री से परेशान व्यवसायी किसी भी जनप्रतिनिधि से कोई गुहार नहीं लगायेंगे तथा अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे. उपलब्ध जानकारी के अनुसार शनिवार को कारोबारियों का एक शिष्ट मंडल पुलिस कप्तान से मिलेगा और अपनी समस्याओं से अवगत करायेगा. इसके बाद प्रमंडल स्तर के पदाधिकारियों को भी आवेदन सौंपा जायेगा. इसके बावजूद अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हड़ताल से लेकर आर्थिक नाकेबंदी पर अमल किया जायेगा.
मिल रहा है समर्थन : लगातार चार दिनों के जन संपर्क के बाद कारोबारियों की रणनीति पर दूसरे व्यवसायिक संगठनों तथा सामाजिक एवं किसान संगठनों का समर्थन भी मिलना आरंभ हो गया है. हालांकि व्यवसायी फिलहाल अधिकारियों से वार्ता को लेकर कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं, ताकि उन पर कोई उंगली नहीं उठ सके. वहीं दूसरी तरफ व्यापार और कारोबार के सवाल पर अंदर ही अंदर आंदोलन की तैयारी भी आरंभ हो गयी है. इस आंदोलन को बड़ा बनाने के लिए कारोबारी और किसानों से जुड़ी समस्याओं को भी मुद्दा बनाया जा सकता है.
सड़क से लेकर नाकेबंदी तक का निर्णय : कारोबारियों के द्वारा बैठक में बनी रणनीति अगर अपने स्वरूप में लागू हुई तो आर्थिक बाजार गुलाबबाग और कृषि मंडी के कारोबार पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. फलाफल यह होगा कि बैंकों का टर्न ओवर, सरकारी राजस्व के साथ कृषि कार्य पर भी इसका खासा असर पड़ेगा.
व्यापारियों और दुकानदारों के अनुसार नो इंट्री के कारण तकरीबन दो सौ से अधिक दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं. इसके अलावा उन दुकानों से जुड़े सैकड़ों मजदूर के परिवार भी अब रोजी-रोटी की समस्या से जूझने लगे हैं. नो इंट्री के कारण दुकानों तक खरीदार नहीं आते और दुकान खुलती तो है, लेकिन बिक्री नदारद है. ऐसे में रोजगार के साथ-साथ परिवार भी प्रभावित हो रहा है. एक तरफ कारोबार ठप पड़ा है वहीं दूसरी तरफ त्योहार सिर पर खड़ा है.
ऐसे में कारोबारी अपने रोजगार को लेकर चिंतित हैं. जाहिर है अब उन्हें आंदोलन में ही अपना भविष्य नजर आ रहा है. हालत जो दिख रहे हैं उसमें कारोबारियों एवं दुकानदारों के समक्ष करो या मरो की स्थिति बनी हुई है. वह इसलिए कि इस रूट में जहां दो सौ से अधिक दुकानें हैं वहीं दर्जनों गोदाम भी हैं. इसमें खाद, बीज, छड़, सीमेंट, भवन निर्माण सामग्री, किराना, कॉस्मेटिक, दाल, तेल एवं अनाज का भंडारण कर कारोबारी अपना कारोबार करते हैं. सामने दशहरा तथा दीपावली का त्योहार है और नो इंट्री के कारण गाड़ियों पर प्रतिबंध से कारोबार ठप है. महाजन तगादा कर रहा है और बिक्री नदारद, ऐसे में परेशान कारोबारियों के समक्ष दूसरा कोई रास्ता नहीं है.
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