पूर्णिया : सदर अस्पताल की एक नहीं कई महत्वपूर्ण सेवाएं लंबे समय से बाधित है. इन सेवाओं में आइसीयू,डाइलीसिस,ऑपरेशन आदि महत्वपूर्ण सेवा शामिल है, जिससे इलाज हेतु आने वाले सांस,हृदय,गुर्दा रोग सहित तमाम रोगों का इलाज मुश्किल हो गया है.ऐसे रोगियों को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. गरीब मरीजों को ऐसी स्थिति में बाहर का रास्ता दिखाया जाता है, जो उसके लिए आर्थिक संकट के रुप में सामने आता है. अस्पताल प्रशासन इन सेवाओं को चालू करने को लेकर उदासीन बना हुआ है.
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कई महत्वपूर्ण सेवाएं लंबे समय से यहां बाधित, मरीज हलकान
पूर्णिया : सदर अस्पताल की एक नहीं कई महत्वपूर्ण सेवाएं लंबे समय से बाधित है. इन सेवाओं में आइसीयू,डाइलीसिस,ऑपरेशन आदि महत्वपूर्ण सेवा शामिल है, जिससे इलाज हेतु आने वाले सांस,हृदय,गुर्दा रोग सहित तमाम रोगों का इलाज मुश्किल हो गया है.ऐसे रोगियों को इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. गरीब मरीजों को […]
आइसीयू भी मांग रही है जीवनदान
सदर अस्पताल में वर्ष 2012 में सभी सुविधा से युक्त आइसीयू की स्थापना की गयी. विडंबना यह है कि इस वार्ड में संबंधित बीमारी के रोगी को कभी भरती किया ही नहीं गया. जबकि सदर अस्पताल में रोजाना एक से दो आइसीयू के मरीज इलाज हेतु यहां पहुंचते हैं.इन मरीजों को आइसीयू में भरती नहीं करके सीधे हाइयर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.पूरे संसाधन के बावजूद मरीजों का इलाज सदर अस्पताल के आइसीयू में नहीं होने से अब इसके औचित्य पर ही सवाल उठने लगा है.
डाइलीसिस यूनिट जोह रही उद्धारक की बाट
करोड़ों की लागत से तैयार डाइलीसिस सेवा शुरुआती दिनों में सेवा तो दिया. लेकिन जल्द ही बारी-बारी से तमाम यूनिट खराब हो गयी. अमूमन एक साल से यह सेवा बंद पड़ी हुई है. यहां रोजाना औसतन दो से तीन मरीज डाइलीसिस के लिए पहुंचते हैं.किंतु मशीने खराब होने से तमाम मरीजों को बाहर से डाइलीसिस सेवा लेना मजबूरी बनी हुई है. जानकार तो यहां तक बताते हैं कि एक मशीन पूरी तरह बरबाद हो चुका है. शेष दो मशीन महीनों से खराब पड़ा हुआ है. जिसके मरम्मत के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.लिहाजा गरीब मरीजों को डाइलीसिस के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
ऑपरेशन सेवा भी है बंद
पूर्व में सदर अस्पताल में हर्निया, हाइड्रोसिल,अपेंडिक्स,गर्भाशय आदि का ऑपरेशन नि:शुल्क होता था. जिससे गरीब मरीजों को काफी राहत मिलती थी. इन ऑपरेशन के लिए लेप्रोस्कोपिक मशीनों की खरीद की गयी थी. शुरुआती दिनों में ऑपरेशन का सिलसिला जोर शोर से चला. किंतु पिछले कुछ समय से ऑपरेशन नहीं के बराबर हो रहा है.जानकार यहां तक बताते हैं कि यहां अब बंध्याकरण ऑपरेशन के अलाबा कुछ नहीं हो रहा है.
ऐसा नहीं है कि सदर अस्पताल में अच्छे सर्जन पदस्थापित नहीं हैं, बावजूद ऑपरेशन सेवा का बंद रहना लोगों के गले नहीं उतर रहा है. इन सेवाओं को शुरु कराने को लेकर अस्पताल प्रशासन की कोई दिलचस्पी ही नहीं दिख रही है.लिहाजा संसाधन के बावजूद यहां के मरीज दर-दर की ठोकर खाने को विवश हैं.
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