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डेंगू की दस्तक से सीमांचल में सनसनी

दहशत. पूिर्णया में अब तक तीन डेंगू मरीजों की हो चुकी है पहचान, आंकड़े बढ़ने के आसार िजले में डेंगू की दस्तक के साथ ही लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है. अब तक िजले में तीन डेंगू मरीजों की पहचान हो चुकी है. यह संख्या और भी बढ़ने के आसार हैं. यहां यह बता […]

दहशत. पूिर्णया में अब तक तीन डेंगू मरीजों की हो चुकी है पहचान, आंकड़े बढ़ने के आसार

िजले में डेंगू की दस्तक के साथ ही लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है. अब तक िजले में तीन डेंगू मरीजों की पहचान हो चुकी है. यह संख्या और भी बढ़ने के आसार हैं. यहां यह बता दें िक त्योहारी मौसम शुरू होने के साथ ही डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़ने लगती है.
पूर्णिया : सीमांचल में डेंगू ने दस्तक दे दी है, यह स्पष्ट हो चुका है. अब तक कुल तीन मरीजों की पहचान हो चुकी है.त्योहारों के मौसम में यह संख्या और भी बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि लोगों का परदेश से घर वापसी का सिलसिला शीघ्र ही बकरीद और दशहरा के मद्देनजर आरंभ हो जायेगा. ऐसे लोग साथ में डेंगू के वायरस भी साथ लेकर आ सकते हैं. ऐसे में बाहर से आने वाले संभावित लोगों की जांच के साथ साथ सावधानी से डेंगू के खतरे से काफी हद तक टाला जा सकता है. सावधानी ही यहां इस रोग का बचाव है, क्योंकि इस इलाके में डेंगू से लड़ने के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है.
त्योहारी मौसम शुरू
इसी माह से त्योहारी मौसम आरंभ हो गया है. त्योहार की शुरूआत 12 सितंबर को बकरीद के साथ हो रही है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में दशहरा पर्व परवान पर होगा और उसके बाद त्योहारों का तो सिलसिला ही जारी रहेगा. ऐसे में त्योहार के इस मौसम में परदेस से लौटने वाले लोगों की संख्या में बढोतरी भी हो सकती है. ऐसे लोग परदेस से सौगात में डेंगू भी ला सकते हैं. पिछले वर्ष अगस्त से सितंबर माह में डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या 13 पहुंची गयी थी. ऐसे में अब जबकि 03 मरीजों की पहचान हो चुकी है और त्योहारी मौसम का पूरी तरह से आगाज नहीं हुआ है, आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती है.
नहीं है डेंगू से लड़ने की मुकम्मल व्यवस्था : डेंगू की भले ही सीमांचल में कहर बरपाने की व्यापक तैयारी हो, ठीक उसके विपरीत सीमांचल के किसी भी अस्पताल में इस गंभीर रोग से मुकाबले की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पताल जो पूरे सीमांचल की उम्मीद मानी जाती है, डेंगू के लिए संक्रमण वार्ड में मात्र एक कमरे में वार्ड बनाया गया है. इसमें चार बेड की व्यवस्था की गयी है. डेंगू की गंभीरता को देखते हुए यह प्रबंध नाकाफी है.
डेंगू प्रभावित मरीजों को प्लेटलेट की संख्या घटने पर प्लेटलेट देने की आवश्यकता होती है. लेकिन चिंता की बात यह है कि सदर अस्पताल में प्लेटलेट्स की व्यवस्था नहीं है. स्थानीय रेडक्रॉस सोसाइटी में ब्लड सेपरेटर लगाने की योजना कई वर्षों से लंबित पड़ी हुई है. रेड क्रॉस के इस ढुल मुल रवैये से डेंगू मरीजों की जान हमेशा सांसत में रहती है. ऐसे में यहां के मरीजों को पटना रेफर किया जाता है.
ब्लड सेपरेटर लगाया जायेगा, ताकि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स सहजता से उपलब्ध हो जाये और मरीजों को बाहर जाने की नौबत नहीं आये. इस बाबत विभाग के स्तर पर प्रयास जारी है.
डॉ एमएम वसीम,सिविल सर्जन ,सदर अस्पताल,पूर्णिया
सावधानी से ही हो सकता है बचाव
चूंकि सीमांचल में डेंगू होने के बाद इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, लिहाजा सावधानी ही इसका एकमात्र बचाव हो जाता है. बेसिन, सिंक, नालियां जहां भी धुलाई-सफाई का काम होता है, उन जगहों को साफ व सूखा रखना चाहिए. कई दिनों तक किसी भी बर्तन में पानी भरकर नहीं रखना चाहिए. एक हफ्ते के भीतर उसे बदलते रहें. खराब हो चुकी वस्तुओं जैसे टायर, नारियल के खोल, बोतलें आदि को फेंक देना चाहिए. छत, छज्जे आदि पर भी बरसात का पानी जमा न होने दें और मच्छर मारने की दवाओं का प्रयोग लगातार करें. डेंगू संक्रमित मच्छर दिन के वक्त अधिक काटता है, इसलिए अच्छा हो कि आप दिन के समय नमी वाली जगहों पर न जायें और पूरे शरीर को ढंकने वाले वस्त्र पहनें.
एडिज एजिप्टी है डेंगू का वाहक
डेंगू एडिज एजिप्टी मादा मच्छर के काटने से होता है. डॉक्टरों के अनुसार मरीज में अचानक प्लाज्मा लीकेज होने से समस्या हो सकती है. इसलिए ज़्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही होनी चाहिए. सबसे ज्यादा खतरा बीमारी के तीसरे से सांतवें दिन होता है. यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है.
प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है.ऐसे में व्यक्ति में पेट में दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाईपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर, जैसे कि मानसिक भटकाव वाले लक्षण देखे जाते हैं. इसमें हमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत होता है कि प्लाज्मा लीकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा को दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद आवश्यक हो गया है.

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