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विरोध. देशव्यापी आंदोलन के तहत रेडियोलॉजिस्ट की एक दिवसीय हड़ताल एक दिवसीय हड़ताल के आह्वान पर शहर के जांच घर बंद रहने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. मरीज िबना जांच कराये ही लौट गये. पूर्णिया : एनडीटी एक्ट के दुरुपयोग के विरोध में पूरे देश के तमाम रेडियोलॉजिस्ट गुरुवार को एक दिवसीय […]

विरोध. देशव्यापी आंदोलन के तहत रेडियोलॉजिस्ट की एक दिवसीय हड़ताल

एक दिवसीय हड़ताल के आह्वान पर शहर के जांच घर बंद रहने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. मरीज िबना जांच कराये ही लौट गये.
पूर्णिया : एनडीटी एक्ट के दुरुपयोग के विरोध में पूरे देश के तमाम रेडियोलॉजिस्ट गुरुवार को एक दिवसीय हड़ताल पर रहे. इस देशव्यापी आंदोलन के तहत शहर के तमाम डायग्नोस्टिक सेंटर बंद रहे. इस वजह से सैकड़ों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा और बिना अल्ट्रासाउंड कराये ही वापस लौटना पड़ा. हड़ताल पर गये तमाम रेडियोलॉजिस्टों ने बताया इस एक्ट की वजह से सभी रेडियोलॉजिस्ट के ऊपर अनावश्यक रूप से एफ-फॉर्म को भरने और सेंटर पर कई अनावश्यक जिम्मेदारी डाली जा रही है. जिसमें हल्की सी चूक होने पर भी रेडियोलॉजिस्ट को कड़े दंड का शिकार होना पड़ेगा.
रेडियोलॉजिस्टों ने बताया कि दूसरों की गलती का खामियाजा रेडियोलॉजिस्टों को भुगतना पड़ रहा है. अनावश्यक रूप से एफ-फॉर्म के जरिये रेडियोलॉजिस्ट को परेशान करने की कोशिश की जा रही है. इस मुद्दे पर देश के सभी रेडियोलॉजिस्ट इस व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हैं. कहा कि उन्हें गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड परीक्षण के अलावा भी कई जांच जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआइ, मैमोग्राफी आदि करने होते हैं.
रेडियोलॉजिस्टों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए बताया कि बिहार जैसे प्रदेश में सरकार की ढुलमुल नीति की वजह से गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड परीक्षण अवैध तरीके से रेडियोलॉजिस्ट के अलावा अन्य लोग ही करते हैं. फॉर्म भरने में चूक तो ईमानदार चिकित्सक से भी हो सकती है. इस एक्ट के गलत इस्तेमाल के विरोध में पूर्णिया के सभी रेडियोलॉजिस्ट आज हड़ताल चले गये. दिन भर दूर-दराज से आये मरीज रेडियोलॉजी सेंटर के बंद रहने से परेशान रहे. ऐसे में अधिकांश लोगों को बिना जांच की औपचारिकता पूरा किये अपने गांव वापस लौटना पड़ा.
नये एक्ट से डॉक्टरों को होगी परेशानी
भ्रूण परीक्षण और लिंग निर्धारण में लिप्त दोषी चिकित्सकों को रंगेहाथ पकड़ने और गिरफ्तार करने का प्रावधान होना चाहिए. फॉर्म भरने की प्रक्रिया कानूनी रूप से जटिल है. इस फॉर्म को भरने से कन्या भ्रूण हत्या पर कोई अंकुश भी नहीं लगाया जा सकता है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. कन्या भ्रूण हत्या के सभी विरोधी हैं.
डॉ मुकेश कुमार, रेडियोलॉजिस्ट

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