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नयी टीम के सामने चुनौतियों का अंबार

नगर निगम . नगरवासियों को मेयर से लेकर पार्षद तक से शहर की बेहतरी की है उम्मीद नगर निगम की नयी टीम बनी और उसके साथ ही माॅनसून ने भी दस्तक दे दी. लिहाजा इस बरसात के मौसम को अगर नगर निगम की नयी टीम के लिए अग्निपरीक्षा कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. […]

नगर निगम . नगरवासियों को मेयर से लेकर पार्षद तक से शहर की बेहतरी की है उम्मीद

नगर निगम की नयी टीम बनी और उसके साथ ही माॅनसून ने भी दस्तक दे दी. लिहाजा इस बरसात के मौसम को अगर नगर निगम की नयी टीम के लिए अग्निपरीक्षा कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
पूर्णिया : नगरवासियों को भी मेयर से लेकर पार्षद तक से शहर की बेहतरी के लिए कई उम्मीदें हैं. नगर निगम के अंदर से लेकर बाहरी संस्थाओं के साथ सामंजस्य और विकास की कार्य संस्कृति को धरातल पर उतारना आसान नहीं होगा. क्योंकि बीते कार्यकाल में कई मामले में निगम पटरी से उतरी नजर आयी और कई ऐसे मामले रहे, जिसके विरोध के लिए आम नागरिकों को सड़क पर उतरना पड़ा.
नये मेयर के लिए सबसे बड़ी चुनौती निगम में कार्य संस्कृति को विकसित करना होगी, क्योंकि इसका सर्वथा अभाव यहां देखा जाता है. लेकिन सुकून की बात यह है कि निर्वाचित होने के तत्काल बाद ही जिस तरह मेयर विभा कुमारी ने मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री से मिल कर शहर की समस्याओं के प्रति चिंता जतायी है, यही चिंता बरकरार रही तो शहरवासियों को अच्छे दिन का एहसास हो सकता है.
निगम में है अधिकारियों की कमी : नगर निगम में कर्मचारी एवं अधिकारियों की काफी कमी है. बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के अनुसार नगर निगम के संगठनात्मक ढांचा के लिए नगरपालिका अधिनियम की धारा 41 के उपबंधों तथा नगरपालिका प्रशासन के मितव्ययिता को सुनिश्चित करने के लिए वर्षों बाद भी निगम में समुचित पदाधिकारियों की आवश्यकता पूरी नहीं हो पायी है. जिसमें नगर वित्त एवं महालेखाकार, नगर आंतरिक अंकेक्षक, मुख्य नगर अभियंता, नगर वास्तुविद एवं नगर निदेशक, नगर विधि पदाधिकारी, नगर सचिव के अलावा तीन अपर नगर आयुक्त तथा संयुक्त नगर आयुक्त का पद खाली पड़ा है.
प्रभावित हो रहा है निगम का कामकाज : सफर नगर परिषद से लेकर नगर निगम तक का भले ही पूरा हो गया हो, लेकिन कर्मियों की संख्या के मामले में स्थिति जस की तस बनी हुई है. स्थिति यह है कि नगर पंचायत से लेकर नगर निगम तक कर्मियों की बहाली का रास्ता बंद है. कई पुराने कर्मी रिटायर हो गये हैं और उसके बाद से पद रिक्त पड़ा है. पूर्व में जो कर्मचारियों के 256 पद सृजित थे, वह भी पूरा नहीं है. बहरहाल केवल 137 कर्मचारी ही निगम में कार्यरत हैं. इस वजह से निगम का कामकाज प्रभावित होता रहा है. सबसे बडी समस्या यह है कि कर्मियों के अभाव में कार्य संस्कृति विकसित नहीं हो पा रही है.
शहर की समस्याओं से वे खुद वाकिफ हैं. मेरी हरसंभव कोशिश होगी कि शहरवासियों को बेहतर सुविधा हासिल हो सके. इस बाबत मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री से भी सकारात्मक आश्वासन मिला है. सबों के सहयोग से बेहतर करने का प्रयास किया जायेगा.
विभा कुमारी, मेयर, नगर निगम, पूर्णिया
विभागीय सामंजस्य का है अभाव
सबसे बड़ी चुनौती नगर निगम क्षेत्र में दूसरे विभागों द्वारा होने वाले विकास कार्य में आपसी तालमेल का अभाव है. बता दे कि शहर में शहरी विकास अभिकरण, मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के साथ सांसद, विधान पार्षद एवं विधायक के अनुशंसा से होने वाले कार्य दूसरे विभागों द्वारा कराये जाते हैं. स्थिति यह है कि इन विभागों एवं नगर निगम में आपसी तालमेल एवं संयुक्त प्लानिंग के अभाव के कारण शहर में होने वाला विकास कार्य भी जनता के लिए समस्या बन जाती है और निगम के लिए यह सिरदर्द साबित होता है.
योजनाओं को लागू कराना है टेढ़ी खीर
हालात यह है कि वर्षों से कई योजनाएं तैयार है. कइयों में राशि आवंटन भी हो चुका है. लेकिन इस योजना को लागू कराने को लेकर कोई पहल नहीं दिख रही है. जानकारी अनुसार वर्ष 2003-04 में लालगंज नाला, भगेल साह नाला, नरकटिया नाला सहित कई लिंक नालों के जीर्णोद्धार को लेकर प्रोजेक्ट तैया हुआ था. बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट के एवज में करोड़ों रुपये का आवंटन पीएचइडी विभाग को हुआ था. अगर इस दिशा में कार्य प्रारंभ होता है तो शहर से जल जमाव की समस्या दूर हो सकती है.

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