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शरीर गरम रहे, तो संभल जाइये

गरमी का असर. सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या बढ़ी सदर अस्पताल में इन दिनों हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृिद्ध हो रही है. हालांिक अस्पताल में दवा व संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन पर्याप्त डॉक्टर नहीं होने की वजह से बच्चों की स्थिति पर लगातार नजर नहीं रखी जा […]

गरमी का असर. सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या बढ़ी

सदर अस्पताल में इन दिनों हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृिद्ध हो रही है. हालांिक अस्पताल में दवा व संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन पर्याप्त डॉक्टर नहीं होने की वजह से बच्चों की स्थिति पर लगातार नजर नहीं रखी जा पा रही है.
पूर्णिया : मौसम का पारा पिछले एक पखवाड़े से सातवें आसमान पर है. सोमवार को भी मौसम के तेवर तल्ख ही रहे. सड़कों पर वीरानगी छायी रही और लोग दुबकने के लिए बाध्य हुए. गरमी जनित बीमारियों में भी अब इजाफा होने लगा है. प्रचंड गरमी ने अब बच्चों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. बच्चे बुखार की समस्या से ग्रसित हो रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम में बच्चों का शरीर गरम हो जाता है,जो हाइपर थरिया यानि हीट स्ट्रोक की निशानी है.
पिछले एक सप्ताह में सदर अस्पताल के ओपीडी एवं बच्चा वार्ड में इस प्रकार के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है.
हीट स्ट्रोक के दो कारण : सर्दियों में एक साल से छोटे बच्चे व नवजातों को माता की ओर से ढक कर रखा जाता है. एकाएक गरमी का मौसम आ जाने से नवजातों का शरीर यह बदलाव झेल नहीं पाता है. ऐसे में हाइपर थरिया का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा वजन के अनुपात में बच्चों की त्वचा का एरिया ज्यादा होता है. ऐसे में बच्चों में हीट जल्दी से प्रभावी हो जाता है.
हीट स्ट्रोक के मरीजों की लगी भीड़ डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं
गरमी के प्रकोप से सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है. सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड एवं संक्रामक वार्ड में हीट स्ट्रोक के मरीजों को देखा जा सकता है. संक्रमण वार्ड में डायरिया से प्रभावित बच्चों को रखा जा रहा है. जबकि बच्चा वार्ड में बुखार से संबंधित बाल मरीजों को रखा जा रहा है.
हीट स्ट्रोक के तमाम दवा व संसाधन मौजूद हैं. किंतु डॉक्टरों के कमी के कारण बच्चों की स्थिति पर लगातार नजर नहीं रखी जा रही है. जिससे बाल मरीजों के परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि बढ़ती गरमी के कारण सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या आगे बढ़ सकती है.
छोटे बच्चों को बनाता है शिकार
हाइपर थरिया यानी हीट स्ट्रोक एक साल से छोटे बच्चों के लिए यह घातक हो सकता है. बच्चे बुखार, डायरिया आदि के शिकार हो रहे हैं. सदर अस्पताल के अलावा निजी नर्सिंग होम में भी हीट स्ट्रोक से आक्रांत बच्चों का आने का सिलसिला जारी है. जानकारों के अनुसार तापमान के बढ़ने के साथ शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. दिमाग की एक ग्रंथी हाइपो थैलेमस शरीर के हीट रेग्युलेटरी सिस्टम की तरह काम करता है. यह शरीर के तापमान को संतुलित करता है. तेज गरमी के कारण कई बार ग्रंथी में कमजोरी आ जाती है और यह काम करना बंद कर देता है.
ऐसे में तापमान का संतुलन बिगड़ जाता है. शरीर की अत्यधिक हीट बाहर नहीं निकल पाती. इससे शरीर गरम होने लगता है. शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन से भी ऐसा होता है.
गरमी के प्रकोप से सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है. सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड एवं संक्रामक वार्ड में हीट स्ट्रोक के मरीजों को देखा जा सकता है. संक्रमण वार्ड में डायरिया से प्रभावित बच्चों को रखा जा रहा है. जबकि बच्चा वार्ड में बुखार से संबंधित बाल मरीजों को रखा जा रहा है.
हीट स्ट्रोक के तमाम दवा व संसाधन मौजूद हैं. किंतु डॉक्टरों के कमी के कारण बच्चों की स्थिति पर लगातार नजर नहीं रखी जा रही है. जिससे बाल मरीजों के परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि बढ़ती गरमी के कारण सदर अस्पताल में हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या आगे बढ़ सकती है.

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