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मानकविहीन पैथोलॉजी मामले में आइएमए व विभाग सुस्त पूर्णिया : स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में मरीजों को लूटने का धंधा काफी दिनों से चल रहा है. क्लीनिकल जांच में जांच के नाम पर गरीब मरीजों को जम कर लूटा जा रहा है. इस मसले पर पिछले महीनों में आइएमए ने कड़ा रुख अख्तियार किया था. […]

मानकविहीन पैथोलॉजी मामले में आइएमए व विभाग सुस्त

पूर्णिया : स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में मरीजों को लूटने का धंधा काफी दिनों से चल रहा है. क्लीनिकल जांच में जांच के नाम पर गरीब मरीजों को जम कर लूटा जा रहा है. इस मसले पर पिछले महीनों में आइएमए ने कड़ा रुख अख्तियार किया था. किंतु धीरे-धीरे उनके भी तेवर नरम पड़ने लगे. विभाग की नरमी तो जगजाहिर है ही. ऐसे में अहम सवाल है कि मानक विहीन एवं अवैध पैथोलॉजी के संचालकों ने ऐसी कौन सी घुट्टी पिला दी, जिससे सब के सब नरम पड़ गये?
डॉक्टरों के परचे से गुलजार हो रहा धंधा
जानकार बताते हैं कि लाइन बाजार में संचालित तमाम मानक विहीन पैथोलॉजी लाइन बाजार के डॉक्टरों के ही रहमो करम पर गुलजार है. ऐसे में ऐसे पैथोलॉजी पर पाबंदी लगाने के लिए हाय तौबा मचाना अंधेरे में तीर चलाने के समान है. जबकि सच्चाई यह है कि जब तक डॉक्टरों का पुर्जा ऐसे पैथोलॉजी में आता रहेगा,
इनका धंधा भी बदस्तूर जारी रहेगा. जब पुर्जा ही नहीं आयेगा तो इन मानक विहीन पैथोलॉजी की दुकानदारी स्वत:बंद हो जायेगी. जानकार बताते हैं कि मानक विहीन पैथोलॉजी पर नकेल डालने में डॉक्टर ही कारगर साबित हो सकते हैं. किंतु डॉक्टर ऐसा कतई नहीं करना चाहेंगे. बात मोटी कमीशन की है.
दूसरा सच:मकसद के लिए कार्रवाई
पिछले वर्ष 29 जनवरी को मानक विहीन पैथोलॉजी पर नकेल कसने के इरादे से स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर 24 पैथोलॉजी सेंटरों को सिल किया था. किंतु सील किये गये तमाम पैथोलॉजी सेंटर बारी बारी से पुन: अस्तित्व में आ जाता है. आश्चर्य इस बात का है कि आखिर कैसे सील किये गये मानक विहीन पैथोलॉजी सेंटर खुल जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह अभियान केवल दिखाऊ होता है. क्योंकि अभियान के बाद कुछ दिन तक धंधा बंद रहता है
और फिर सब कुछ पूर्ववत जारी हो जाता है. ऐसा माना जा रहा है कि दर असल विभाग एवं डॉक्टरों के संगठन चाहते ही नहीं हैं कि ऐसे धंधेबाजों का धंधा बंद हो. मानक विहीन पैथोलॉजी के बंद हो जाने से इसी महकमे के लोगों को सबसे अधिक नुकसान होगा. जानकार यहां तक बताते हैं कि मानक विहीन पैथोलॉजी पर कार्रवाई व बयान बाजी एक खास मकसद के लिए किया जाता है. मकसद पूरा होते ही ऐसे कार्रवाई पर तुरंत विराम लगा दिया जाता है.
संगठन में भी होने लगता है घमसान : डॉक्टरों के संगठन जब कभी भी इस महत्वपूर्ण मसले पर हाथ डालने का प्रयास किया है. तब-तब संगठन को आंतरिक अंर्तद्वंद से जूझना पड़ा है. इस आंतरिक कलह की वजह से संगठन इस मुहिम को ठंडे बस्ते में डाल देता है. वहीं इसका दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह भी माना जा रहा है कि ऐसी बयानबाजी से मानक विहीन पैथोलॉजी हरकत में आते है और विभाग एवं संगठन से सांठ-गांठ कर निश्चिंत हो जाते हैं. यही कारण है कि अंकुश लगाने के तमाम दावे हवा हवाई रह जाते हैं.
सूची िवभाग को साैंप दी, अब िवभाग की बारी
जहां तक डॉक्टरों के परचे का सवाल है अगर फर्जी पैथोलॉजी बंद कर दी जायेगी तो पर्चा खुद ब खुद बंद हो जायेगा. हमने सूची भेज कर अपना काम कर लिया है.
डॉ एस के वर्मा,अध्यक्ष,आइएमए,पूर्णिया

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