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पापा! प्लीज, बता दो, क्या मैं आपकी औलाद नहीं हूं…

पंकज झा पूर्णिया : मम्मी-पापा के असीम प्रेम की उपज हूं मैं. आपने ही मुझे प्यार से सींचा और मां के कोख में नौ माह तक पली और बढ़ी. आपने ही हमें जमीं दी. आपके ही स्नेह का नतीजा है कि इस अनोखी दुनिया से रू-ब-रू हुई हूं. लेकिन दुख इस बात का है कि […]

पंकज झा
पूर्णिया : मम्मी-पापा के असीम प्रेम की उपज हूं मैं. आपने ही मुझे प्यार से सींचा और मां के कोख में नौ माह तक पली और बढ़ी. आपने ही हमें जमीं दी. आपके ही स्नेह का नतीजा है कि इस अनोखी दुनिया से रू-ब-रू हुई हूं. लेकिन दुख इस बात का है कि जब इस दुनिया में पहली बार कदम रखी तो मां तो थी, लेकिन आप मौजूद नहीं थे.
मुझे इस बात का मलाल रहेगा कि मां की गोद से उतर कर घुटनों के बल चलने के लिए तो सीख लूंगी, लेकिन अपने कदमों के बल चलने के लिए आपकी अंगुली का सहारा नहीं मिल सकेगा. हमें आपका प्यार नहीं मिलता तो भी कोई बात नहीं थी. किंतु मेरे जन्म के साथ ही आपने कई बदसूरत नाम मेरे सिर पर चस्पा कर दिये. आखिर हमारा क्या कसूर है जो आपके जीते जी हमें नाजायज और मम्मी को बिन ब्याही मां होने की लांछना झेलनी पड़ रही है.
पापा, आप सच बताना क्या मैं आपकी औलाद नहीं हूं. शायद ऐसे ही कई सवाल उस नवजात के जेहन में उमड़-घुमड़ रहे होंगे जो सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भरती एक बिन ब्याही मां की कोख से शुक्रवार को पैदा हुई है.
साजन ने लिया बच्चे को जन्म देने का फैसला
साजन भले ही बिन ब्याही मां बनी हो, लेकिन यह फैसला साजन ने खुद लिया है. जाहिर है हौसला भरा यह फैसला एक मिसाल है. यह इस मायने में महत्वपूर्ण है कि बच्चे को जन्म देने से रोकने के लिए रूपेश के परिजनों द्वारा कई प्रकार के दबाब डाले गये थे.
आर्थिक हैसियत की बात करें तो साजन और रूपेश के बीच जमीन-आसमान का फर्क है. साजन रूपेश के घर एक नौकरानी की हैसियत से काम करती थी. जब इस प्रेम-प्रसंग की पोल खुली तो उसे रूपेश के परिजनों द्वारा घर आने पर पाबंदी लगा दी गयी थी.
किंतु रूपेश साजन के घर जाकर चोरी-छिपे मिलता रहा और उंच-नीच की दीवार को तोड़ने की बात कहते हुए शादी का आश्वासन देता रहा. लेकिन रूपेश का आश्वासन कोरा साबित हुआ. जबकि साजन ने जो वादे किये थे, जो कसमें खायी थी, उसका नतीजा शुक्रवार को बच्चे के जन्म के रूप में सामने आया है. साजन और उसके बच्चे का भविष्य क्या होता है, कह पाना कठिन है, लेकिन साजन ने जो हौसले भरे फैसले लिये हैं, वह अतीत बन कर भी समकालीन बना रहेगा.

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