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गरीबों की हो रही है हकमारी
सरकार ने गरीब जरूरतमंद भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए खाद्य सुरक्षा योजना शुरू की. जिसके तहत प्रति व्यक्ति प्रति यूनिट महीने में दो किलो गेहूं एवं तीन किलो चावल देने का प्रावधान निर्धारित है, लेकिन वर्तमान में इस योजना का लाभ गरीब जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है और योजना […]
सरकार ने गरीब जरूरतमंद भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए खाद्य सुरक्षा योजना शुरू की. जिसके तहत प्रति व्यक्ति प्रति यूनिट महीने में दो किलो गेहूं एवं तीन किलो चावल देने का प्रावधान निर्धारित है, लेकिन वर्तमान में इस योजना का लाभ गरीब जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है और योजना का अधिकांश भाग पीडीएस दुकानदार अनाज को बिचौलिये को सौंप देते हैं.
पूर्णिया :पीडीएस दुकानदारों द्वारा गरीबों के पेट में सेंधमारी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. गरीबों के राशन केरोसिन गोदाम से सीधे कालाबाजारियों के हाथों सुपुर्द किया जा रहा है. लिहाजा गुलाबबाग, रायगंज एवं दालकोला मंडी कालाबाजारी के चावल-गेंहू से गुलजार है.
लोग राशन-केरोसिन के लिए चिल्लाते हैं. किंतु उनकी आवाज पीडीएस दुकानों में ही दब कर रह जाती है. यही कारण है कि आम जनमानस में पीडीएस दुकानदारों की छवि एक विलेन के रूप में उभरी है. इन पीडीएस दुकानदारों पर अंकुश लगाने में प्रशासन भी लगभग पंगु साबित हो रहा है.
बिचौलिया मालामाल
सरकार ने गरीब जरूरतमंद भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराने एवं खाद्य सुरक्षा योजना शुरू की. इस योजना के तहत गरीबों का जनवितरण प्रणाली के माध्यम से 2 रुपये प्रति किलो के भाव से गेहूं एवं 3 रुपये प्रति किलो के भाव से चावल देने की योजना को चालू किया.
जिसके तहत प्रति व्यक्ति प्रति यूनिट महीने में 2 किलो गेहूं एवं 3 किलो चावल देने का प्रावधान निर्धारित है, लेकिन वर्तमान में इस योजना का लाभ गरीब जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है और योजना का अधिकांश भाग पीडीएस दुकानदार अनाज को बिचौलिये को सौंप देते है.
जानकारी के अनुसार इस धंधे मे एक अनाज सिंडीकेट कार्य कर रहा है. जिसके सरगना, कसबा, बायसी, बैसा, गुलाबबाग, बनमनखी आदि जगहों में है जो इस कालाबाजारी के धंधे को व्यापक पैमाने पर अंजाम दे रहे हैं, जो गुलाबबाग मंडी के अंदर चौतालों, यहां स्थित गोपनीय गोदामों, पूर्णियां स्थित चावल मिलों के माध्यम से कागजात तैयार करके सरकारी अनाजों को पड़ोसी राज्य बंगाल समेत पूर्वोत्तर व अन्य राज्यों को भेजते हैं.
दूसरी तरफ सरकारी गेहूं का एक अहम हिस्सा पूर्णिया व गुलाबबाग स्थित आटा मिलों में सहज ही खपत हो जा रही है. जानकार बताते हैं कि गोपनीय गोदामों में बोरे की अदला-बदली के साथ-साथ सरकारी चावल-गेंहू का पैकेट बदल कर प्राइवेट टच दिया जाता है, जिससे यह धंधेबाज भी पकड़ से बाहर रहते हैं.
रैक प्वाइ्ंट्स से शुरू होता है घालमेल
जानकारों के अनुसार पूर्णिया जंकशन में सरकारी अनाज का रेक लगने के साथ ही घालमेल का खेल शुरू हो जाता है. रेक से अनाज बेलौरी स्थित एफसीआई गोदाम में जाता है. कुछ अनाज रेक प्वांइट से सीधे स्टेट फूड कॉरपोरेशन के गोदामों एंव गुलाबबाग स्थित बीवरेज के गोदामों में एफसीआई द्वारा सीधे भेज दिया जाता है. रेक प्वांइट से एफसीआई, बीवरेज एंव स्टेट फूड कारर्पोरेशन के गोदामों में पहुंचने के दौरान भी बिचौलिये ट्रांसपोर्टर एवं प्रशासनिक मिलीभगत से कभी-कभी गेहूं एवं चावल रास्ते से ही गायब हो जाता है. चावल व गेहूं गायब हो जाने से आम गरीब लोगों को भूखे सोने पर मजबूर होना पड़ता है.
जीपीएस सिस्टम भी फेल
कालाबाजारी रोकने के उद्देश्य से पीडीएस का अनाज ढोने वाले वाहनों ट्रैक्टरों में जीपीएस लगाया गया था. यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अनाज माफियाओं के हाथ इतने लंबे हैं कि जीपीएस लगे वाहन भी गायब हो जाते हैं. किंतु इसे सैटेलाइट भी ट्रैक कर पाने में असमर्थ हो जाता है. ऐसा कैसे और कहां होता है,इसका पता लगाने में अब तक कोई अधिकारी भी दिलचस्पी नहीं दिखायी. जिले के गरीबों का राशन कहां गुम हो जा रहा है, इसका कोई अता पता विभाग एवं प्रशासन को नहीं है.
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