तस्करी. शराबबंदी के बावजूद शराब के शौकीनों को उपलब्ध करायी जा रही है शराब
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नाव के सहारे सीमांचल पहुंच रही शराब
तस्करी. शराबबंदी के बावजूद शराब के शौकीनों को उपलब्ध करायी जा रही है शराब प्रशासन का दावा है कि सीमांचल के इस इलाके में शराबबंदी के बाबत पुख्ता इंतजाम किये गये हैं, लेकिन इस राह में सभी इंतजाम खोखले साबित हो रहे हैं और शराब की खेप लगातार पूर्णिया के रास्ते सीमांचल और फिर कोसी […]
प्रशासन का दावा है कि सीमांचल के इस इलाके में शराबबंदी के बाबत पुख्ता इंतजाम किये गये हैं, लेकिन इस राह में सभी इंतजाम खोखले साबित हो रहे हैं और शराब की खेप लगातार पूर्णिया के रास्ते सीमांचल और फिर कोसी के अन्य इलाकों तक पहुंच रही है
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पूर्णिया : कोसी और सीमांचल के इलाके में पूर्णिया का बाजार खासा महत्व रखता है. इस इलाके में पूर्णिया की पहचान मिनी राजधानी की है. इसकी मूल वजह यह है किसी भी कारोबार की दृष्टि से यह इलाके का केंद्र बिंदु है.
सूबे में शराबबंदी के बाद इस क्षेत्र में भी पूर्णिया केंद्र बिंदू बन कर उभरा है. हालांकि प्रशासन का दावा है कि सीमांचल के इस इलाके में शराबबंदी के बाबत पुख्ता इंतजाम किये गये हैं, लेकिन इस राह में सभी इंतजाम खोखले साबित हो रहे हैं और शराब की खेप लगातार पूर्णिया के रास्ते सीमांचल और फिर कोसी के अन्य इलाकों तक पहुंच रही है.
प्रभात खबर को मिली जानकारी अनुसार शराब के तस्करों का पूरा नेटवर्क इस कार्य में सक्रिय है. वही पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. नतीजा है कि कारोबारियों की चांदी कट रही है और सरकार के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आने लगा है.
नदी और सड़क दोनों से होती है तस्करी : पूर्णिया के रास्ते शराब की तस्करी का कारोबार हाल के दिनों में काफी तेजी से फल-फूल रहा है. तस्करी सड़क मार्ग और नदी दोनों ही रास्तों से हो रही है. वही तस्करी पर विराम महज छलावा साबित हो रहा है. क्योंकि सही मायने में तस्करों की भी अपनी ही जुगाड़ टेक्नोलॉजी है. वही जांच के नाम पर भी अब तक समुचित व्यवस्था नदारद है. जाहिर है जुगाड़ टेक्नोलॉजी और प्रशासनिक कमी दोनों के संगम से तस्करों को शराब के अवैध कारोबार की छूट मिली हुई है. सबसे अधिक शराब दालकोला चेकपोस्ट के रास्ते सड़क मार्ग से हो कर गुजरती है. वही नदी के रास्ते भी शराब टपाने वालों की कोई कमी नहीं है.
महज दो बोट के सहारे होती है निगरानी
पूर्णिया और पश्चिम बंगाल के बीच से हो कर महानंदा और कनकई नदी का बहाव होता है. वही इस इलाके से बहने वाली परमान नदी पर भी कई पुल हैं. पुल के रास्ते जहां लोग आसानी से बिहार और बंगाल की सीमा आर-पार करते हैं. वही महानंदा और परमान नदी शराब तस्करों के लिए सेफ जोन साबित हो रहा है.
दरअसल महानंदा पूर्णिया और पश्चिम बंगाल की सीमा को करीब 17 किलोमीटर तक छूती है. इसके अलावा किशनगंज और कटिहार की सीमा तथा पश्चिम बंगाल की सीमा के बीच नदी का बहाव होता है. उत्पाद विभाग द्वारा 17 किलोमीटर की इस सीमा के बीच निगरानी के लिए 02 बोट लगाये गये हैं. प्रत्येक बोट पर दो सशस्त्र बल के जवान तैनात होते हैं,
जो सीमा की निगरानी करते हैं. यहां 24 घंटे पेट्रोलिंग कर घाट पर उतरने वाले लोगों की तलाशी की जाती है. शाम 06:30 बजे के बाद नदी में नाव या नौका का परिचालन प्रतिबंधित कर दिया गया है. बावजूद इसके इस निगरानी से पार पाना तस्करों के लिए अधिक मुश्किल नहीं होता है.
होम िडलीवरी की भी उपलब्ध है सुिवधा
पश्चिम बंगाल के दालकोला से बिहार सीमा में प्रवेश करने वाली शराब की डिलेवरी कोसी और सीमांचल के विभिन्न हिस्सों में की जाती है. दीगर बात है कि डिलेवरी की पूरी व्यवस्था गोपनीय होती है. तस्कर सीधा किसी से खेप की बात नहीं करता है. शराब तस्करों का तंत्र एक माह में ही इतना मजबूत हो चुका है कि शहर में होम डिलेवरी तक की सुविधा उपलब्ध हो गयी है. लेकिन शर्त केवल एक ही होती है कि डिलेवरी तस्कर के विश्वसनीय व्यक्ति के कहने पर ही की जायेगी. ऐसे ही एक व्यक्ति ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि शराब के सबसे अधिक खरीदार डॉक्टर और व्यवसायी वर्ग के लोग हैं.
इसके अलावा सरकारी विभागों के भी कुछ आला अधिकारी ऑर्डर पर शराब मंगवाते हैं. हालांकि पकड़े जाने पर ग्राहक की कोई जिम्मेवारी नहीं होती है. अधिकारियों को निर्धारित दर पर ही शराब उपलब्ध हो जाती है. जबकि अन्य सभी ग्राहकों से तीन से चार गुणा तक कीमत वसूल किया जाता है. रेगुलर ग्राहकों के लिए इसमें स्पेशल छूट की भी सुविधा है.
नदी का रास्ता बना तस्करी का सेफ जोन
पूर्णिया और सीमांचल के अन्य हिस्सों से लगी महानंदा की धार शराब तस्करों के लिए सेफ जोन साबित हो रहा है. क्योंकि किशनगंज से लेकर कटिहार तक बंगाल की सीमा के बीच केवल नदी की धार का फासला होता है. हालांकि प्रशासन ने इसके लिए संभावित घाटों पर भी जांच की व्यवस्था की है. लेकिन तस्कर घाट के बजाय नये ठिकाने पर शराब की खेप चढ़ाते और उतारते हैं. तेलंगा घाट का इलाका इस कार्य के लिए फिलहाल सबसे अधिक प्रयोग में लाया जा रहा है.
इस रास्ते से नाव और नौका के सहारे सीमांचल के विभिन्न इलाकों तक शराब की खेप पहुंचायी जाती है. कटिहार जिला के बलरामपुर थाना क्षेत्र से भी नदी के रास्ते शराब बिहार की सीमा में लायी जा रही है. बिहार सीमा में प्रवेश के साथ ही ग्रामीण सड़कों के रास्ते शराब पहले शहर तक लाया जाता है और फिर तस्करों का पूरा नेटवर्क इसे इसके गंतव्य तक पहुंचाने में जुट जाता है. हर खेप को अलग-अलग ठिकानों पर रखा जाता है, ताकि किसी को इसकी भनक न लगे.
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