21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अल्ट्रासाउंड सेंटर छीन रहे बेटियों की किलकारियां

पूर्णिया : बेटियों के जन्म से पहले व जन्म के बाद की हत्या की पटकथा किसी न किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर में ही लिखी जाती है. लाइन बाजार स्थित तमाम प्रसव गृह एवं नर्सिंग होम में बेटियों की किलकारियों को गुम करने का कारोबार वर्षों से चल रहा है. इसके कई उदाहरण भी हैं. इसके बावजूद […]

पूर्णिया : बेटियों के जन्म से पहले व जन्म के बाद की हत्या की पटकथा किसी न किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर में ही लिखी जाती है. लाइन बाजार स्थित तमाम प्रसव गृह एवं नर्सिंग होम में बेटियों की किलकारियों को गुम करने का कारोबार वर्षों से चल रहा है. इसके कई उदाहरण भी हैं. इसके बावजूद इस पर अंकुश लगाने में विभाग या प्रशासन दिलचस्पी नहीं ले रहा है. परिणामस्वरूप लिंग अनुपात प्रभावित हो रहा है.
बीते सोमवार को लाइन बाजार में एसबीआइ एटीएम के पास एक नवजात बच्ची का शव मिला था, जिसे आवारा कुत्तों का झुंड नोच-नोच कर खा रहे थे. यह कोई पहला मामला नहीं है.
इससे पहले भी कई नवजात बच्चियों का शव व भ्रूण लाइन बाजार के पोस्ट मार्टम रोड,बिहार टॉकिज रोड,शिव मंदिर रोड आदि स्थानों में कई बार मिले हैं,जो इस बात की स्पष्ट गवाही देता है कि लाइन बाजार में भ्रूण एवं नवजात की हत्या लंबे समय से चल रही है. इसके पीछे माना जा रहा है कि इन हत्याओं का मुख्य केंद्र बिंदु मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर ही होता है.
भ्रूण व नवजात हत्या मामले में पोर्टेबल मशीन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. ऐसे मामलों में सबसे पहले इन्हीं पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन वालों से लोग संपर्क करते हैं.
उसके बाद घर या निर्धारित स्थान पर चोरी छिपे लिंग परीक्षण किया जाता है. जानकार बताते हैं कि लिंग निर्धारण के बाद वैसे प्रसव गृह से संपर्क करते हैं,जहां गुपचुप तरीके से गर्भपात व प्रसव कराये जाते हैं. ऐसे सेंटर मनमाने रकम पर यह काम करते हैं. भ्रूण व नवजात को कुत्ते व कौवे के खाने के लिए छोड़ देते हैं. इस जघन्य अपराध में सबसे पहला सहायक अल्ट्रासाउंड संचालक,उसके बाद ऐसे कार्य के लिए दबाव बनाने वाले लोग एवं प्रसव गृह के संचालक ,डॉक्टर एवं नर्स होते हैं.
दलाल भी सक्रिय
जानकारों की मानें तो मेडिकल हब का मुख्य आधार स्तंभ बिचौलिये हैं. जहां जितना अधिक कमीशन,वहां उतना मरीजों की भीड़ लगती है. बिचौलियों की भूमिका किसी डॉक्टर या सेंटर को चमकाने में अहम होती है. लिंग निर्धारण के कारोबार में भी इन बिचौलियों की ही चलती है.
गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने के इच्छुक लोग सबसे पहले बिचौलियों से ही संपर्क करते हैं. इसके बाद बिचौलिये उन्हें संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर में ले जाकर बड़ी ही सावधानी एवं गोपनीय तरीके से लिंग बता कर वापस घर भेज देता है. लाइन बाजार में ऐसे बिचौलियों की भरमार देखने को मिलती है.
प्रसव गृह का अल्ट्रासाउंड कनेक्शन : लाइन बाजार में पोस्टमार्टम रोड, बिहार टॉकिज रोड, शिव मंदिर रोड, अस्पताल गेट के इर्द-गिर्द कई वैध एवं अवैध प्रसव गृह संचालित हो रहे हैं. इन सेंटरों का सीधा कनेक्शन अल्ट्रासाउंड सेंटरों के संचालको से होता है. जानकारों के अनुसार यहां गर्भपात एवं प्रसव हेतु आने वाले प्रसूता का लिंग निर्धारण बड़ा ही गुप्त तरीके से किया जाता है. इसके बाद प्रसव या गर्भपात कराने की प्रक्रिया शुरु होती है. इस पूरे मामले में पीएनडीटी के सारे नियम-कायदे धरे रह जाते हैं. विभाग भी ऐसे मामलों को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है. लिहाजा अल्ट्रासाउंड सेंटर एवं प्रसव गृह के संचालक बेखौफ अपने धंधे का रंग चटख कर रहे हैं.
ये है खतरा
यूं तो अल्ट्रासाउंड कई कारणों से आवश्यक माना जाता है, लेकिन अधिक या अप्रशिक्षित लोगों से अल्ट्रासाउंड जांच कराने से मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है. इससे निकलने वाली रेडियो एक्टिव तरंगों से गर्भस्थ बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है.
लगातार अल्ट्रासाउंड करवाने से डीएनए सेल्स को नुकसान पहुंचता है, और इसके साथ ही शरीर में ट्यूमर सेल्स भी बनने लगते हैं जो कि मौत के जोखिम को बढ़ा देता है. अल्ट्रासाउंड जांच आवश्यकतानुसार जाने-माने रेडियोलॉजिस्ट से ही कराना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें