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अल्ट्रासाउंड सेंटर : मानकविहीन केंद्रों पर होता है 50-50 का खेल

अल्ट्रासाउंड सेंटर : मानकविहीन केंद्रों पर होता है 50-50 का खेल पूर्णिया. स्वास्थ्य नगरी में फल -फूल रहे तमाम मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर डॉक्टर एवं संचालक के गंठजोड़ पर संचालित हो रहे हैं. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अल्ट्रासाउंड का गोरख धंधा आधा तेरा -आधा मेरा की तर्ज पर आबाद हो रहा है. छुटभैये […]

अल्ट्रासाउंड सेंटर : मानकविहीन केंद्रों पर होता है 50-50 का खेल पूर्णिया. स्वास्थ्य नगरी में फल -फूल रहे तमाम मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर डॉक्टर एवं संचालक के गंठजोड़ पर संचालित हो रहे हैं. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अल्ट्रासाउंड का गोरख धंधा आधा तेरा -आधा मेरा की तर्ज पर आबाद हो रहा है. छुटभैये संचालकों के आधे-अधकचरे रिपोर्ट पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे संचालकों की विभाग से लेकर अन्य महकमे में भी गहरी पैठ होती है. यही कारण है कि यह गोरख धंधा बेरोक टोक चल रहा है. विभाग जांच के नाम पर महज छापेमारी कर अपने कर्तव्यों की इति श्री मान लेता है. लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर गोरखधंधा आबाद हो जाता है. जाहिर है कि पूरे मामले में मरीज लूट रहे हैं. कमीशन के बूते चलता है धंधालाइन बाजार में चल रहे लगभग पांच दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर कमीशन की बुनियाद पर टिकी हुई है. जो संचालक जितना अधिक कमीशन संचालकों को देता है,उसकी दुकानदारी उतनी ही गुलजार होती है. जानकारों के अनुसार अगर अल्ट्रासाउंड जांच का शुल्क छह सौ रुपये लिया जाता है तो उसमें से डॉक्टर को तीन सौ रुपये बतौर कमीशन उपलब्ध करा दिया जाता है. डॉक्टर एवं संचालकों के गंठजोड़ की चक्की में भोले-भाले मरीज मुफ्त में पीसे जाते हैं. जानकार बताते हैं कि ऐसे सेंटरों में मरीज को रोग कुछ होता है और रिपोर्ट किसी अन्य बीमारी की दे देना आम बात है. किसी न किसी डॉक्टर के नाम से है निबंधितलाइन बाजार के प्राय:सभी मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटर किसी न किसी डॉक्टर के नाम से निबंधन करा रखा है. जिसका इन संस्थानों से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता है. ऐसे डॉक्टर महज कागजों तक ही सीमित है. यहां कई ऐसे भी डॉक्टरों के नाम से अल्ट्रासाउंड सेंटर निबंधित हैं,जो यहां कार्यरत नहीं है. जबकि कुछ ऐसे भी अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं, जिसके डॉक्टर खगड़िया,बेगुसराय,भागलपुर और दरभंगा में पदस्थापित हैं. हैरानी की बात यह है कि इन डॉक्टरों को पता भी नहीं है कि उनका नाम किसी अल्ट्रासाउंड से जुड़ा हुआ है. ऐसा नहीं है कि संचालकों के इस घाल मेल को विभाग नहीं जानता है. इसके बावजूद भी ऐसे सेंटरों को निबंधित करने की विवशता समझ से परे है. प्रखंडो में भी जमा चुके हैं जड़अल्ट्रासाउंड के गोरख धंधे से जुड़े लोग अब प्रखंडों में भी अपनी जड़ें जमा चुके हैं. जिले के लाइनबाजार समेत कसबा,बनमनखी,धमदाहा,बायसी आदि स्थानों में महज सड़क छाप तकनीशियनों के दम पर जांच का खेल खेला जा रहा है. कई सेंटरों के मशीन तक सही से काम नहीं कर रहे हैं. डॉक्टर सिर्फ कमीशन के लिए अल्ट्रासाउंड कराने को कह देते हैं. ऐसे सेंटरों में खुले आम लिंग परीक्षण भी किया जाता है. एक मरीज ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कसबा में एक अल्ट्रासाउंड सेंटर में धड़ल्ले से लिंग निर्धारण का कार्य किया जाता है. टिप्पणी सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों से निंबंधन से संबंधित दस्तावेज मंगाये जा रहे हैं. दस्तावेजों के अवलोकन के उपरांत ही कुछ कहा जा सकता है. डॉ एमएम वसीम,सिविल सर्जन,पूर्णियाफोटो:- 08 पूर्णिया 07परिचय:- अल्ट्रासाउंड सेंटर की प्रतीकात्मक तसवीर

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