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घर सूना छोड़ा, तो समझो लुट गये

पूर्णिया : एक बार फिर बंद घरों में चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. यदि आपका घर बंद पड़ा है तो आप लुटने के लिए तैयार रहिये. अपने पैतृक गांव या किसी समारोह में शामिल होने के लिए शहर स्थित आवास से परिवार सहित बाहर जाना आपकी जिंदगी भर की कमाई के लिए खतरे […]

पूर्णिया : एक बार फिर बंद घरों में चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. यदि आपका घर बंद पड़ा है तो आप लुटने के लिए तैयार रहिये. अपने पैतृक गांव या किसी समारोह में शामिल होने के लिए शहर स्थित आवास से परिवार सहित बाहर जाना आपकी जिंदगी भर की कमाई के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है.
यह मानिये कि आपके लुटने के बाद पुलिस आयेगी, जांच-पड़ताल की औपचारिकता पूरी करेगी और फिर आपकी लुटने की कहानी पुलिस की फाइल का हिस्सा बन कर रह जायेगी. दरअसल चोरों के सामने पुलिस खुद को असहाय महसूस करती है. यही वजह है कि अधिकांश चोरी की घटनाओं का उद्भेदन आज तक नहीं हो पाया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शहर में चोरों का गिरोह सफेदपोशों के संरक्षण में संचालित हो रहा है. जिनमें से अधिकांश सफेदपोश थाना द्वारा आयोजित शांति समिति की बैठक में मौजूद रहते हैं और ऐसे ही लोग पुलिस के कथित रूप से मुखबिर भी होते हैं.
सुजीत की मौत के साथ दफन हुए सारे राज : 16 जुलाई 2015 को मधुबनी-दुर्गास्थान के निकट एक स्कूल में चोरी मामले के आरोपी कृष्णापुरी के सुजीत की लाश फंदे से लटकी मिली. पुलिस ने सुजीत की मौत को आत्महत्या बता कर पल्ला झाड़ लिया. परंतु मृतक के परिजन अंत तक कहते रहे कि सुजीत की हत्या हुई है. उसके मौत से एक दिन पूर्व उसके घर पुलिस की छापेमारी हुई थी.
छापेमारी में जेवर सहित चोरी के औजार भी बरामद हुए थे. उसके पकड़ में आने से शहर में कई चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश हो सकता था. लेकिन सफेदपोश एवं गिरोह के अन्य सदस्यों ने खतरे को भांपते हुए संभवत: उसकी हत्या कर उसे आत्महत्या का शक्ल दे दिया.
सुजीत के परिजनों ने बताया था कि किसी के कॉल आने के बाद सुजीत मधुबनी दुर्गास्थान गया था. पुलिस ने सुजीत के मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल खंगालने की कोशिश नहीं की. लोगों का मानना था कि सफेदपोशों के दबाव में पूरे मामले की समुचित पड़ताल नहीं हो पायी. सुजीत की मौत के बाद उस दौरान घटनास्थल से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक कुछ संदिग्ध व्यक्ति जिस तरह सक्रिय दिखे, इससे स्पष्ट लग रहा था कि सुजीत की मौत की लीपापोती की उच्चस्तरीय तैयारी है. सुजीत की मौत के साथ ही संगठित गिरोह और सफेदपोश बेनकाब होने से बच गये.
बीते तीन साल में सर्वाधिक चोरी
विगत तीन वर्षों में शहरी क्षेत्र में चोरी की सर्वाधिक घटनाएं हुई हैं. लगभग सभी मामले में घर में ताले लटक रहे थे और इसी दौरान चोरी की घटना घटित हुई. बड़ा सवाल यह है कि आखिर चोरों को कैसे पता चल जाता है कि घर में कोई मौजूद नहीं है. हालिया घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि चोरों का एक संगठित गिरोह है और इस गिरोह में कई ऐसे सदस्य हैं, जो मुहल्लों में घूम-घूम कर बंद घरों की रेकी करते हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पॉलीथिन चुनने वाली महिलाएं व किशोर अवस्था के बच्चे दिन में बंद घरों की रेकी करते हैं. इनलोगों का काम यह रहता है कि किन घरों के बाउंड्री वाल के गेट और घर में मुख्य दरवाजे पर ताला जड़ा है, उसकी सूचना गिरोह के सरगना को देना होता है. सूचना के उपरांत चोर गिरोह उस घर को निशाना बना कर घटना को आसानी से अंजाम दे देते हैं.
पुलिस की मुहिम कमजोर
बीते वर्ष जब चोरों का तांडव बढ़ गया तो दिसंबर माह में पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी के निर्देश पर देर रात्रि में विशेष गश्ती आरंभ हुई. गश्ती गाड़ी सायरन बजाते हुए गली-मुहल्ले में घूमती रहती थी.
इसका असर चोरों पर मनोवैज्ञानिक स्तर पर दिखायी दिया और चोरी की घटना में अप्रत्याशित रूप से कमी आयी. खुश्कीबाग में कुछ दुकानें इसलिए महफूज रह गयी थी कि ऐन वक्त पर उस रास्ते से सायरन बजाती गश्ती गाड़ी गुजरी थी. लेकिन फरवरी आते-आते यह पुलिसिया मुहिम बीते दिनों की बात हो गयी. वहीं सबसे बड़ी समस्या यह है कि चोरी की घटना को कभी भी संजीदगी से नहीं लिया जाता है.
अगले दो िदन तक आसमान रहेगा साफ
हाल में जो भी चोरी की घटनाएं हुई है. उसका शीघ्र ही उद्भेदन किया जायेगा. सायरन वाली गश्ती भी आरंभ की जायेगी. जहां तक सफेदपोशों की संलिप्तता का सवाल है, इस बाबत भी पड़ताल की जायेगी.
निशांत कुमार तिवारी, एसपी पूर्णिया

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