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फर्जी पैथोलॉजी. डाॅक्टरों के संरक्षण में संचालित हो रहा फर्जीवाड़े का कारोबार

मरीजों के स्वास्थ्य से िखलवाड़ डॉक्टर की परची ही फर्जी पैथोलॉजी के लिए ऑक्सीजन का काम करती है. एक लंबे समय से ऐसे फर्जी और मानकविहीन पैथोलॉजी द्वारा गरीब मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होना इस बात का सबूत है कि लूट के […]

मरीजों के स्वास्थ्य से िखलवाड़

डॉक्टर की परची ही फर्जी पैथोलॉजी के लिए ऑक्सीजन का काम करती है. एक लंबे समय से ऐसे फर्जी और मानकविहीन पैथोलॉजी द्वारा गरीब मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होना इस बात का सबूत है कि लूट के इस खेल में हर स्तर पर मेल है.
पूर्णिया : मानक विहीन पैथोलॉजी के खिलाफ पहली बार आइएमए मुखर रूप से सामने आया है, जो नयी बात है, लेकिन फर्जी पैथोलॉजी के कारोबार के सबसे बड़े संरक्षक खुद डॉक्टर ही हैं. ऐसे में आइएमए की यह पहल किस हद तक रंग ला पाती है, सवालों के घेरे में है.
सच यह है कि कई नामचीन डॉक्टर ही इसके सबसे बड़े संरक्षक हैं. डॉक्टर की परची ही फर्जी पैथोलॉजी के लिए ऑक्सीजन का काम करती है. एक लंबे समय से ऐसे फर्जी और मानकविहीन पैथोलॉजी द्वारा गरीब मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होना इस बात का सबूत है कि लूट के इस खेल में हर स्तर पर मेल है.
पूर्व मे भी हुई है कार्रवाई,नतीजा सिफर :पूर्व में भी मानक विहीन पैथोलॉजी पर प्रशासनिक डंडे चले है. कई पर कार्रवाई भी हुई. इसके बावजूद भी इस प्रकार के पैथोलॉजी का संचालन जारी रहा.
जानकार बताते हैं कि यह अभियान केवल दिखाऊ होता है. क्योंकि अभियान के बाद कुछ दिन तक धंधा बंद रहता है और फिर सब कुछ पूर्ववत जारी हो जाता है. ऐसा माना जा रहा है कि दर असल विभाग एवं डॉक्टरों के संगठन चाहते ही नहीं हैं कि ऐसे धंधेबाजों का धंधा बंद हो.मानक विहीन पैथोलॉजी के बंद हो जाने से इसी महकमे के लोगों को सबसे अधिक नुकसान होगा.
ऐसे संचालित होता है फर्जी पैथोलॉजी
लाइन बाजार में लगभग डेढ़ सौ से भी अधिक मानक विहीन पैथोलॉजी संचालित हो रहे हैं. जिसके मार्केटिंग कर्मी घूम-घूम कर डॉक्टरों से संपर्क कर ऊंचे कमीशन का लालच दे कर जांच भेजने का दबाव डॉक्टरों पर बनाते हैं. डॉक्टर लोभ में आकर सड़क छाप पैथोलॉजिस्टों के पास अपने मरीज को जांच हेतु भेज देते हैं.जहां सैंपल तो लिया जाता है पर उस सैंपल की जांच होती है या नहीं ,यह भी सवालों के घेरे में है. डॉक्टरों के शह पर ही मरीजों का शोषण एवं दोहन होता है. ऐसे में अब अहम सवाल यह है कि मानक विहीन पैथोलॉजी के संरक्षक डॉक्टर नहीं तो और कौन है.
डॉक्टरों के परचे से धंधा गुलजार
लाइन बाजार में संचालित तमाम मानक विहीन पैथोलॉजी लाइन बाजार के डॉक्टरों के ही रहमो करम पर गुलजार है. ऐसे में ऐसे पैथोलॉजी पर पाबंदी लगाने के लिए हाय तौबा मचाना अंधेरे में तीर चलाने समान है.जबकि सच्चाई यह है कि जब तक डॉक्टरों का पुर्जा ऐसे पैथोलॉजी में आता रहेगा, इनका धंधा भी बदस्तूर जारी रहेगा. जब पुर्जा ही नहीं आयेगा तो इन मानक विहीन पैथोलॉजी की दुकानदारी स्वत:बंद हो जायेगी.जानकार बताते हैं कि मानक विहीन पैथोलॉजी पर नकेल डालने में डॉक्टर ही कारगर साबित हो सकते हैं.इसके लिए लोभ लालच का त्याग करना होगा.

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