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अस्पताल में सेवा को तरजीह देते नहीं, खुद का चमका रहे क्लीनिक

सदर अस्पताल कइयों दर्द से कराह रहा है. एक तरफ यहां सुिवधाओं की कमी है तो दूसरी तरफ डॉक्टरों का अभाव. ऐसे में कोसी के इस पीएमसीएच की साख िमट्टीपलीत हो रही है. यहां दशकों से दर्जनों डॉक्टर जमे हुए हैं, ये सदर अस्पताल में अपनी सेवा को महत्ता देते नहीं अपनी क्लीनिक चमका रहे […]

सदर अस्पताल कइयों दर्द से कराह रहा है. एक तरफ यहां सुिवधाओं की कमी है तो दूसरी तरफ डॉक्टरों का अभाव. ऐसे में कोसी के इस पीएमसीएच की साख िमट्टीपलीत हो रही है. यहां दशकों से दर्जनों डॉक्टर जमे हुए हैं, ये सदर अस्पताल में अपनी सेवा को महत्ता देते नहीं अपनी क्लीनिक चमका रहे हें.

पूर्णिया : कोसी और सीमांचल की उम्मीद सदर अस्पताल बदहाली की दौर से गुजर रहा है. सदर अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार गिरावट का कारण यहां डॉक्टरों का अभाव तो है ही, साथ ही इस अस्पताल में दर्जनों ऐसे चिकित्सक हैं,जो पिछले एक दशक से अधिक समय से यहां पदस्थापित हैं. जो सदर अस्पताल की सेवा को कम तरजीह देते हैं और अपने निजी क्लिनिक को चमकाने में अधिक व्यस्त रहते हैं.

जबकि होना यह चाहिए था कि लंबे समय तक रहने का अनुभव लिए ऐसे चिकित्सक बेहतर सेवा प्रदान कर सकते थे. जुगाड़ तकनीक एवं ऊंची पहुंच की वजह से ऐसे चिकित्सक पूर्णिया को अपना स्थायी ठिकाना बनाये हुए है. जबकि बिहार सेवा शर्त नियमावली के अनुसार तीन वर्षों पर चिकित्सकों का स्थानांतरण होना चाहिए. लेकिन सदर अस्पताल आकर राज्य सरकार के नियम भी घुटने टेकने लगते हैं.
नहीं छूट रहा है लाइन बाजार का मोह : लंबे समय से सदर अस्पताल में पदस्थापित सर्जन हो या फिजिशियन सबों ने यहां अपना क्लिनिक एवं नर्सिंग होम खोल रखा है. सदर अस्पताल की मेहरबानी से इनका धंधा भी गुलजार हो रहा है. ऐसे में इन चिकित्सकों का सदर अस्पताल से पेशागत लगाव हो गया है. कई मामले ऐसे हैं कि कई डॉक्टरों का स्थानांतरण भी हुआ. किंतु उन्हें लाइन बाजार का मोह पीछा नहीं छोड़ रहा है. लिहाजा डॉक्टर विभाग को कुछ दे-ले कर यहीं रहना पसंद करते हैं. इन डॉक्टरों के क्लिनिक में सदर अस्पताल के मरीजों की भीड़ लगी रहती है. डॉक्टरों के दलाल इन मरीजों को सदर अस्पताल से बहला-फुसला कर निजी क्लिनिकों में ले आते हैं.
स्वास्थ्य सेवा का खास्ताहाल : लंबे समय से सदर अस्पताल में कुंडली मार बैैठने वाले डॉक्टरों का अधिकांश समय अपने निजी क्लिनिकों में बीतता है. ऐसे डॉक्टर केवल अपनी पहचान कायम रखने के लिए सदर अस्पताल को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा सदर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं में पिछले पांच वर्षों के अंतराल में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. लगातार ओपीडी से आइपीडी मरीजों की संख्या में भी गिरावट हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि यहां जमे डॉक्टर सदर अस्पताल की व्यवस्था को जान बूझ कर बदहाल करने पर तुले हुए है. इससे सदर अस्पताल के मरीज सीधे इनके क्लिनिक पर ही पहुंचते हैं.

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