आसान नहीं शौचमुिक्त की राह
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स्वच्छता अिभयान. 18 लाख 52 हजार 844 लोग अब भी शौचालयविहीन
आसान नहीं शौचमुिक्त की राह पूर्णिया जिलेमें अब भी लगभग 18 लाख 52 हजार 844 लोग खुले में शौच के लिए विवश हैं. चालू वर्ष में सात गांवों को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित था. लक्ष्य के विपरीत महज तीन गांव ही खुले में शौच मुक्त हो सके. पूर्णिया : जिले को […]
पूर्णिया जिलेमें अब भी लगभग 18 लाख 52 हजार 844 लोग खुले में शौच के लिए विवश हैं. चालू वर्ष में सात गांवों को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित था. लक्ष्य के विपरीत महज तीन गांव ही खुले में शौच मुक्त हो सके.
पूर्णिया : जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने की राह अब भी कठिन दिख रही है. लिहाजा अब भी जिले में लगभग 18 लाख 52 हजार 844 लोग खुले में शौच करने के लिए विवश हैं. अब तक 4 लाख, 63 हजार,211 परिवार शौचालय विहीन हैं. स्वच्छता अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 में मात्र 14 हजार,617 शौचालय का निर्माण अनुदान की राशि से संभव हो पाया है. चालू वर्ष में सात गांवों को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित था.
लक्ष्य के विपरीत महज तीन गांव ही खुले में शौच मुक्त हो सका. आंकड़ों से प्रतीत होता है कि पीएचइडी विभाग के लिए पूर्णिया को खुले में शौच मुक्त करने के लिए अभी और लंबी जद्दोजहद करनी पड़ेगी. लिहाजा खुले में शौच मुक्त की डगर आसान नहीं है.
18. 5 लाख लोग करते हैं खुले में शौच : जिले के 4 लाख 63 हजार 211 परिवारों के औसतन साढ़े अठारह लाख लोग अब भी खुले में शौच कर रहेे हैं. विसर्जित मल से पूरे जिले का वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही लोग कई संक्रामक रोग के भी शिकार जाने-अनजाने में हो जाते हैं. जिले में डायरिया, उल्टी व दस्त आदि की बीमारी इन्हीं मल प्रदूषण की वजह से होती है. खुले में शौच के कारण शौच विहीन लोग तो रोगों के शिकार तो होते ही हैं,साथ ही वैसे लोग भी इस मल के कारण रोग ग्रस्त होते हैं, जिनके पास शौचालय होते हैं.
शौचालय िनर्माण के लिए िमलेगा अनुदान
निर्मल भारत मिशन के तहत पीएचइडी की ओर से लोगों को शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपये अनुदान में दिये जा रहे हैं. लोग अनुदान राशि से शौचालय निर्माण कर भारत को निर्मल बनाने में योगदान दे सकते हैं. साथ ही अपने परिवार को प्रदूषण के संक्रमण से भी बचा सकते हैं. पीएचइडी भी इस कार्य में अहम भूमिका अदा कर रही है. हैरानी की बात यह है कि अनुदान की व्यवस्था उपलब्ध होने के बावजूद लोग योजना का लाभ उठाने से वंचित हैं. इसकी एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि पूर्व में शौचालय निर्माण योजना में जिस प्रकार व्यापक स्तर पर धांधली बरती गयी, उससे लोगों का इस योजना के प्रति मोह भंग हो चुका है.
32 वर्षों में होगा िनर्मल होने का सपना पूरा
जिले में अमूमन 4लाख 63 हजार 211 परिवार शौचालय विहीन हैं. जबकि जिले में शौचालय एक वर्ष में मात्र 14617 बने हैं. विभागीय आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि यदि इस महत्वाकांक्षी योजना को तत्काल गति नहीं दी गयी तो पूर्णिया को निर्मल बनाने में लगभग 32 वर्ष लग जायेंगे. जबकि भारत सरकार का सपना भारत को खुले में शौच मुक्त करना है. यदि सरकार को शत-प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करना है तो प्रति वर्ष 1लाख 15 हजार 802 शौचालय का निर्माण कराने की जरुरत महसूस की जा रही है. तभी स्वच्छ भारत का सपना धरातल पर उतर पायेगा.
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