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मनीष ने गरीबों की झोली से उड़ा लिये पैसे

मनीष मिश्रा ने गरीब महिलाओं को लुटने का जो जाल बुना था, उसमें वह काफी हद तक सफल रहा. संत सदानंद सेवा समिति की आड़ में जो उसने फरेब का जाल फैलाया, उसकी कोई कागजात उसने किसी को नहीं दिया था. वह सारा खेल मोबाइल में कैद तसवीरों को दिखा कर खेल रहा था. पूर्णिया […]

मनीष मिश्रा ने गरीब महिलाओं को लुटने का जो जाल बुना था, उसमें वह काफी हद तक सफल रहा. संत सदानंद सेवा समिति की आड़ में जो उसने फरेब का जाल फैलाया, उसकी कोई कागजात उसने किसी को नहीं दिया था. वह सारा खेल मोबाइल में कैद तसवीरों को दिखा कर खेल रहा था.
पूर्णिया : गोरा चेहरा, अधेड़, अंगरेजी, हिंदी के साथ मगही भाषा में फर्राटेदार बोलने वाला शातिर मनीष मिश्रा के कारनामे की पोल अब खुलने लगी है.
हर महिला को बहन बना लेने वाले उस शख्स ने गरीब महिलाओं के बीच विश्वास की डोर इतनी मजबूत कर ली कि महिलाओं ने अपनी आंचल की गांठ में बंधे रुपये भी निकाल कर सहर्ष मुहबोले भाई को सौंप दिया. कल तक अपने व अपने बच्चों के जीवन में नये सुबह का सपना सजाये बैठी इन गरीब महिलाओं के आंखों में अब केवल आंसू हैं. पीड़ित लोग अब मनीष की तलाश में जुट गये हैं. लेकिन इस तलाश में उन्हें कितनी कामयाबी मिल पाती है, कह पाना कठिन है.
लुटने में हुआ सफल, छोड़ गया तसवीर : मनीष मिश्रा ने गरीब महिलाओं को लूटने का जो जाल बुना था, उसमें वह काफी हद तक सफल रहा. संत सदानंद सेवा समिति की आड़ में जो उसने फरेब का जाल फैलाया, उसकी कोई कागजात उसने किसी को नहीं दिया था. वह सारा खेल मोबाइल में कैद तसवीरों को दिखा कर खेल रहा था. लेकिन इस खेल में उसने एक गलती कर दी. शनि मंदिर के एक लड़के ने उसकी तसवीर मोबाइल में खींच ली और वह उसे नहीं छुपा पाया.
सुलतानगंज में भी है उसका नेटवर्क : पीड़ित महिला रेखा देवी कहती हैं कि मनीष मिश्रा का सुलतानगंज, सुपौल, किशनगंज आदि इलाकों में भी नेटवर्क है. बताती हैं कि संस्था में बतौर को-ऑर्डिनेटर कार्य करने वाली तीन महिलाओं को उसने एक लिफाफा देकर सुलतानगंज भेजा था. लेकिन उन्हें कोई सटीक पता, जिससे मिलना था, उसका नहीं दिया था. मनीष इन महिलाओं को फोन पर निर्देशित करता रहा और महिलाएं जैसी ही सुलतानगंज पहुंची, वहां एक लड़का खड़ा था. उसने लिफाफा ले लिया. और महिलाएं लौट आयी.
बेगूसराय के फुलवरिया का है मनीष : मनीष मिश्रा का कोई स्पष्ट पता ठिकाना नहीं है. गुलाबबाग के जिस होटल में मनीष कुछ दिनों तक ठहरा था, वहां जो उसने अपना पता दर्ज कराया था, उसने अपना पता फुलवरिया बेगूसराय, मोबाइल नंबर 8651573256 दर्ज कराया. इस पते में कितनी सत्यता है, कह पाना कठिन है. फरार होने के बाद से मनीष का फोन बंद है.
मामले के खुलासे के बाद मनीष मिश्रा का एक और नंबर सामने आया है. यह नंबर 8521166574 जिससे मनीष वाट्स-अप संचालित करता था. हालांकि वाट्स-अप 21 फरवरी को कुछ देर के लिए खुला था, जो फिर बंद हो गया. वहीं उसकी तसवीर देख कर कुछ लोगों ने कहा कि यह शख्स पूर्व से एनजीओ से जुड़ा है.
कई एनजीओ आज भी है सक्रिय :
इस घटना को लेकर जहां इलाके में चर्चा हर तरफ है, वहीं अभी भी शहर के कई हिस्सों में कई नामों से एनजीओ वाले घूम रहे हैं. कई एनजीओ वालों के पास तो केंद्र सरकार एवं बिहार सरकार का रजिस्ट्रेशन पेपर भी उपलब्ध है.
वार्ड पार्षद राजीव पासवान उर्फ पप्पू पासवान कहते हैं कि पिछले माह ही एक एनजीओ वाला घर-घर घूम कर सफाई के नाम पर प्रति घर 20 रुपया वसूल किया गया और वापस नहीं लौटा. इसके बाद विगत एक सप्ताह सिलाई-कढ़ाई सिखाने के नाम पर प्रति व्यक्ति 200 रुपये मांगने पर एक को महिलाओं ने मुहल्ले से खदेड़ दिया था.

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