पूर्णिया : आइएसडीपी एवं राजीव आवास योजना की शुरुआत हुई तो शहरी गरीबों को लगने लगा कि उनके भी छत का सपना पूरा होगा. लेकिन योजना के आरंभ से ही इसमें लूट-खसोट आरंभ हो गयी है. जानकारी अनुसार आइएसडीपी के तहत नगर निगम क्षेत्र में 02 लाख 29 हजार प्रति मकान के हिसाब से कुल […]
पूर्णिया : आइएसडीपी एवं राजीव आवास योजना की शुरुआत हुई तो शहरी गरीबों को लगने लगा कि उनके भी छत का सपना पूरा होगा. लेकिन योजना के आरंभ से ही इसमें लूट-खसोट आरंभ हो गयी है. जानकारी अनुसार आइएसडीपी के तहत नगर निगम क्षेत्र में 02 लाख 29 हजार प्रति मकान के हिसाब से कुल 1615 मकान स्वीकृत थे. वहीं राजीव आवास योजना के तहत करीब 2285 मकान की जगह महज 629 मकान का निर्माण कार्य चल रहा है.
फलफला यह है कि शहरी गरीबों को पक्का मकान मुहैया कराने का सपना पूरा भी नहीं हुआ कि यह योजना बंद चुकी है. हालांकि इसके बाद हर घर, हर आवास योजना बांकी है. मजे की बात तो यह है कि इस योजना के कार्यान्वयन में गरीबों को घर तो मिले, लेकिन मुकम्मल पैसे में सेंधमारी भी खूब हुई. हालांकि इस संबंध में कोई सामने आकर कुछ कहने को तैयार नहीं हो रहा है. लेकिन दबी जुबान से शहर के वार्डों एवं शहर में यह चर्चा आम है कि इस खेल में बिचौलिये से लेकर वार्ड पार्षद तक मालामाल हुए हैं.
करोड़ों का हुआ है खेल
आवास योजना के तहत शहर में करोड़ों रूपये का खेल होने की बात कही जा रही है. जानकार बताते हैं कि प्रति मकान 10 से 12 प्रतिशत का कमीशन तय करने के बाद ही इस योजना में गरीबों को शामिल किया गया. इतना ही नहीं कई वार्ड पार्षदों एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा उनके पासबुक भी पैसा उठाये जाने तक अपने पास रखा गया था. जानकारों के साथ-साथ अब लाभुक की जुबान धीरे-धीरे खुलने लगी है. इतनी मानें तो इस योजना के तहत अब तक तकरीबन चार से पांच करोड़ रुपये का गंदा खेल हो चुका है. वैसे तो यह योजना निगम के करीब 18 से 20 वार्डों में चल रहा है, लेकिन घर आवंटन में हुए पैसे के खेल में कुछ खास लोगों के नाम सर्वाधिक उछल रहे हैं. हाल यह है कि अवैध वसूली करने वाले वार्ड पार्षद और बिचौलिये के रंग बदले-बदले हैं. हालांकि यह भी सच है कि इस गंदे खेल में हर वार्ड पार्षद शामिल नहीं है.
गड़गड़ी के पहले भी हो चुके हैं खुलासे
लाभुकों के साथ मनमानी और उनसे लाभ के बदले पैसा मांगने के मामले पहले भी सामने आये हैं. गौरतलब है कि बीते दिनों आये तूफान के बाद तूफान पीडि़तों को राहत वितरण में पैसा मांगने को लेकर वार्ड संख्या 46 के पार्षद पति पर मामला दर्ज हुआ था. समस्या यह है कि ऐसी योजनाओं में जिसमें गरीबों को शत प्रतिशत लाभ सरकार द्वारा दिया जाता है, जम कर लूट-खसोट होती है. लाभुक भी इसलिए चुप्पी साधे रहते हैं कि जो मिल रहा है, वही काफी है. वहीं गड़गड़ी की बात सामने आने के बाद भी मामले की मुकम्मल जांच नहीं होती है.
25 से 30 हजार की हुई है वसूली
आवास योजना के लाभुकों से घर निर्माण के एवज में जम कर वसूली हुई. अधिकांश वार्ड पार्षदों ने खुद से डील किया तो कई जगह बिचौलिये भी हाबी रहे. दरअसल जिन्हें भवन आवंटन के बाद प्रथम और द्वितीय किस्त की राशि मिल गयी है, वे अब मन का डर हटा कर परदे के पीछे ही सही बोलने लगे हैं. इतना ही नहीं ऐसे लाभुक वार्ड के चुनाव में वैसे पार्षदों को सबक सिखाने की कस्में भी खाने लगे हैं. चर्चा अनुसार एक घर के लिए 25 से 30 हजार रुपये की अवैध वसूली हुई है.
जानकार बताते हैं कि आवास योजना में हुई अवैध कमाई में कई लोग शामिल हैं. बताया जाता है कि स्थल निरीक्षण सूची निर्माण से लेकर संबंधित कार्यालय के कई कर्मचारी तक चढ़ाव का असर दिखने के बाद ही फाइल बढ़ता है. बैंकों में खुले खाता में पैसा ट्रांसफर करने से लेकर भवन निर्माण के निगरानी में लगे लोगों की संलिप्तता की बातें भी सामने आने लगी है.