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महाश्रमण के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब
पूर्णिया : शुक्रवार को खुश्कीबाग आचार्य महाश्रमण के रंग में सराबोर नजर आया. सुबह करीब 07:30 बजे आचार्य महाश्रमण पूर्णिया के भट्ठा बाजार से अपना प्रवास खत्म कर खुश्कीबाग के लिए प्रस्थान किये. आगे-आगे श्रावक समाज तेरापंथ का ध्वज लिए अहिंसा यात्रा में कदम बढ़ा रहा था. आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ आगे […]
पूर्णिया : शुक्रवार को खुश्कीबाग आचार्य महाश्रमण के रंग में सराबोर नजर आया. सुबह करीब 07:30 बजे आचार्य महाश्रमण पूर्णिया के भट्ठा बाजार से अपना प्रवास खत्म कर खुश्कीबाग के लिए प्रस्थान किये. आगे-आगे श्रावक समाज तेरापंथ का ध्वज लिए अहिंसा यात्रा में कदम बढ़ा रहा था. आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ आगे बढ़ते रहे और कारवां बढ़ता चला गया. ऐसा लग रहा था मानो समूचा शहर अहिंसा यात्रा में शामिल हो चुका है.
सौरा नदी के पास महाश्रमण के स्वागत में खड़ी स्काउट-गाइड की छात्राओं ने बैंड के धुन के साथ स्वागत किया. महिला मंडल एवं कन्या मंडल की बहनें कतारबद्ध नारे लगाते चल रही थी. ‘ नेमा जी के लाल ने, धणी-धणी खंभा ‘, ‘ जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण ‘, ‘ तेरापंथ एक विधान, एक गुरू एक पहचान ‘ के गगन भेदी नारों से समग्र वातावरण गूंजायमान हो चला था. आचार्य महाश्रमण का कारवां जैसे ही खुश्कीबाग पहुंचा, दृष्य अलौकिक दिखने लगा. सड़क के दोनों तरफ लोगों की लंबी कतार लगी थी.
करीब 09:40 बजे आचार्य महाश्रमण स्टेशन रोड स्थित स्व धर्मचंद जी रांका के आवास में प्रवास के लिए पहुंचे. प्रवास स्थल पर कुछ क्षण विश्राम के बाद प्रवचन स्थल पर उपस्थित श्रावकों को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि स्वयं पर नियंत्रण से ही उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा. सत्य, अहिंसा, शांति और सद्भाव के वातावरण को समाज में स्थापित करने के लिए मनुष्य को पहले स्वयं पर नियंत्रण करने से ही विकास के सभी रास्ते खुलेंगे.
भाव वंदना में झुके सिर : पूर्णिया से खुश्कीबाग की चार किलोमीटर की दूरी कैसे सिमट गयी, लोगों को कुछ पता ही नहीं चला. स्त्री- पुरूष, बड़े-छोटे, अमीर-गरीब का फासला मिट चुका था. सड़क पर सफेद चोले में युवा श्रावकों के साथ नारंगी वस्त्र में महिला श्रावकों की लंबी कतार लगी हुई थी. गगन भेदी नारों से आसमान गूंजायमान था. सड़क किनारे खड़े लोग महाश्रमण की एक झलक को ललायित थे. वहीं अहिंसा यात्रा के सारथी के भाव वंदना के लिए हजारों सिर झुके हुए थे.
बच्चों ने निकाली झांकी : सुबह जब आचार्य महाश्रमण का कारवां धवल सेना के साथ चला, ठंड काफी अधिक थी. लेकिन ठंड के उपर उत्साह भारी साबित हुआ. अहले सुबह से ज्ञानशाला के बच्चे पतले सफेद कपड़ों में मुनि वेश भूषा में झांकियों में शामिल थे. बच्चों की झांकियां सद्भावना, नशा मुक्ति का संदेश दे रही थी. ठंड के बावजूद बच्चों का उत्साह चरम पर था.
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