हर धर्म देता है मोहब्बत का पैगाम: आचार्य धर्मस्वरूप बैसा. जिंदगी क्षणभंगुर है और मानव शरीर समाज को कुछ देने के लिए बना है. लेकिन आदमी सांसारिक मोह-माया के जाल में फंस कर अपना सामाजिक सरोकार भुला देता है. जब तक आदमी को आत्मबोध होता है तब तक समय समाप्त हो चुका होता है. इसलिए समय से पूर्व सचेत होकर जीवन को सदकर्म में बिताना चाहिए. उक्त बातें सदगुरु आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने सोमवार को प्रखंड के रौटा दास पुल के निकट आयोजित दो दिवसीय सदगुरु कबीर सदज्ञान यज्ञ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कही. आचार्य धर्मस्वरूप साहेब ने संत कबीर की वाणियों को उद्धृत करते हुए कहा कि इंसानियत और भाईचारा से बढ़ कर कोई दूसरी चीज नहीं होती है. आपस में मिल-जुल कर रहना सबसे अच्छी चीज है. दुनिया का कोई भी धर्म बांटने की इजाजत नहीं देता है बल्कि हर धर्म मोहब्बत का पैगाम देता है. हिंसा, झूठ, नफरत आदि से दूर रह कर एक-दूसरे के दुख-दर्द को आपस में बांटना ही सच्चे मानव की पहचान है. कहा कि जाति और धर्म मानव निर्मित है, परमेश्वर की नजर में इसका कोई औचित्य नहीं है. कहा कि मानव तन का समाज हित में सदुपयोग करें ताकि आनेवाली पीढ़ी सदकर्मों की वजह से आपको याद करे. इस मौके पर बड़ी संख्या में कबीर पंथ से जुड़े श्रद्धालु उपस्थित थे. फोटो: 19 पूर्णिया 5परिचय-प्रवचन सुनते श्रद्धालु
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हर धर्म देता है मोहब्बत का पैगाम: आचार्य धर्मस्वरूप
हर धर्म देता है मोहब्बत का पैगाम: आचार्य धर्मस्वरूप बैसा. जिंदगी क्षणभंगुर है और मानव शरीर समाज को कुछ देने के लिए बना है. लेकिन आदमी सांसारिक मोह-माया के जाल में फंस कर अपना सामाजिक सरोकार भुला देता है. जब तक आदमी को आत्मबोध होता है तब तक समय समाप्त हो चुका होता है. इसलिए […]
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