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पंचायत प्रतिनिधियों की शिकायत करनी है, तो शपथ पत्र जरूरी

पूर्णिया : पंचायत प्रतिनिधियों पर किसी प्रकार का आरोप लगाना अब आसान नहीं होगा. शिकायत करने के लिए शिकायतकर्ता को आवेदन के साथ अपना शपथ पत्र लगाना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर संबंधित आवेदन की जांच नहीं की जायेगी. दरअसल सरकार ने यह फैसला पंचायत प्रतिनिधियों पर लगाये जा रहे बेबुनियाद आरोपों की बढ़ती […]

पूर्णिया : पंचायत प्रतिनिधियों पर किसी प्रकार का आरोप लगाना अब आसान नहीं होगा. शिकायत करने के लिए शिकायतकर्ता को आवेदन के साथ अपना शपथ पत्र लगाना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर संबंधित आवेदन की जांच नहीं की जायेगी. दरअसल सरकार ने यह फैसला पंचायत प्रतिनिधियों पर लगाये जा रहे बेबुनियाद आरोपों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर लिया है. इस बाबत सरकार के पंचायती राज विभाग की ओर से अधिकारियों को निर्देश भी जारी किया जा चुका है.
आवेदन के साथ शपथ पत्र का देना अनिवार्य : सरकार की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक पंचायती राज व्यवस्था में किसी भी प्रतिनिधि के विरुद्ध आरोप लगाने के लिए आवेदक को शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा. इसमें आवेदक को यह घोषणा करनी होगी कि उसकी ओर से लगाये गये आरोप तथ्यपरक और सही हैं.
शपथ पत्र में आवेदक को यह उद्घोषणा करनी होगी कि जो आरोप पंचायत प्रतिनिधि पर लगाया गया है, उसके सभी तथ्य आवेदक के पास उपलब्ध हैं और जांच के दौरान भी आवेदक प्रशासन के समक्ष यह तथ्य उपलब्ध कराना होगा. आरोप गलत पाये जाने पर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सकती है. इसके उपरांत ही आवेदक के आवेदन पर अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी.
आरोप गलत हुए तो आवेदक के विरुद्ध कार्रवाई : जांच के दौरान तथ्यों को प्रस्तुत करने में भी आवेदक को प्रशासन को मदद करनी होगी.
आवेदक को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक के विरुद्ध जो भी आरोप लगाये गये हैं, वे सभी सही हैं. ऐसा होने पर संबंधित प्रतिनिधि के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. वहीं ऐसा नहीं होने पर आवेदक के विरुद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी. आवेदक पर प्रशासन को बेवजह परेशान करने तथा सरकारी कार्य को प्रभावित करने के मामले में कार्रवाई की जायेगी. दरअसल पंचायती राज विभाग ने यह निर्णय पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध लगाये जा रहे आरोपों की संख्या में लगातार हो रहे वृद्धि के मद्देनजर लिया है. विभाग का मानना है कि इससे आवेदनों की संख्या में कमी आयेगी तथा दोषी प्रतिनिधियों के विरुद्ध अधिक से अधिक कार्रवाई संभव हो सकेगी.
प्रतिनिधि को राहत, विरोधी की बढ़ी बेचैनी : पंचायती राज विभाग के निर्णय से पंचायत प्रतिनिधियों को राहत की सांस प्रदान की है. दरअसल पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध लगातार आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी. इससे अधिकारियों की भी काफी फजीहत होती थी. आवेदन की बढ़ती संख्या की मूल वजह पंचायत प्रतिनिधि की सक्रियता बतायी जाती है.
जानकारों की मानें तो पंचायत चुनाव में प्रतिनिधि के प्रतिद्वंदी रहे नेता हर समय प्रतिनिधि की नुश्ख निकालने की जुगत में रहते हैं. कई बार मंशा पूरी नहीं होने पर भी कुछ लोग पंचायत प्रतिनिधियों के विरोधी खेमे में शामिल हो जाते हैं. ऐसे लोगों का मूल उद्देश्य संबंधित पंचायत प्रतिनिधि को परेशान करना होता है. यही कारण है कभी वे स्वयं और कभी किसी और के माध्यम से लगातार पंचायत प्रतिनिधि के विरुद्ध आरोप लगा कर इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों के समक्ष करते हैं. हालांकि अधिकतर शिकायत तथ्यों से परे होते हैं और बेकार में प्रशासनिक अधिकारियों की फजीहत हो जाती है.
वहीं इसके कारण कई जरूरी कार्य भी प्रभावित होते हैं. यही कारण है कि सरकार के इस फैसले के कारण पंचायत प्रतिनिधियों को काफी राहत मिली है. विरोधियों की बेचैनी बढ़ गयी है. गौरतलब है कि पूर्व में पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध शिकायत के पूर्व किसी प्रकार के शपथ पत्र की आवश्यकता नहीं पड़ती थी. कोई भी व्यक्ति आसानी से पंचायत प्रतिनिधियों पर आरोप लगा सकता था.

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