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मंडी का चौताल: उच्च न्यायालय में मामला, मंडी में चर्चा

मंडी का चौताल: उच्च न्यायालय में मामला, मंडी में चर्चा पूर्णिया. गुलाबबाग स्थित किसानों के लिए बना चौताल एक बार फिर चर्चा में है. यह अलग बात है कि यह मामला पूर्व से उच्च न्यायालय में लंबित है. मंडी में चर्चा होना लाजिमी इसलिए है कि यह किसानों के हक से जुड़ा हुआ मामला है. […]

मंडी का चौताल: उच्च न्यायालय में मामला, मंडी में चर्चा पूर्णिया. गुलाबबाग स्थित किसानों के लिए बना चौताल एक बार फिर चर्चा में है. यह अलग बात है कि यह मामला पूर्व से उच्च न्यायालय में लंबित है. मंडी में चर्चा होना लाजिमी इसलिए है कि यह किसानों के हक से जुड़ा हुआ मामला है. चौताल को गुपचुप तरीके से बेचने की तैयारी जिस तरह से हो रही है, उससे राजनीति गरमाना भी तय माना जा रहा है. इस चर्चा के बाद किसान संघ और बिहार राज्य तौलक संघ ने आंदोलन की रणनीति पर विचार आरंभ कर दिया है. बड़ा सवाल यह भी है कि चौताल के लिए तौलक बहाल हैं और उनसे राजस्व भी वसूला जा रहा है. जबकि दूसरी ओर चौताल के अस्तित्व को ही समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. लिहाजा आने वाले दिनों में चौताल का मामला गरमाना तय है. चौताल को लेकर बैठक में होगी परिचर्चा चौताल के हस्तांतरण की चर्चा को लेकर किसान संघ और बिहार राज्य तौलक संघ की एक संयुक्त बैठक मंडी समिति में रविवार को होनी थी. यह बैठक किसी कारणवश नहीं हो सकी. उक्त आशय की जानकारी देते हुए तौलक संघ के अध्यक्ष भोलानाथ आलोक ने कई खुलासे किये हैं. उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन बाजार समिति के विघटन के बाद निसरण आदेश जो विभागीय आयुक्त ने विभाग को भेजा है, उसमें कहीं भी चौताल का भाड़ा लगाने का जिक्र नहीं है. अलबत्ता वर्ष 2013 में तत्कालीन एसडीएम राजकुमार द्वारा मनमाने ढंग से बनाये गये नियम के विरुद्ध बिहार राज्य तौलक संघ ने उच्च न्यायालय में सीडब्लूजेसी 336/93 रिट दायर किया गया है. उनका कहना है कि जब तक न्यायालय से कोई फैसला नहीं आता, तब तक विभागीय अधिकारियों को इंतजार करना चाहिए. किसानों की बढ़ सकती हैं मुश्किल चौताल के हस्तांतरण से सबसे अधिक परेशानी का सामना किसानों को करना पड़ सकता है. ऐसा होने पर कृषि जिंस को लेकर मंडी पहुंचने वाले किसानों का आशियाना ही समाप्त हो जायेगा. अक्सर ऐसा होता है कि पहले दिन कृषि जिंस की बिक्री नहीं होने पर किसान अपने जिंस को चौताल पर ही रखते हैं और अपना भी आशियाना चौताल को ही बनाते हैं. अगर चौताल नहीं रहा तो किसानों के पास अपने उत्पाद को रखने की जगह नहीं होगी और वे अपने उत्पाद को औने-पौने दाम में बेचने के लिए बाध्य होंगे. जाहिर है चौताल के नहीं रहने से बिचौलियों की बल्ले-बल्ले रहेगी.बेरोजगार बने हैं मंडी के तौलक चौतालों पर किसानों के अनाज के मापतौल एवं सुरक्षा को लेकर स्थापना काल में नियुक्त करीब 200 तौलकों को कृषि उत्पादन बाजार समिति द्वारा लाइसेंस निर्गत किया गया था. लेकिन स्थिति यह रही कि विभाग ने महज 70 लोगों को ही चौताल मुहैया कराया है. तौलक संघ की मानें तो अभी भी 100 से अधिक तौलक सड़क पर हैं, जिन्हें विभाग ने अब तक चौताल पर व्यवस्थित नहीं किया है. चौताल के साथ-साथ यह भी मामला गरमाने लगा है कि जब विभाग द्वारा लाइसेंसी तौलकों के लाइसेंस का नवीनीकरण कर राजस्व उगाही किया जाता है तो फिर इन तौलकों को किसानों के चौताल पर नियुक्त क्यों नहीं किया जा रहा है. टिप्पणी अगर किसानों एवं तौलकों के हित और रोजी-रोटी से सीधे जुड़े चौताल को लेकर कोई साजिश होती है तो यह न्यायालय के अवमानना का मामला बनता है. तौलक संघ सीधे उच्च न्यायालय में अवमानना का मामला दर्ज करा कर सड़क पर उतरेगा. भोलानाथ आलोक, अध्यक्ष, तौलक संघ फोटो:- 10 पूर्णिया 4परिचय:- मंडी स्थित चौताल

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