भगवान भरोसे है जिले का पशु चिकित्सालय – डॉक्टरों के 56 में से 27 पद रिक्त – अस्पताल में दवा का भी रहता है अभाव – ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे है पशुपालन —————————-पूर्णिया. जिला कृषि प्रधान हैं और यहां की अधिकांश आबादी का सहपेशा पशुपालन है. पशुपालन आर्थिक उपार्जन का एक सशक्त जरिया भी है. लेकिन समस्या यह है कि जिला का पशुपालन विभाग खुद बीमार है और यहां के पशुपालक भगवान भरोसे पशुओं का पालन कर रहे हैं. सरकारी स्तर पर भले ही जिला से लेकर प्रखंड तक पशु चिकित्सालय खुले हुए हैं, लेकिन यह अस्पताल हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. अधिकांश पशु चिकित्सालय न केवल डॉक्टरों और पारा कर्मियों की कमी को झेल रहा है, बल्कि दवा का भी यहां हमेशा टोटा रहता है. लिहाजा पशुपालक ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे है. स्वीकृत पदों की तुलना में आधा से अधिक पद वर्षों से रिक्त पड़ा है. डॉक्टरों के 56 में से27 पद रिक्त पड़े हैं. ऐसे में डॉक्टर एवं दवा के अभाव का दंश झेल रहे पशुपालन विभाग पशु पालको के लिए नकारा साबित हो रहा है. पशुपालन विभाग एक नजर में:पद—-स्वीकृत—कार्यरत—रिक्तडॉक्टर–56—–29——27लिपिक–06—–04——02पशुधन सहायक-32-13——19सांख्यिकी गणक-01-00—–01चारा अधिदर्शक-01-00—–01प्रगति सहायक–01-01——00सांख्यकि पर्यवेक्षक-01-00—01चालक———-03-01—02चतुर्थ वर्गीय——-91-45–46—————————-कुल——192—–93—-99—————————-अस्पताल है डॉक्टर नहींजिले के कुल 27 पशु अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है. जिसमें मीर गंज,चंपा नगर,बहदुरा,धमदाहा,रानीपतरा,डंगराहा,हक्का,गढ़िया बलुआ,कटहा,जानकी नगर,बनैली, दमगड़ा समेत कई जगहों में डॉक्टरों का पद कई वर्षों से रिक्त पड़ा है. इन इलाके के पशुपालक किसान पशुधन सहायक या फिर बाहर के डॉक्टरों से अपने पशुओं का इलाज कराते हैं. इतना ही नहीं कार्यरत डॉक्टरों में 13 डॉक्टर संविदा पर नियुक्त हैं. इन डॉक्टरों का अनुबंध फरवरी में समाप्त होने की बात बतायी जा रही है. ऐसे में आने वाले समय में डॉक्टरों की समस्या और भी गहराने की उम्मीद है. दवा के बिना होता है इलाजजिले के तमाम पशु चिकित्सालयों में कुल 32 दवा में से लगभग 15 दवा ही उपलब्ध है. जिसमें कई महत्वपूर्ण दवा के अभाव में पशु चिकित्सालयों की बेचारगी देखते ही बनती है. इन महत्वपूर्ण दवाओं में बी-कॉम्पलेक्स,कार्टिजन आदि दवा उपलब्ध नहीं होने से डॉक्टर एवं पशुपालक दोनो परेशान हैं. दवा के अभाव में पशुपालन विभाग बिल्कूल पंगु साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि दवा की आपूर्ति निविदा की प्रक्रिया में है. जानकार बताते हैं कि पूर्व में एक बार निविदा निकाली गयी थी. किंतु किसी ने दवा आपूर्ति में दिलचस्पी नहीं दिखायी. जिससे दवा की किल्लत उत्पन्न हो गयी है. ठंड जनित रोगों का मौसमठंड का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ रहा है. पशुओं में सर्दी,खांसी,बुखार,दस्त,कोल्ड डायरिया का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में डॉक्टर एवं दवा का अभाव जिले के पशु पालकों के लिए दाद में खाज साबित हो रहा है. चिकित्सकों के अभाव में सारा दारोमदार झोला छाप चिकित्सकों पर रहता है. अल्पज्ञानी ऐसे पशु चिकित्सकों की वजह से पशु धन प्रभावित हो रहे हैं. दूसरी ओर किसान इस वजह से आर्थिक शोषण के भी शिकार हो रहे हैं. टिप्पणी सीमित संसाधनों में हमें कार्य करने की विवशता है. फिर भी हम निकट वर्ती अस्पतालों के डॉक्टरों की सेवा लेकर काम चला रहे हैं. डॉ हेमंत कुमार,जिला पशुपालन पदाधिकारी,पूर्णियाफोटो: 5 पूर्णिया 02परिचय: पशुपालन विभाग
भगवान भरोसे है जिले का पशु चिकत्सिालय
भगवान भरोसे है जिले का पशु चिकित्सालय – डॉक्टरों के 56 में से 27 पद रिक्त – अस्पताल में दवा का भी रहता है अभाव – ग्रामीण चिकित्सकों के भरोसे है पशुपालन —————————-पूर्णिया. जिला कृषि प्रधान हैं और यहां की अधिकांश आबादी का सहपेशा पशुपालन है. पशुपालन आर्थिक उपार्जन का एक सशक्त जरिया भी है. […]
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