आम के पेड़ों में पर्याप्त मंजर लाने में इंडोल एसीटीक एसिड हारमोन की अहम भूमिका पूर्णिया. आम के पेड़ों में पर्याप्त और नियमित रूप से मंजर लाने में इंडोल एसीटीक एसिड वृद्धि नियंत्रण हारमोन की अहम भूमिका है. इसके कारण ही पेड़-पौधों में फलन-फूलन नियंत्रित होते हैं. उक्त बातें उपनिदेशक कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण(आत्मा) के उपनिदेशक हरिमोहन मिश्र ने कही है. उपनिदेशक आत्मा श्री मिश्र ने कहा है कि आम के पेड़ों में मंजर आने से पूर्व इन हारमोन का छिड़काव प्रति 10 लीटर पानी में ढ़ाई एमएल छिड़काव करने से नियंत्रित मात्रा में मंजर आते हैं. कीट व्याधि नियंत्रण आम के पेड़ों में पर्याप्त मंजर आने के बाद मंजर रस चूसक कीड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है. डायमिथोइट(रोगर) नामक दवा के छिड़काव से मंजरों में रस चूसक कीड़ों का प्रभाव कम हो जाता है. सरसों के आकार का आम के टिकोले होने पर तथा मटर के आकार का टीकोला होने पर पुन: रोगर का छिड़काव किये जाने पर आम की फसल की अच्छी पैदावार होती है. सफेद चूरनी पर नियंत्रण आम के टिकोले निकलने पर उसमें सफेद चूरनी नामक बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. श्री मिश्र ने बताया कि इसके निजात के लिए फेक्शाकोनाजोल 05 एसी दो एमएल या डायनोकेप ईसी की 02 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करने से सफेद चूरनी(फाडरी मिल्यू) पर नियंत्रण किया जा सकता है. अन्य दवाओं में माइक्लोव्यूटानील 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए. टीकोला झड़ने से बचाव आम के टिकोले को झड़ने या गिरने से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं के साथ प्लागेफिक्स नामक वृद्धि नियंत्रक हारमोन प्रति 10 लीटर पानी में ढ़ाई एमएल मिला कर छिड़काव करने से टिकोले को झड़ने से बचाया जा सकता है. जैविक विधि से उपचार आम की पर्याप्त फसल के लिए मंजरों का जैविक विधि से भी उपचार किया जाता है. इसके लिए नीम का तेल 1500 पीपीएम शक्तिशाली 05 एमएल का 05 लीटर पानी में घोल बना कर प्रथम छिड़काव फूल निकलने से पूर्व, द्वितीय फूल निकलने पर तथा तृतीय छिड़काव सरसों के दाना बराबर टीकोला होने एवं चौथा छिड़काव मटर के दाने के आकार का टीकोला होने पर किये जाने पर टिकोले को नुकसान से बचाया जाता है. लाही नियंत्रण लाही के नियंत्रण के लिए विमेरिया बेसियाना नामक जैविक कीटनाशक दवाओं का एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से मंजरों में लाही पर नियंत्रण किया जाता है. सफेद मक्खियों के प्रकोप से बचाव उपनिदेशक आत्मा श्री मिश्र ने कहा है कि आम के टिकोले पर सफेद मक्खियों का प्रकोप होने से फल ऊपर से देखने पर तो सामान्य लगता है, लेकिन फल के अंदर कीड़े एवं सफेद पिल्लू हो जाते हैं. इसके नियंत्रण के लिए प्रति पेड़ 04 मिथायल मूसीनोल ट्रेप का व्यवहार करने से आम के फलों को इन बीमारियों से बचाया जाता है. श्री मिश्र ने कहा है कि टेप में नर सफेद मक्खी फंस जाते हैं, जिससे सफेद मक्खियों का प्रजनन प्रभावित हो जाता है. जिससे उसकी संख्या कम हो जाती है और फसल पर प्रकोप कम हो जाता है. ट्रेप की अवधि 21 दिनों की होती है. कहते हैं पदाधिकारीउपनिदेशक आत्मा श्री मिश्र कहते हैं कि अमूमन दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के प्रथम सप्ताह में आम के पेड़ों में मंजर निकलने लगते हैं और इसके बाद मंजरों पर रस चूसक कीड़ों का प्रकोप होने लगता है, जिससे मंजर नष्ट हो जाते हैं और पर्याप्त टिकोले नहीं होते हैं. एकांतर फसल में समस्या यह होती है कि ऐसे पेड़ों में एक वर्ष पर्याप्त मंजर निकलते हैं तो दूसरे वर्ष कम. मंजर को नियमित करने के लिए इंडोल एसीटीक एसिड वृद्धि नियंत्रण हारमोन्स की बड़ी भूमिका है. इससे पौधे में फलन-फूलन नियंत्रित होते हैं.
आम के पेड़ों में पर्याप्त मंजर लाने में इंडोल एसीटीक एसिड हारमोन की अहम भूमिका
आम के पेड़ों में पर्याप्त मंजर लाने में इंडोल एसीटीक एसिड हारमोन की अहम भूमिका पूर्णिया. आम के पेड़ों में पर्याप्त और नियमित रूप से मंजर लाने में इंडोल एसीटीक एसिड वृद्धि नियंत्रण हारमोन की अहम भूमिका है. इसके कारण ही पेड़-पौधों में फलन-फूलन नियंत्रित होते हैं. उक्त बातें उपनिदेशक कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण(आत्मा) के […]
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