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मुख्यालय से लेकर कृषि मंडी तक जाम ही जाम, नहीं हुआ समाधान

मुख्यालय से लेकर कृषि मंडी तक जाम ही जाम, नहीं हुआ समाधान पूर्णिया. लाख कोशिशों के बावजूद भी शहर में जाम की समस्या का समाधान नहीं हुआ. इससे शहरवासियों की परेशानी धरी की धरी रह गयी. अब तो ग्रामीण इलाकों से जिला मुख्यालय तक आनेवाले लोग जाम की समस्या को लेकर पूर्णिया आने से भी […]

मुख्यालय से लेकर कृषि मंडी तक जाम ही जाम, नहीं हुआ समाधान पूर्णिया. लाख कोशिशों के बावजूद भी शहर में जाम की समस्या का समाधान नहीं हुआ. इससे शहरवासियों की परेशानी धरी की धरी रह गयी. अब तो ग्रामीण इलाकों से जिला मुख्यालय तक आनेवाले लोग जाम की समस्या को लेकर पूर्णिया आने से भी सहमने लगे हैं बल्कि अपने समय सारिणी में घंटे भर का इजाफा घर से निकलने का तय कर ही निकलते हैं. चाहे गुलाबबाग का जीरो माइल से शहर में प्रवेश करना हो या केनगर रूट से या फिर मरंगा होकर जिला मुख्यालय आना हो सब जगह हालात एक जैसे हैं.आप चाहे जो जतन कर लें जाम की परेशानियों से जूझना अब नियति बन गयी है. गुलाबबाग के सोनौली चौक, खुश्कीबाग कटिहार मोड़ के बाद सर्वाधिक जाम बस स्टैंड में लगता है जहां वाहनों के खड़ा करने का कोई सिस्टम बहाल नहीं हो पाया. बस स्टैंड से लेकर फोर्ड कंपनी चौक होते हुए लाइन बाजार तक एक ही तरह की हालत है. बस स्टैंड में बेतरतीब वाहनों के लगाने के कारण ये हालत है. बस स्टैंड के बगल में सरकारी बस पड़ाव है. वहां बाहर से आने वाली बसों के बैक करने की कोई सुविधा नहीं है. सभी सरकारी बसें मुख्य सड़क से सटे गुरूद्वारा रोड अथवा महबूब खान टोला जाने वाली सड़क के पास बसों को बैक कर पुन: स्टैंड में लाया जाता है. जिससे अक्सर मुख्य सड़क पर ही जाम लग जाता है. यही स्थिति फोर्ड कंपनी चौक पर जाम लगने का कारण फुटपाथ पर जगह का नहीं होना है. गिरजा चौक पर जाम लगने का मुख्य कारण टेंपो पड़ाव का नहीं होना है. जबकि शहर की सबसे अधिक संख्या में टेंपो यहीं से खुलती है. सनद रहे कि धमदाहा एवं बनमनखी और सरसी होते हुए अररिया के लिए बसें यहीं से खुलती है. उधर लाइन बाजार में जाम को लेकर रोज कुछ न कुछ हंगामा मचता है. शहर में वाहनों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गयी है. बस स्टैंड से लेकर लाइन बाजार तक सड़क के दोनों ओर बने फ्लैंक पर अवैध पार्किंग रहता है. बल्कि यातायात के नियमों को लेकर टेंपो सहित दुपहिया, चारपहिया वाहनों के चालक द्वारा संवेदनशील नहीं रहने के कारण तथा ट्रैफिक व्यवस्था की स्थिति निरंकुश रहने के कारण प्रतिदिन शहर में जाम का नजारा बना रहता है.छूट जाते हैं समय लेट होते हैं लोग जाम का आलम यह है कि सरकारी दफ्तरों में कार्यरत कर्मचारी, शिक्षक एवं स्कूली बच्चे अगर फंस गये तो स्कूल और दफ्तरों का समय छूट जाता है. ऐसे में उनका दफ्तरों में लेट पहुंचना सिस्टम बनने लगा है. हालात यह है कि जाम न तो खत्म हो रहा है और न ही चाह कर भी लोग समय से स्कूल और दफ्तरों में पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में महज एक जाम की समस्या के कारण कई परेशानियां आम आदमी के जीवन में रोज खड़ी होती है. वीआईपी और वीवीआईपी भी होते हैं रूबरू ऐसा नहीं है कि शहर के वीआईपी और वीवीआईपी इस जाम की समस्या से अवगत नहीं है. हर रोज इन्हें भी कहीं न कहीं किसी न किसी मोड़ पर जाम की समस्या से रूबरू होना पड़ता है. फर्क इतना है कि वीआईपी और वीवीआईपी की गाडि़यों की सायरन की आवाज होते ही चौराहे पर खड़े पुलिस वाले दौड़ पड़ते हैं और इन्हें रास्ता मिलता है और ये निकल जाते हैं. विडंबना तो यह है कि ये सारी परिस्थितियां इनके नजरों के सामने है लेकिन यह समस्या है कि इससे शहरवासियों को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. हुई थी बैठक, नहीं दिख रहा कोई असर शहर में जाम की स्थिति से निबटने के लिए बीते दिनों सदर एसडीएम एवं एसडीपीओ, नगर आयुक्त नगर निगम पूर्णिया, परिवहन अधिकारी अनिल कुमार के साथ शहर के सामाजिक संस्थाओं एवं व्यावसायिक संस्थाओं के लोगों के साथ नगर निगम के सभागार में बैठक आयोजित की गयी थी. बता दें कि बैठक में शहर के चौराहों पर ट्रैफिक बैरीकेटिंग लगाने से लेकर हर चौराहें पर ट्रैफिक पुलिस बहाल कर जाम से निपटने का फैसला लिया गया था बल्कि व्यवस्थित शहर और व्यवस्थित यातायात पर भी गंभीर रूप से चर्चाएं हुई थी. लेकिन पखवारा बीतने के बाद भी शहर का सुरते हाल यह है कि आज भी न तो कोई पहल हुई है न ही शहर को जाम से मुक्ति मिलने का दूर दूर तक संकेत दिखायी पड़ रहा है. फोटो: 4 पूर्णिया 5-भट्ठा बाजार में लगी जाम 6-आरएन साव चौक पर लगी जाम 7-लाइन बाजार में लगी जाम

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