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वर्ष 2015: चर्चित हत्याओं व चोरों की तीसमारी के नाम रहा साल

पूर्णिया : अपराध के लिहाज से वर्ष 2015 का सफर खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा रहा. कई चर्चित हत्याएं सुर्खियां बनीं, तो लूट व दुष्कर्म की घटनाओं से आम लोग हलकान रहे. वर्ष में चोरों की हेकरी कायम रही और पुलिस चोरों की तीसमारी के आगे पस्त नजर आयी. हालांकि वर्ष 2014 से वर्ष 2015 की […]

पूर्णिया : अपराध के लिहाज से वर्ष 2015 का सफर खट्टे-मीठे अनुभवों से भरा रहा. कई चर्चित हत्याएं सुर्खियां बनीं, तो लूट व दुष्कर्म की घटनाओं से आम लोग हलकान रहे. वर्ष में चोरों की हेकरी कायम रही और पुलिस चोरों की तीसमारी के आगे पस्त नजर आयी. हालांकि वर्ष 2014 से वर्ष 2015 की तुलना करें तो अपराध की घटनाओं में कमी आयी है.

वर्ष 2014 में 6492 कांड प्रतिवेदित हुए तो इस वर्ष 5151 कांड ही 15 दिसंबर तक प्रतिवेदित हुई. हत्या, डकैती और दुष्कर्म के मामले में भी कमी आयी. लेकिन कुछ चर्चित घटनाओं के उद्भेदन नहीं होने का मलाल भी आम लोगों को रह गया. आज भी रहस्य बना है नोट डबलर फानूस हत्याकांड वर्ष 2014 से ही गरीब जनता को करोड़ों का चूना लगाने वाले नोट डबलर गिरोह के सरगना मो फानूस की रहस्यमय मौत 31 जुलाई की शाम हो गयी.

पुलिस फाइलों में यह दर्ज है कि परेशान फानूस ने खुद को गोली मार ली. लेकिन पुलिस के इस तर्क को मानने के लिए फानूस के ग्रामीण भी तैयार नहीं हैं. इसकी वजह यह है कि फानूस को कोर्ट से जमानत मिल चुकी थी और जिस दिन उसकी मौत हुई, उस दिन उसे लोगों के पैसे वापस करने थे. अगर फानूस को आत्महत्या ही करनी होती तो वह उस दौरान ही कर लेता, जब वह पुलिस और बकायेदार के भय से गायब था. चर्चा तो यह भी है कि फानूस आज भी जिंदा है.

सच चाहे जो भी हो, लेकिन फानूस की मौत हत्या थी या आत्महत्या यह आज भी सवालों के घेरे में है. बौआ झा हत्याकांड का फिल्मी पटाक्षेप बड़ी पुरानी कहावत है कि हर हत्या के पीछे लेडिज या लैंड होता है. सदर थाना क्षेत्र के रामबाग में 14 अगस्त की रात जब जमीन कारोबारी रविशेखर उर्फ बौआ झा की चाकू गोद कर हत्या हुई थी तो परिजन इस हत्या के पीछे लैंड को कारण मान रहे थे. जबकि पुलिसिया तफ्तीश लेडिज की ओर इंगित करती रही.

जब मामले का उद्भेदन हुआ तो पूरा प्रकरण फिल्मी पटकथा जैसी दिखी. दरअसल बौआ झा की हत्या की सुपारी उसकी पत्नी काजल ने ही अपने आशिक ऋषिकेश यादव के साथ मिल कर अपराधियों को दी थी. दरअसल बौआ अपनी पत्नी को प्रताडि़त किया करता था. ऐसे में उसके लॉज में रह कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा ऋषिकेश काजल का नया हमदर्द बन कर सामने आया और बौआ झा के हत्या की पटकथा लिखी चली गयी.

हंगामेदार रहा बस ऑनर हत्याकांड पवन ट्रेवल्स बस के ऑनर पुनित चौधरी की हत्या 03 अगस्त को रामनगर में पीट-पीट कर कर दी गयी थी. हालांकि पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए हत्या में संलिप्त दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन लोगों में आक्रोश इस बात का था कि बड़े की नृशंस तरीके से पुनीत की हत्या हुई थी. पुनीत का कसूर केवल इतना था कि इलाके के आतंक नीरज यादव ने नशे में धुत होकर पुनीत से गुटखा मांगा था.

इनकार किये जाने पर पहले अपहरण किया और फिर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी. आक्रोशित लोगों ने तब शहर में बंद का आयोजन किया था और तोड़-फोड़ भी किया था.गैंगरेप से शर्मसार हुआ जिला जिले में घटित दो गैंगरेप की घटना से न केवल जिला शर्मसार हुआ, बल्कि आधी आबादी की सुरक्षा पर भी सवाल उठे. इस वजह से पुलिस को भी फजीहत झेलनी पड़ी.

05 जुलाई को सदर थाना क्षेत्र के ऐना महल स्थित सरदार टोला में एक 13 वर्षीया किशोरी के साथ गैंग रेप की घटना घटी. वहीं 22 जुलाई की देर संध्या कसबा थाना क्षेत्र के कुल्लाखास के एक 30 वर्षीया महिला के साथ ऑटो चालक सहित तीन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया. अगले सुबह पीडि़त महिला रामनगर के सड़क किनारे बेहोशी अवस्था में मिली.

16 जुलाई को बीकोठी थाना क्षेत्र के दिवराधनी गांव में एक पांच वर्षीया बच्ची के साथ उसके चाचा ने ही दुष्कर्म किया. हालांकि सुकून की बात यह है कि गैंगरेप की घटना में आरोपी सलाखों के पीछे है. नहीं हो सका दिलवर हत्याकांड का उद्भेदन 29 जुलाई को सहायक खजांची थाना क्षेत्र के सज्जाद नगर में इंटर के छात्र दिलवर आलम की धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड में पुलिस को अहम सुराग मिला इसके बावजूद अब तक उद्भेदन नहीं हो सका.

पुलिस द्वारा दिलवर के बरामद मोबाइल का कॉल डिटेल्स भी खंगाले गये. इस मामले में अनुसंधान में जुटी पुलिस ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि दिलवर की हत्या प्रेम प्रसंग में हुई.लेकिन दिलवर की प्रेमिका कौन थी और हत्यारे कौन थे, यह आज भी रहस्य बना हुआ है. इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है.

दूसरी तरफ हत्यारों को बेनकाब करने के लिए दिलवर के परिजन हर दिन थाना और अधिकारियों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. कई लूटकांड का नहीं हुआ उद्भेदन 06 अप्रैल को मरंगा थाना क्षेत्र के हरदा बाजार के सेंट्रल बैंक के सामने बाइक पर सवार आधा दर्जन नकाबपोश अपराधियों ने हथियार के बल पर टॉल टैक्स कर्मी से 6.72 लाख रुपये लूट लिया.

लूटकांड के दो सप्ताह तक पुलिस ने कई संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी भी की. लेकिन आज तक पुलिस अपराधियों के गिरोह का शिनाख्त नहीं कर पायी है. वहीं नवंबर माह में केनगर थाना क्षेत्र के बाघमारा बांध के निकट एक व्यवसायी कर्मी से 1.80 लाख रुपये की लूट हुई थी. लेकिन आज तक इस मामले का खुलासा नहीं हो सका है.

चोरों के हौंसले के आगे पुलिस रही पस्त वर्ष 2015 में चोरों की तीसमारी के आगे पुलिस बेहाल नजर आयी. शातिर चोरों ने एक-एक कर बंद घरों को अपना निशाना बनाया. संगठित गिरोह के द्वारा बंद घरों में चोरी की घटनाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. सफलतापूर्वक इस मायने में कि किसी भी चोरी के मामले का उद्भेदन पुलिस नहीं कर सकी.

चोरों की खासियत यह रही कि उसने केवल नगदी और जेवर को ही निशाना बनाया. पुलिस की तमाम कवायद चोरों के आगे बेकार साबित हुई. इस मामले में 16 जुलाई को मधुबनी स्थित कृष्णापुरी के एक युवक सुजीत की लाश मधुबनी दुर्गा स्थान स्थित एक विद्यालय में फंदे से लटकी मिली. पुलिस ने मौत से एक दिन पूर्व उसके घर में छापेमारी कर चोरी के जेवर व ताला काटने वाला एक मशीन भी बरामद किया था.

सुजीत गिरफ्तारी के बाद चोरी के राज और चोरों के सफेदपोश संरक्षकों के बाबत कुछ बता पाता, उससे पहले ही उसे मौत की नींद सुला दिया गया. चर्चा में रहा गुलाबबाग चावल व्यवसायी डाका कांड 01 दिसंबर की देर रात गुलाबबाग मंडी स्थित चावल व्यवसायी ओमप्रकाश गुप्ता के प्रतिष्ठान में हुई डकैती की घटना सुर्खियों में रही.

एक दर्जन हथियार बंद अपराधियों ने व्यवसायी से 30.50 लाख रुपये लूट कर चलते बने. इस बाबत व्यवसायियों ने डाका कांड के विरोध में एक दिन मंडी बंद रखा. एसपी निशांत कुमार तिवारी ने कांड के उद्भेदन में सदर एसडीपीओ सहित 10 थानाध्यक्ष एवं तकनीकी सेल के तीन अधिकारियों को लगाया.

इस मामले में पुलिस ने लाइनर सहित चार अपराधियों को गिरफ्तार किया और लूट के 3.65 लाख की बरामदगी की. इस कांड के अनुसंधान में प्रतिनियुक्त एसआई संजीव कुमार रजक की मौत सड़क हादसे में हो गयी. एसआई की मौत के बाद अनुसंधान में जुटी पुलिस टीम के तेवर ठंडे पड़ गये.

एक वर्ष मेंं बदले गये तीन एसपी इस वर्ष तीन एसपी का तबादला चर्चा में रहा. अजीत कुमार सत्यार्थी के बाद निशांत कुमार तिवारी को पूर्णिया का एसपी बनाया गया. तीन माह के बाद एसपी श्री तिवारी का तबादला गया कर दिया गया और पटना के एसएसपी विकास वैभव को पूर्णिया का एसपी बनाया गया.

लगभग दो सप्ताह के अंदर एसपी श्री वैभव का तबादला पुन: पटना कर दिया गया और गया में पदस्थापित किये गये एसपी निशांत कुमार तिवारी को पुन: पूर्णिया का एसपी नियुक्त किया गया. अपराधिक घटना एक नजर में(15 दिसंबर तक )

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