पूर्णिया : विश्व बैंक के सहयोग से जिले के दस प्रखंडों की 16 पंचायत में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगभग 36 करोड़ की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया जायेगा. जलमीनार के बाद पाइप लाइन बिछा कर स्वच्छ पेयजल ग्रामीणों के घर तक पहुंचाया जायेगा.
ग्रामीणों को इस जलमीनार से सप्ताह के सात दिन 24घंटे जलापूर्ति की जायेगी. परियोजना को लेकर निविदा की प्रक्रिया जारी है. गौरतलब है कि जिले में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता आज भी एक अहम समस्या है. यहां के पेयजल में लौह तत्व की मात्रा अधिक पायी जाती है. यही वजह है कि वर्षों पूर्व से पूर्णिया को काला पानी के रूप में भी जाना जाता रहा है. विश्व बैंक की कवायद सरजमी पर उतर सकी तो स्वच्छ पेयजल का सपना पूरा हो सकेगा.
हालांकि अभी केवल 16 पंचायत को ही इस दायरे में रखा गया है, जो नाकाफी है. यहां -यहां होगी जलापूर्तिप्रखंड—- —-गांवजलालगढ़—निजगेहुंमाकेनगर —–परोरा, बिठनौलीपूर्णिया पूर्व–चांदी, महाराजपुरडगरुआ—-चिकनी, बेलगच्छीकसबा—–सब्दलपुर, मटकोपाश्रीनगर—–खोखा, सिंघियाबी कोठी—-बालूटोलबनमनखी —लादुगढ़, काझीरुपौली—–सपहाअमौर —-चंदवारएक लाख से अधिक घर होंगे लाभान्वित जिले के इन 16 पंचायत को स्वच्छ पेयजल देने की योजना पर काम शुरु कर दिया गया है.
विश्व बैंक के इस महत्वकांक्षी योजना से इन चयनित गांवों के लगभग 01 लाख 10 हजार 367 लोगों के घरों में स्वच्छ पेयजल मिल सकेगा. परियोजना का डीपीआर तैयार हो चुकी है. संविदा की प्रक्रिया पूरे होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जायेगा. इस परियोजना के पूरे होने से क्षेत्र में जल जन्य रोगों में कमी आने की संभावना है.
सर्वे के बाद हुआ पंचायत का चयन जानकारी अनुसार जिले के दस प्रखंडों के चयनित सोलह पंचायत में पानी अत्यंत ही दुषित पाया गया. यह नतीजा पीएचइडी विभाग की ओर से चापाकलों के पेयजल के जांच के बाद सामने आयी. पानी जांच में इन गांवों के पानी की गुणवत्ता निम्न स्तर का पाये जाने के कारण विश्व बैंक ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने के लिए इन गांवों का चयन किया गया.
विभाग के अनुसार इन पंचायतं के अधिकांश लोग जल जनित रोगों से भी आक्रांत होते रहे हैं. सुविधा के लिए देने होंगे मामूली शुल्क इस परियोजना के तहत पंचायत के लोगों को स्वच्छ पेय जल बिल्कुल नि:शुल्क उपलब्घ कराया जायेगा. किंतु लोगों को कनक्शन अपने घरों तक ले जाने के लिए मामूली शुल्क वहन करना होगा.
सामान्य लोगों के लिए कनक्शन 450 रुपये विभाग के पास जमा कराने होंगे, जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के लाभूकों को मात्र 250 रुपये में साफ एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो जायेगा. ग्रामीणों को शुद्ध स्वच्छ पेयजल सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे मिल सकेंगे.इन रोगों से होगा बचावदूषित पेयजल से लोग पीलिया, पोलियो, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, संक्रामक यकृत शोथ, चेचक, आतिशार, पेचिस, मियादी बुखार, हैजा आदि से पीड़ित होते हैं.
इसके विषाणू एवं जीवाणु संक्रमित दूषित जल से उत्पन्न होते हैं. साथ ही पानी में कई विषैले तत्व भी होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. पानी में मौजूद कैडमिम, लेड, मरकरी, सिल्वर, निकेल, अर्सेनिक , लोहा आदि तत्व मानव के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले तत्व हैं. ऐसे में साफ एवं स्वच्छ पेयजल ग्रामीण इलाकों के लिए वरदान साबित होगा. पूर्व के अनुभव रहे हैं खट्टेआजादी के 68 साल बीत चुके हैं और विडंबना यह है कि आज भी जिले वासियों को स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हो पाता है.
अगर पेयजल की बात करें तो उस नजरिये से आज भी यह इलाका काला पानी ही है. फर्क अब केवल इतना है कि विकास के इस दौर में बाजार में आधुनिक किस्म के वाटर फिल्टर उपलब्ध हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब फिल्टर पानी का प्लांट आरंभ हो चुका है. यह वाटर फिल्टर और फिल्टर प्लांट किस हद तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराता है,
यह तो जांच का विषय है, लेकिन विकल्प अब संपन्न लोगांे के पास उपलब्ध है. वहीं आज भी गरीब तबके के लोग आयरन युक्त पानी पीने को विवश हैं. पूर्व में धमदाहा हो या रूपौली या अमौर और बैसा, जलमीनार पूर्व में भी लगाये जा चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश किसी जलमीनार से आम लोगों को लाभ नहीं मिल सका है.
देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जलमीनारों का हश्र क्या होता है. टिप्पणी ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत विश्व बैंक यह परियोजना ला रही है. जिसका निविदा प्रक्रिया चल रहा है. निविदा होेते ही परियोजना पर कार्य आरंभ कर दिया जायेगा. परमानंद प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी,