पूर्णिया : स्वच्छता और जनहित को लेकर जिला प्रशासन, नगर निगम या फिर जन प्रतिनिधि चाहे जितना ढोल पीट ले लेकिन गुलाबबाग के अंतरराष्ट्रीय टर्निंग प्वाइंट यानी गुलाबबाग के जीरो माइल स्थित चौराहे पर सभी दावों की पोल खुल जाती है. यहां हालात यह है कि एक अदद शौचालय के अभाव में प्रतिदिन करीब दो से तीन हजार महिला व पुरुष बेपर्द होने को विवश हैं.
वादों के गुब्बारा पर सपनों का सैर कराने में किसी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इस चौराहे से गुजरने वाले यात्री ड्राइवर, खलासी, व्यापारी, व्यवसायी, मजदूर या फिर ऑटो ड्राइवरों के साथ यहां के फुटपाथ दुकानदार सब तकरीबन सात वर्षों से इस विवशता के बीच बेपरदा होकर दिनचर्या से निवृत्त होते हैं.
विडंबना यह है कि नेशनल हाइवे का ईस्टवेस्ट कॉरिडोर बनने के पहले तो यहां शौचालय था लेकिन सड़क निर्माण के समय उसे तोड़ दिया गया था. लेकिन उसके बाद किसी ने यहां इस समस्या को लेकर पहल नहीं की, हां आश्वासनों का घुंट सबने पिलाया.
फिलहाल स्थिति यह है कि खुले में हर रोज जहां करीब दो हजार लोग सड़क किनारे शौच को विवश है वहीं ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर पर सफर करने वाले यात्री प्रतिदिन बेपरदा होकर शर्मसार हो रहे हैं.यहां है ऑटो व बस स्टैंड इस अंतरराष्ट्रीय टर्निंग प्वाइंट से हर रोज करीब दो हजार से अधिक गाड़ियां गुजरती है.
इस चौराहे पर हर रोज ऑटो पड़ाव के साथ ऑटो स्टैंड को लेकर करीब पांच सौ ऑटो का आना जाना है. इतना ही नहीं यहां से असम, भूटान, बंगाल के अलावा सीवान, छपरा, सिलीगुड़ी, कोलकाता, मुजफ्फरपुर, पटना, रांची, दरभंगा इत्यादि बड़े शहरों की गाडि़यां ठहरती और खुलती है.
हर रोज लगता है यात्रियों का मेला पूर्णिया के अन्य प्रखंडों एवं जिला मुख्यालय आने जाने वाले ऑटो यात्रियों के अलावा बंगाल, असम, भूटान, पटना, सीवान, छपरा वगैरह जानेवाले या फिर वहां से लौटने वाली महिला एवं पुरुष यात्रियों का मेला दिन रात इस चौराहे पर लगा रहता है. इसके अलावा इस चौराहे से महज तीन सौ मीटर की दूरी पर बहुचर्चित व्यवसायिक मंडी होने के कारण सीमांचल के व्यापारी और किसान भी यहीं से बस या फिर ऑटो की सवारी करते हैं.
करीब एक हजार हैं दुकानें व्यवसायिक मंडी का सटा होना और राष्ट्रीय राजपथ के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का मुख्य टर्निंग प्वाइंट होने के कारण यहां चाय-नाश्ते की दुकान, होटल, पान की दुकान से लेकर पंक्चर, लेथ, टायर की दुकान तथा मिसलेनियस से लेकर दवा की तकरीबन एक हजार दुकानें इस चौराहे के चारों दिशाओं के आस पास है. अलबत्ता लंबी दूरी की बसें एवं गाडि़यां यहां ठहरती है.
लेकिन शौचालय के अभाव में यह लोग खुले में शौच करते हैं जिससे यहां का वातावरण दूषित हो रहा है. 2006 के बाद उठते रहे सवाल, नहीं हुई पहल उपलब्ध जानकारी के अनुसार हाइवे निर्माण के बाद वर्ष 2006 से ही यहां शौचालय निर्माण को लेकर आवाजें उठती रही है. बताया जाता है कि पूर्व में भी कई जनप्रतिनिधियों ने शौचालय निर्माण की आवश्यकता पर हामी भरी थी.
लेकिन भूल गये. इसके अलावा वर्ष 2013 में तत्कालीन सदर एसडीएम राजकुमार ने इस चौराहे पर शौचालय निर्माण को लेकर सर्वे कराया था लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही उनका तबादला हो जाने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया.लाखों का होता है राजस्व वसूली बता दे कि गुलाबबाग जीरो माइल के इस चौराहे पर नगर निगम का ऑटो स्टैंड अवस्थित है.
बताया जाता है कि इस ऑटो स्टैंड के डाक से प्रति वर्ष निगम को लाखों रुपये की आमदनी होती है बल्कि इस परिक्षेत्र का नगर निगम के अंतर्गत होना और यहां दुकानों का सजना कॉमर्सियल आमदनी टैक्स के रूप में नगर निगम को होता है.
इसके बावजूद अब नगर निगम बेपरवाह बना हुआ है.निगम के पास है वैकल्पिक व्यवस्था, नहीं है इच्छा शक्ति भले ही निगम स्वच्छता का ढोल पीट ले लेकिन उसके इच्छा शक्ति ने जवाब दे दिया है. यह कड़वा सत्य है परंतु हकीकत भी है. सच्चाई यह है कि वर्तमान में निगम के पास तीन-तीन भ्रमणशील शौचालय है
शहर में स्वच्छता को लेकर लाखों की लागत से इसकी खरीदारी हुई है. लेकिन विडंबना यह है कि स्वच्छता और जनहित के नाम पर ढोल पीटने वाला नगर निगम इस चौराहे पर खुले में शौच की आम-आदमी की विवशता पर शर्माने से भी गुरेज कर, यहां अब तक वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं कर पाया है. फोटो: 6 पूर्णिया 15परिचय: जीरो माइल चौराहा.