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शांति और धर्म पर न्योछावर की शक्षिा देता है मुहर्रम : मौलाना रजा

शांति और धर्म पर न्योछावर की शिक्षा देता है मुहर्रम : मौलाना रजा श्रीनगर. मुहर्रम शांति और धर्म पर न्योछावर होने की शिक्षा देता है. इस दिन रोजा रखें और अच्छा खाना पका कर गरीबों को खिलायें. उक्त बातें टेन प्लस टू मदरसा अशरफिया रहमानिया मथौर के मौलाना मसरूर रजा ने कही. उन्होंने कहा कि […]

शांति और धर्म पर न्योछावर की शिक्षा देता है

मुहर्रम : मौलाना रजा श्रीनगर. मुहर्रम शांति और धर्म पर न्योछावर होने की शिक्षा देता है. इस दिन रोजा रखें और अच्छा खाना पका कर गरीबों को खिलायें.

उक्त बातें टेन प्लस टू मदरसा अशरफिया रहमानिया मथौर के मौलाना मसरूर रजा ने कही. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जो तरीका मुसलिम समाज में फैला है, इसलाम धर्म में उसका कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन हजरत मोहम्मद का नवासा और हजरत अली के पुत्र थे.

उनके दादा का नाम हजरत अबु तालिब एवं मां का नाम हजरत फातिमा था. मौलाना अब्दुल गफ्फार बरकाती ने कहा है कि उस समय हजरत अमीर मानिया शाम (सीरिया) के खलिफा थे. इसलामी हुकूमत में उनका आचरण व्यवहार इसलाम के अनुकूल नहीं था. फिर भी वह हुसैन को अपना समर्थन करने को कहा, लेकिन उन्होंने उन्हें खलीफा मानने से इनकार कर दिया.

इनकार करने पर याहिद अपने 22 हजार सैनिकों के साथ हुसैन और उसके अनुयायियों पर आक्रमण कर दिया, पानी बंद कर दिया. लड़ाई इराक के कूफा शहर के निकट फैरात नदी के तट पर हुई , जिसे करबला कहा जाता है. लड़ाई में हुसैन के पुत्र जैनुल आबेदीन शहीद हो गये. उसी दिन से मुसलमान इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम मनाते हैं. फोटो: 20 पूर्णिया 26-ताजिया की तैयारी करते लोग

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