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चंपानगर ड्योढ़ी: 265 वर्षों से होती रही है पूजा

चंपानगर ड्योढ़ी: 265 वर्षों से होती रही है पूजा केनगर. चंपानगर ड्योढ़ी स्थित देवी मंदिर में सन 1750 ई से माता दुर्गा की पूजा होती आ रही है. बनैली राज परिवार ने मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की थी और तभी से यह आध्यात्मिक उत्सव प्रति वर्ष मनाया जा रहा है. यहां […]

चंपानगर ड्योढ़ी: 265 वर्षों से होती रही है पूजा केनगर. चंपानगर ड्योढ़ी स्थित देवी मंदिर में सन 1750 ई से माता दुर्गा की पूजा होती आ रही है. बनैली राज परिवार ने मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत की थी और तभी से यह आध्यात्मिक उत्सव प्रति वर्ष मनाया जा रहा है. यहां की मूर्ति निर्माण की कला अति प्राचीन है. जिसमें मिथिलांचल की परंपरागत शैली की झलक भी देखने को मिलती है. कई मंदिरों का हुआ निर्माण चम्पानगर ड्योढ़ी बनैली राज परिवार के विनोदानंद सिंह एवं प्रसिद्ध साहित्यकार कुमार गिरजानंद सिंह ने बताया कि वर्ष 1750 में उनके पूर्वजों ने माता काली मंदिर की स्थापना की थी. उन्होंने बताया कि राज परिवार के राजा बहादुर कृत्यानंद सिंह ने 1869 ई में माता भगवती के भव्य मंदिर का निर्माण कराया. बनैली राज परिवार की ओर से देवी भगवती के कई मंदिर बनाये गये. अमौर गढ़ का मंदिर 1750 मे, 1780 ई में बनैली, 1850 में श्रीनगर, 1855 ई में रामनगर, 1869 में चम्पानगर और 1920 ई में गढ़बनैली में मंदिर निर्माण कराया गया. वर्ष 1920 में ही गढ़बनैली राज ड्योढ़ी की स्थापना भी हुई. बताया जाता है कि आरंभ से आज तक सभी मंदिरों में मां आदिशक्ति दुर्गा देवी की पूजा अर्चना होती चली आ रही है. यहां गूंजती थी बिसमिल्लाह खान की शहनाई राजा बहादुर कृत्यानंद सिंह के बड़े पुत्र राजा कुमार श्यामानंद सिंह प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे. दुर्गा पूजा, काली पूजा एवं अन्य धार्मिक उत्सव के दौरान राजा श्री सिंह का संगीत दरबार लगता था. जिसमें देश के ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायकों का गायन होता था. उस्ताद फैयाज हुसैन, बड़े गुलाम अली, केशर बाई केरकर, मुजफ्फर हुसैन एवं पंडित जसराज आदि शास्त्रीय संगीतज्ञों का यहां गायन होता था और बिसमिल्लाह खान की शहनाई की गूंज से चम्पानगर ड्योढ़ी और आस पास का वातावरण संगीत मय हो उठता था. बताया जाता है कि सन 1938 से 1975 ई तक यह परंपरा कायम रहा.लगता है विशाल मेला दुर्गा पूजा के मौके पर चम्पानगर देवी मंदिर परिसर में विशाल मेला का आयोजन होता है. जिसमें पूर्णिया के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, कटिहार, भागलपुर एवं किशनगंज से बड़ी संख्या में लोग यहां मेला देखने और पूजा पाठ करने पहुंचते हैं. मेला में मनोरंजन तथा खाने पीने के दुकानों के साथ लकड़ी के बने चीजों का बड़ा व्यापार होता है. फोटो: 7 पूर्णिया 19परिचय: चम्पानगर ड्योढ़ी का प्रसिद्ध माता दुर्गा मंदिर

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