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गर्भवती की लिखित सहमति से ही हो सकती है गर्भ जांच

पूर्णिया: धमदाहा प्रखंड के कुंआरी पंचायत भवन में रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. पूर्णिया के विधि परामर्शी दिलीप कुमार दीपक अधिवक्ता ने इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 एवं जन्म पूर्व परीक्षण तकनीक के […]

पूर्णिया: धमदाहा प्रखंड के कुंआरी पंचायत भवन में रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. पूर्णिया के विधि परामर्शी दिलीप कुमार दीपक अधिवक्ता ने इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 एवं जन्म पूर्व परीक्षण तकनीक के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यशाला या सेंटर या प्रयोगशाला की ओर से लिंग निर्धारण संबंधी जांच नहीं की जायेगी. इसके लिए जन्म पूर्व परीक्षण तकनीक अधिनियम 1984 में यह प्रावधान किया गया है कि यह जांच तभी की जायेगी जब संतानोत्पत्ति के पूर्व किसी विसंगति, जो वंशानुसार या अन्य बीमारी के संबंध में हो और जब गर्भवती महिला लिखित रूप से अपनी सहमति दे.

श्री दीपक ने कहा अधिनियम 1971 गर्भ समापन करने के लिए दो चिकित्सक का एकमत होना जरूरी है. यदि चिकित्सक को यह लगे कि गर्भ के बने रहने से गर्भवती के जीवन को या उसके शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है तभी गर्भ का समापन किया जा सकता है. इस अवसर पर पारा विधिक स्वयंसेवक उपेंद्र कुमार झा, मुखिया मैमुन निशा, अनिल शर्मा, उप मुखिया नितेंद्र कुमार सिंह, सर्वेश्वर कुमार सिंह, कमल नाथ झा, ज्ञानेंद्र शेखर, उमा देवी, रेणु देवी इत्यादि मौजूद थे.

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