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भ्रम में न रहें, यह आश्रय स्थल आपलोगों के लिए नहीं बना है!

एक करोड़ की लागत से बना दो आश्रय स्थल बढ़ा रहा शोभा मुसाफिरों को नहीं मिलता आश्रय स्थल का लाभ भटकते हैं इधर-उधर निगम का आश्रय स्थल क्लब व युवाओं के लिए गोष्ठी का स्थल बना पूर्णिया : तकरीबन एक करोड़ की लागत से शहर के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर रेलवे जंक्शन के नजदीक […]

एक करोड़ की लागत से बना दो आश्रय स्थल बढ़ा रहा शोभा

मुसाफिरों को नहीं मिलता आश्रय स्थल का लाभ भटकते हैं इधर-उधर
निगम का आश्रय स्थल क्लब व युवाओं के लिए गोष्ठी का स्थल बना
पूर्णिया : तकरीबन एक करोड़ की लागत से शहर के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर रेलवे जंक्शन के नजदीक बना निगम का आश्रय गृह अब क्लब और युवाओं के गोष्ठी का स्थल बन गया है. एक वर्ष पहले बनकर तैयार आश्रय गृह को सजाने और संवारने का निगम का वायदा महज एक दिवा स्वप्न बनकर रह गया है. पूर्णिया जंक्शन के नजदीक बने आश्रय गृह और पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के सामने बने आश्रय गृह जिस उद्देश्य से निगम द्वारा बनाया गया था वह आधिकारिक उपेक्षा के कारण भटकता नजर आ रहा है. हालांकि आज भी निगम इन आश्रय गृह को आबाद करने का दावा कर रहा है, लेकिन इस तरह का दावा निगम पहले भी करता रहा है. मुकम्मल पहल के अभाव में आज भी शहर में आश्रय गृह सपना बना हुआ है .
यात्रियों की सुविधा के लिए हुआ था निर्माण
प्रमंडलीय मुख्यालय में कोर्ट कचहरी, अस्पताल, व्यापार, शिक्षा सहित अन्य कारणों से आने वाले यात्री, छात्र, रोगी, व्यापारी, किसान को अगर पूर्णिया में किसी कारण से रात में रुकने की नौबत आ जाये तो वे इसी आश्रय स्थल में रुके, जहां सहज रूप से आश्रय गृह में कमरा उपलब्ध हो सके. अपने शहर में आने वाले अतिथियों को रात गुजारने के लिये प्लेटफॉर्म, सड़क और धर्मशाला में भटकना नहीं पड़े. इसे ध्यान में रख जंक्शन और स्टेशन पर यह सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय निगम ने लिया था. नगर निगम ने शहर के दोनों छोर पर अवस्थित पूर्णिया कोर्ट स्टेशन और पूर्णिया जंक्शन के पास आश्रय गृह का निर्माण कराया था. इस आश्रय गृह में बेड, शौचालय, इत्यादि आवश्यक सुविधाओं से आश्रय गृह को संवारने की योजना भी थी.
विडंबना तो यह है कि आम आदमी की गाढ़ी कमाई जो टैक्स के रूप में निगम वसूल कर शहर को व्यवस्थित करने और जन सुविधाओं की मुकम्मल बहाली के लिए खर्च करता है उसके प्रति संवेदनशील नहीं दिख रहा है . लापरवाही का आलम यह है कि निगम ने आश्रय गृह की महत्वाकांक्षी योजना के तहत आश्रय गृह का निर्माण तो कराया लेकिन उसके शुभारंभ और सुरक्षा और उसकी देख रेख के लिये कोई ठोस रणनीति निगम ने नही बनायी. नतीजतन निगम द्वारा निर्मित आश्रय भवन में कही क्लब चलाया जा रहा है और कही स्थानीय पार्षद के चहेतों का डेरा बना हुआ है. इन दोनों आश्रय स्थल का सूरते हाल यह है कि भवन के कमरों में गुटखा और पान के शौकीन दीवारों को रंगीन कर मौज मस्ती करते हैं. इसका कोई देखनहार नही है .
एक करोड़ हुआ खर्च पर आमदनी सिफर
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक 44 लाख की लागत से पूर्णिया कोर्ट स्थित आश्रय गृह का निर्माण किया गया था. इसी आस पास पूर्णिया जंक्शन के नजदीक बने आश्रय गृह के निर्माण में खर्च निगम द्वारा किये गये थे. वर्ष 2016 के अंत और 2017 की शुरुआती दौर में जब आश्रय गृह बनकर तैयार हुआ था तब तत्कालीन नगर आयुक्त ने आश्रय गृह को मॉडल आश्रय गृह बनाने की योजना बनायी थी. इसमें सभी सुविधाएं मौजूद हों, ताकि आश्रय गृह आकर्षण का केंद्र बने और निगम को इससे आमदनी भी हो . गौरतलब है कि इस योजना में निगम ने भवन के अलावा बिजली पानी टंकी और आश्रय के कमरों में रोशनी की व्यवस्था कर निगम का खर्च तो बढ़ा दिया लेकिन इसे पूर्ण रूपेण व्यवस्थित कर इसे चालू करने की कोशिश नही की गई.
निगम को होती लाखों रुपये की आमदनी
कहते हैं, अगर एक वर्ष पूर्व आश्रय गृह को लेकर बनी योजना को निगम ने पूरा कर आश्रय स्थल को चालू कर दिया होता तो अब तक निगम को लाखों की आमदनी हो गयी होती. विदित हो कि प्रमंडलीय मुख्यालय में कोर्ट कचहरी के मुकदमों, प्रमंडलीय मुख्यालय में ऑफिस के काम और अस्पताल में इलाज कराने एवं शिक्षण संस्थानों में पढ़ने परीक्षा देने आये लोगों के साथ व्यापारी किसान और अन्य यात्रियों को रात गुजारने के लिए प्लेटफॉर्म पर भटकने तथा महंगे होटल में जेब ढीली करने से राहत तो मिलती ही बल्कि निगम के आमदनी का स्रोत उसके खजाने में इजाफा करने में सहायक होता .बहरहाल निगम शीघ्र शहर के आश्रय स्थल को शुरू करने का दावा कर रहा है.

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