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भूसे के दाम में बिक रहा है मक्का

गुलाबबाग में मक्के की रेट 1050 रुपये क्विंटल पूर्णिया : सीमांचल के किसानों की किस्मत मारी गयी. खून-पसीने से सींचा गया मक्का आज भूसा के दाम में बिक रहा है. गेहूं का भूसा एक हजार रुपये प्रति क्विंटल है, तो मक्का का दाम खुले बाजार में 1050 रुपये प्रति क्विंटल. मुनाफे की बात तो दूर […]

गुलाबबाग में मक्के की रेट 1050 रुपये क्विंटल

पूर्णिया : सीमांचल के किसानों की किस्मत मारी गयी. खून-पसीने से सींचा गया मक्का आज भूसा के दाम में बिक रहा है. गेहूं का भूसा एक हजार रुपये प्रति क्विंटल है, तो मक्का का दाम खुले बाजार में 1050 रुपये प्रति क्विंटल. मुनाफे की बात तो दूर लागत खर्च भी नहीं निकल रहा और उस पर महाजन का कर्ज अलग से बोझ बन गया है. किसान आखिर करें तो क्या करें. यही इकलौता कैश क्रॉप है जिस पर उनकी दुनिया आबाद होती है मगर जो हालात बने हैं उसमें उनके सामने खुदकशी की राह ही निकल रही है. एक अनुमान के मुताबिक सीमांचल के किसानों को इस साल चार सौ करोड़ का घाटा लगेगा. दरअसल, मक्का की खेती में सीमांचल के
भूसे के दाम…
किसान पिछले चार सालों से घाटे का दंश झेल रहे है . इस बार तो सबसे निचले स्तर पर मक्का का दाम पहुंच गया है और इस पर भी खरीदार नही मिल रहे हैं. गौरतलब है कि एक जमाने में जूट मुख्य कैश क्रॉप था. उसके बाद सूर्यमुखी और केला ने कैश क्रॉप का रुप लिया पर सबमें दाम का खेल चला. बीच के दौर में अचानक मक्का का डिमांड बढ़ा तो किसानों ने सारी फसलें छोड़ कर मक्का की खेती शुरू कर दी. शुरुआती दौर में 15-16 सौ के दाम मिले तो किसानों का उत्साह भी बढ़ा. मगर अचानक इसके दाम में गिरावट आ गई और इसका दाम लुढ़क कर एक हजार से 1050 तक पहुंच गया जबकि इसका समर्थन मूल्य 14 सौ रुपये प्रति क्विंटल है.
कोलकाता व दिल्ली तय कर रहे दाम
पूर्णिया की मंडी में कृषि उत्पादों के दाम कोलकाता,दिल्ली , गुजरात हरियाणा और पंजाब की कंपनियां तय कर रही हैं. पूर्णिया के गुलाबबाग में जो मल्टीनेशनल कंपनियां काम कर रही हैं उनके हेडक्वार्टर इन्हीं महानगरों में हैं जहां एसी कमरे में बैठ कर खून-पसीने से सींचे गये कृषि उत्पादों के दाम चढ़ाए और गिराए जाते हैं. इधर सरकार या प्रशासन का बाजार पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है जिससे किसान विवश होकर औने-पौने भाव में मक्का बेच रहे हैं.
बिचौलिया व मल्टीनेशनल कंपनियों से नुकसान
कोशी व पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल का बड़ा बाजार है गुलाबबाग जहां सीजन में तकरीबन 14 से 15 लाख टन मक्का का आवक हुआ करता है. गुलाबबाग में दो दर्जन से अधिक मल्टीनेशनल कंपनियां मक्का की खरीदारी करती हैं पर वे किसान वहां सीधे नहीं बेच सकते. किसानों से बिचौलिये कम दाम पर मक्का खरीदते हैं और कंपनियों को ऊंचे दाम पर बेचते हैं. इसमें कमीशन का खेल होता है और यही वजह है कि किसानों को दाम कम मिलते हैं.
हाल यह है कि एक तरफ सरकार किसानों को उनके पैदावार के डेढ़ गुना मुनाफा की बात कर रही है वही बाजार में सरकारी नियंत्रण के अभाव में किसानों का शोषण हो रहा है . जानकार बताते हैं कि मक्का का बाजार अभी और नीचे जाने के आसार बने हैं.

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