2017 में आयी भीषण बाढ़ के दौरान राहत के नाम पर हुआ भुगतान
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डगरुआ प्रखंड का है थानेदारों द्वारा घालमेल करने का मामला
2017 में आयी भीषण बाढ़ के दौरान राहत के नाम पर हुआ भुगतान एजेंसी की जगह थानेदारों के व्यक्तिगत नाम पर किया गया है चेक निर्गत पूर्णिया : जिले के तीन थानेदारों ने आपदा मद के 13 लाख रुपये डकार लिये. बिहार में पूर्णिया अकेला एेसा जिला है जहां थानेदार पहले अपनी जेब से बाढ़ […]
एजेंसी की जगह थानेदारों के व्यक्तिगत नाम पर किया गया है चेक निर्गत
पूर्णिया : जिले के तीन थानेदारों ने आपदा मद के 13 लाख रुपये डकार लिये. बिहार में पूर्णिया अकेला एेसा जिला है जहां थानेदार पहले अपनी जेब से बाढ़ राहत शिविर चलाते हैं और बाद में सरकारी भुगतान अपने ही नाम ले लेते हैं. वह भुगतान भी हजारों में नहीं लाखों में होता है. पूर्णिया पुलिस के इस कारनामे ने सबको चौंका दिया है.
आपदा मद में थानेदारों द्वारा घालमेल का यह वाकया जिले के डगरुआ प्रखंड का है, जहां पिछले साल आयी भीषण बाढ़ के दौरान लगाये गये राहत शिविर के एवज में चेक द्वारा रुपये का भुगतान किया गया था . उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक अगस्त 2017 में डगरुआ के आस पास के तीन थानेदारों ने पूर्णिया के तत्कालीन जिला पदाधिकारी को अलग-अलग आवेदन दिया कि डगरुआ प्रखंड क्षेत्र में आयी बाढ़ के कारण एनएच 31 से सटे दर्जनों राहत शिविरों में उनके द्वारा भोजन पैकेट का वितरण किया गया है. आवेदन में तीनों थानेदारों ने अलग-अलग एजेंसियों का बिल प्रस्तुत करते हुए क्रमश: 7 लाख 68 हजार, 3 लाख 20 हजार एवं 2 लाख 20 हजार कुल 13 लाख 08 हजार रुपये का भुगतान करने का अनुरोध किया.
थानेदारों के तीनों आवेदनों को डीएम ने जिला आपदा प्रबंधन को सौंप दिया. आपदा प्रबंधन ने इन आवेदनों को 15 सितंबर 2017 को डगरुआ के तत्कालीन अंचलाधिकारी को पत्र लिख कर संलग्न विपत्र के आलोक में नियमानुकूल कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
आपदा प्रबंधन के इस पत्र के आलोक में डगरुआ के अंचलाधिकारी ने 18 सितंबर को आपदा प्रबंधन प्रभारी को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि बाढ़ पीड़ितों को पैकेट के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराने के लिए अधोहस्ताक्षरी द्वारा किसी भी प्रकार का न तो आदेश निर्गत किया गया है और न ही इसकी कोई पूर्व सूचना है. कार्यादेश निर्गत करने वाले कार्यालय द्वारा ही भुगतान किया जाना श्रेयस्कर होगा. यह लिखते हुए अंचलाधिकारी ने थानेदारों के मूल अभिश्रव को वापस लौटा दिया. मजे की बात है कि पत्र वापसी के महज 24 घंटे बाद ही अंचलाधिकारी ने अपने ही पत्र के विपरीत तीनों थानेदारों के व्यक्तिगत नाम पर चेक निर्गत कर दिया.
अधिकारी बोले
मामला अभी तक संज्ञान में नहीं आया है. अगर एेसी कोई शिकायत आती है तो जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी.
अभिराम त्रिवेदी, प्रभारी आपदा प्रबंधन
प्रखंड प्रमुख ने उठाया सवाल
डगरुआ के प्रखंड प्रमुख रीतेश कुमार ने शनिवार को पूर्णिया आये सीएम को ज्ञापन सौंपा और उच्चस्तरीय जांच की मांग की. प्रमुख ने आपदा मद की राशि की बंदरबांट की आशंका जताते हुए सवाल खड़े किये. पत्र में कहा कि आपत्ति दर्ज कराने के 24 घंटे के बाद एेसी कौन सी परिस्थिति आयी कि सीओ ने राशि भुगतान कर दी. एेसे में तत्कालीन सीओ की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है. यह भी सवाल किया कि यदि चेक से भुगतान करना जरूरी था तो यह चेक थानेदारों के व्यक्तिगत नाम की बजाय संबंधित एजेंसी के नाम निर्गत होना चाहिए था. ज्ञापन में प्रमुख के अलावा एक हजार से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हैं.
पहले से विवादों में फंसे हैं तत्कालीन सीओ
डगरुआ प्रखंड के तत्कालीन सीओ उमेश सिंह पहले से विवादों में फंसते रहे हैं. 2017 में आयी बाढ़ के दौरान डगरुआ अंचल में संचालित सामुदायिक रसोई से संबंधित भुगतान में अनियमितता पायी गयी थी. इसकी जांच बायसी के सीओ की अध्यक्षता में गठित जांच टीम द्वारा करायी गयी थी. जांच प्रतिवेदन में मामला सही पाया गया. इस आलोक में तत्कालीन सीओ उमेश सिंह समेत तीन कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज है.
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