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राजनेताअों की सुरक्षा छतरी में छिप रहा बिट्टू सिंह

पूर्णिया : व्यवसायी गोली कांड का मुख्य आरोपी बिट्टू सिंह को न केवल पुलिस का संरक्षण है बल्कि राजनेताओं की सुरक्षा छतरी भी मिली हुई है. यही वजह है कि वह कानून की नजरों से हर बार बाहर निकलता रहा है. एेसा नहीं है कि पूर्णिया पुलिस ने पकड़ने के लिए कोई कसर छोड़ी हो. […]

पूर्णिया : व्यवसायी गोली कांड का मुख्य आरोपी बिट्टू सिंह को न केवल पुलिस का संरक्षण है बल्कि राजनेताओं की सुरक्षा छतरी भी मिली हुई है. यही वजह है कि वह कानून की नजरों से हर बार बाहर निकलता रहा है. एेसा नहीं है कि पूर्णिया पुलिस ने पकड़ने के लिए कोई कसर छोड़ी हो. लेकिन हर बार वह पुलिस के पहुंचने से पहले ही छूमंतर हो जाता है. यही वजह है कि शातिर बिट्टू अब पुलिस के लिए सर दर्द बनता जा रहा है. पूर्णिया पुलिस पिछले छह महीने से इसके पीछे पड़ी हुई है.

इस घटना से तीन महीना पूर्व 12 फरवरी को फोर्ड कंपनी स्थित न्यू पटना फर्नीचर के प्रोपराइटर से रंगदारी मांगे जाने व गोलीबारी की घटना के बाद एसपी के निर्देश पर जंबों विशेष पुलिस टीम गठित की गयी थी. इस दौरान तत्कालीन एएसपी सुशील कुमार के नेतृत्व में सरसी, चंदवा, तमघट्टी एवं शहर के चार पांच स्थानों पर लगातार छापेमारी की गयी. बावजूद इसके बिट्टू सिंह पुलिस के गिरफ्त में नहीं आ सका. स्थानीय प्रभात कॉलोनी एवं भागलपुर जिले के शहजादपुर में पुलिस छापेमारी से 10 मिनट पूर्व बिट्टू सिंह भागने में कामयाब रहा. बिट्टू सिंह के आत्मसमर्पण हेतु पुलिस ने दबाव बनाते हुए 21 मार्च को सरसी स्थित उसके घर की कुर्की जब्ती भी की गयी.

अमन को शातिर बताते हुए मामले को डाल दिया था डंडे बस्ते में : नवगछिया के अमन सिंह की हत्या करीब डेढ़ वर्ष पूर्व स्थानीय न्यू सिपाही टोला माता चौक के निकट हुई. इस हत्या में गिरफ्तार सरसी निवासी पुंकेश ने पुलिस के सामने सनसनीखेज खुलासा किया था. इसमें बिट्टू सिंह को पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाया गया लेकिन हत्या के बाद पुलिस ने कागजी कार्रवाई कर अमन को शातिर अपराधी बताते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
पुलिस की शिथिलता का फायदा उठाते हुए गत 08 जनवरी की संध्या बिट्टू सिंह ने बस स्टैंड में गोलीबारी की घटना को अंजाम देकर बस मालिकों की जहां नींद उड़ा दी वहीं रंगदारी का दबाव बढ़ा दिया. आलम यह रहा कि पटना जाने वाले करीब पांच दर्जन बसों के मालिकों द्वारा प्रतिदिन एक-एक सौ रुपया रंगदारी दिया जाने लगा.
इस तरह वह करीब दो लाख रुपये माहवारी वसूलने लगा. इसके बाद उसका मनोबल इतना बढ़ गया कि एक के बाद एक घटना को अंजाम देने लगा. इन वारदातों के बाद पुलिस हरकत में अायी और बिट्टू सिंह की गिरफ्तारी के लिए 15 सदस्यीय पुलिस की विशेष टीम गठित कर दी. मगर, बिट्टू को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही. पुलिस की गतिविधि कम होते ही एक बार फिर 23 अप्रैल की रात रंगदारी के बकाये रुपये को लेकर बिट्टू सिंह के गुर्गों ने व्यवसायी विनोद जायसवाल पर गोली चला दी. पुन: 14 सदस्यीय विशेष टीम गठित कर छापेमारी आरंभ की गयी है. इस घटना के 48 घंटा बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है.
व्यवसायी विनोद जायसवाल गोलीकांड के बाद एक बार फिर पुलिस की सक्रियता बढ़ी
अमन हत्याकांड व बस स्टैंड गोलीकांड की घटनाओं से नहीं लिया सबक
बिट्टू को पकड़ने के लिए पुलिस कोई कसर नहीं छोड़ रही
सादे लिबास में गली-गली खाक छान रही पुलिस
गठित पुलिस टीम इस बार वर्दी में छापेमारी न कर सादे लिबास में बिट्टू सिंह के मुहल्लों के गलियों में खोज रही है. बिट्टू सिंह की पूरी जानकारी इकट्ठा की जा रही है. देर रात होते ही निजी वाहन से संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. पुलिस उन ठिकानों पर भी छापेमारी कर रही है जहां उसके होने की सूचना मिल रही है.
बिट्टू के सहयोगियों पर भी नजर
बिट्टू सिंह के करीबी लोगों की पहचान कर सूची बनायी जा रही है. वह जिन लोगों से मिलता रहा है उसका भी पता लगाया जा रहा है. उसके सरसी, चंदवा एवं तमघट्टी गांव स्थित रिश्तेदारों पर पुलिस की नजर है. यहां तक कि नौगछिया के भ्रमणपुर गांव में भी पुलिस छापेमारी की योजना बना रही है. बिट्टू की बाबत जहां-जहां से भी सुराग मिल रहा है, छापेमारी की जा रही है.

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