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नाम है विकास बाजार, पर पेशाब लगने पर लगानी पड़ती है दौड़

इस बाजार में सबसे बड़ी समस्या शौचालय व यूरिनल की है. पुरुष तो कहीं काम चला लेते हैं मगर महिलाओं को काफी परेशानी होती है. पूर्णिया : शहर के दक्षिणी छोर पर सार्वजनिक बस स्टैंड के सामने अवस्थित विकास बाजार की सेहत अच्छी नहीं है. मानव जनित सुविधाओं का यहां टोटा है. यहां शौचालय व […]

इस बाजार में सबसे बड़ी समस्या शौचालय व यूरिनल की है. पुरुष तो कहीं काम चला लेते हैं मगर महिलाओं को काफी परेशानी होती है.

पूर्णिया : शहर के दक्षिणी छोर पर सार्वजनिक बस स्टैंड के सामने अवस्थित विकास बाजार की सेहत अच्छी नहीं है. मानव जनित सुविधाओं का यहां टोटा है. यहां शौचालय व यूरिनल के लिए लोग दौड़ लगाते रह जाते हैं
लेकिन कहीं जगह नहीं मिलती है. विडंबना यह है कि इस दंश को हर आने-जाने वाले एवं स्थानीय दुकानदार पिछले 20वर्षों से झेल रहे हैं. दरअसल पिछले दो दशक से इस बाजार के शौचालय बंद पड़े हुए हैं. जिम्मेदारों को इस बात की कोई फिक्र नहीं है. यह अलग बात है कि यह बाजार राजस्व विभाग का है और उसका टैक्स भी वहीं जमा होता है. स्थानीय दुकानदारों ने कई बार इसकी मांग प्रशासन के समक्ष रखा है लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुई.
जब किसी ने यहां के लोगों की समस्या नहीं सुनी तो स्थानीय दुकानदार अपने को असहाय समझने लगे. अब तो पीड़ित दुकानदार कुछ भी नहीं बोलना चाहते हैं. विकास बाजार व्यावसायिक संगठन समिति के लोगों ने बताया कि इस बाजार में सबसे बड़ी समस्या शौचालय एवं यूरिनल की है. पुरुष तो कहीं काम चला लेते हैं मगर महिलाओं को काफी परेशानी होती है. इसके अलावा यहां पेयजल और साफ-सफाई का भी अभाव है.
विकास बाजार में फेल है सफाई अभियान : एक घर के लिए एक शौचालय को अब हर घर में सरकार ने ही जरूरी बता दिया है. पूरे गांव को ओडीएफ किया जा रहा है. इसमें पूरी ताकत लगा दी गयी है. इस योजना को पूरे बिहार में लागू करना है .मगर विकास बाजार में यह योजना फेल नजर आ रही है. चिंता की बात यह है कि विकास बाजार को भगवान भरोसे छोड़ दिया है.
कहते हैं डीएम
डीएम प्रदीप कुमार झा ने कहा कि विकास बाजार में सामुदायिक शौचालय बनवाया जायेगा. इस बाजार के सौंदर्यीकरण पर भी विचार किया जा रहा है.
क्या है शौचालय का विकल्प
यहां के लोग जरूरत पड़ने पर शौचालय खोजते हुए बस स्टैंड चले जाते हैं. वहां एक निश्चित राशि भुगतान कर ही शौचालय का प्रयोग करते हैं. उसके लिए लोगों को अपना सारा सामान बाजार में ही छोड़कर जाना पड़ता है. दूसरी ओर यहां के दुकानदारों ने एक दीवार के सहारे दो बेसिन लगाकर काम चलाउ यूरिनल बना दिया है जिससे पुरुषों का तो काम चल जाता है लेकिन महिलाओं के लिए यह समुचित नहीं है.

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