समस्या. वार्ड पार्षदों के उदासीन रवैये से परेशान हैं मुहल्ले के लोग
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चलने लायक नहीं हैं निगम की सड़कें
समस्या. वार्ड पार्षदों के उदासीन रवैये से परेशान हैं मुहल्ले के लोग पूर्णिया शहर को नगर निगम का दर्जा मिले पांच साल से अधिक हो गया लेकिन हालात आज भी नहीं सुधरे हैं. कई वार्डों की अंदरूनी सड़कें आज भी कच्ची हैं, जहां बरसात में घुटने भर पानी लग जाती है. पूर्णिया : नगर निगम […]
पूर्णिया शहर को नगर निगम का दर्जा मिले पांच साल से अधिक हो गया लेकिन हालात आज भी नहीं सुधरे हैं. कई वार्डों की अंदरूनी सड़कें आज भी कच्ची हैं, जहां बरसात में घुटने भर पानी लग जाती है.
पूर्णिया : नगर निगम की कुछ सड़कों को छोड़कर अधिकांश सड़कों का कबाड़ा निकला हुआ है. पुराने वार्डों के पुराने रोड अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं तो नये वार्डों के अधिकांश रोड आज भी कच्ची हैं और यतीम की तरह लग रहे हैं. ज्ञात हो कि पूर्णिया शहर को नगर निगम का दर्जा मिले पांच साल से अधिक हो गये. हालात आज भी नहीं सुधरे हैं. कई वार्डों की अंदरूनी सड़कें आज भी कच्ची हैं. बरसात में घुटने भर पानी लग जाती है. ऐसा नहीं कि इसकी मरम्मत के लिए विभाग के पास फंड नहीं है. पारदर्शिता के अभाव में पूरे शहर की सड़क की व्यवस्था गड़बड़ है. नगर निगम ने सड़क निर्माण के लिए प्रति वार्ड लगभग 50 लाख रुपया का आवंटन कर दिया.
आवंटन में जरूरतों को कोई तवज्जो नहीं मिली. जहां सड़क नहीं हैं वहां राशि और कार्य किये जाने की जरूरत थी. सारी ताकत वहां लगनी थी. जनता की समस्याओं का कोई ख्याल नहीं बल्कि वार्ड पार्षदों को खुश रखने के लिए वार्डवार राशि दे दी गयी है.
क्यों नहीं बनी सड़कें
वार्ड नंबर 16 में ऐसी चौक है जहां सालों भर पानी रहता है. यहां के हालात स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं विधायक की अनदेखी भी एक कारण बना हुआ है. नगर निगम के पास तो कोई फंडा ही नहीं है. यह करीब आधा किलोमीटर है. इस रास्ते बच्चों का स्कूल जाना कठिन है. वार्ड नंबर 14 के प्रोफेसर कालोनी में सड़क आज भी सोलिंग ही है. कई सड़कों का कबाड़ा निकला हुआ है. अधिकांश सड़कें आज भी आधी-अधूरी अथवा कच्ची है. सड़क आज भी उद्धारक का इंतजार कर रही है.
वार्ड नंबर 20 में नवरतन मुहल्ले में सदर एसडीओ के आवास के पीछे वाले रास्ते का अति पुरानी रोड काफी जर्जर है मगर उसे कोई भी देखने वाला नहीं है. इस रोड की दुर्गति के लिए अधिकारी एवं नगर निगम एक साथ जिम्मेदार है. वार्ड 19 की शाहवान टोला की सड़क आज भी कच्ची है. यह नगर निगम की व्यवस्था पर तमाचा नहीं तो क्या है? नगर निगम के पास ऐसी कोई योजना नहीं है, जिसमें आमजन से जुड़ी समस्याओं एवं सुविधाओं का सर्वे हो और उस पर काम हो.
आॅटो मोबाइल का हब है पूर्णिया
बिहार के मानचित्र पर पूर्णिया की अलग पहचान है. लेकिन अंदरूनी सड़कों का हाल बुरा है. स्वास्थ्य एवं ऑटो मोबाइल के लिए यह शहर पिछले कई दशकों से हब बना हुआ है. अब तो पूर्णिया शिक्षा के भी क्षेत्र में हब बन गया है. यहां एक तरफ मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बात चल रही है तो यूनिवर्सिटी भी बनाये जाने की कवायद चल रही है. जब-जब उच्च अधिकारी एवं बड़े जनप्रतिनिधि आते हैं, तो सड़क बनाने का निर्देश देते हैं. हर बार संबंधित विभाग सड़क निर्माण के लिए टास्क लेता है मगर कभी भी अमल नहीं होती. खासकर नगर निगम जनता की भावना से कोई मतलब नहीं रखता. वहां कभी भी नगर निगम क्षेत्र के लोगों के हित के लिए नहीं सोचा जाता. मनमाना तरीके से सारा कारोबार होता है. वार्ड नंबर 16 में एक ऐसी सड़क है जहां सालों भर पानी जमा रहता है. स्थानीय लोगों की शिकायत भी नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित होकर रह गयी है. नगर निगम के पास ऐसा कोई टीम नहीं जो नगर वासियों की समस्या पर गौर करे. उधर पूर्णिया के वार्ड नंबर 14 के अंतर्गत एक सड़क का वर्षों से कबाड़ा निकला हुआ है. उसे भी देखने वाला कोई नहीं है.
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