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10 माह में अब तक डेंगू के मिले 14 मरीज

नागेश्वर कर्ण पूर्णिया : जिले में दस महीने के अंदर 14 डेंगू मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है. डेंगू से पीड़ित सभी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के निगरानी में रखा गया है. संसाधनों के अभाव के बावजूद इन मरीजों पर विभाग की कड़ी नजर है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार […]

नागेश्वर कर्ण
पूर्णिया : जिले में दस महीने के अंदर 14 डेंगू मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है. डेंगू से पीड़ित सभी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के निगरानी में रखा गया है. संसाधनों के अभाव के बावजूद इन मरीजों पर विभाग की कड़ी नजर है.
वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार जिले के सभी प्रखंड और पंचायतों में मॉनिटरिंग कर रही है और डेंगू पीड़ितों का पहचान करने का काम जारी है.
विभाग के अनुसार चालू वर्ष में अब तक डेंगू से आक्रांत मरीजों की संख्या बढ़ कर 14 हो गयी है. इनमें सबसे अधिकांश डेंगू के मरीज देश के महानगरों एवं शहरों से पूर्णिया पहुंचते हैं. स्थिति यह है कि डेंगू पीड़ितों की संख्या और भी बढ़ने का आशंका जताया जा रहा है. वजह यह है कि जिले के अधिकांश लोग अन्य महानगरों में रोजगार कर रहे हैं और इन बड़े शहरों में इन दिनों डेंगू का प्रकोप बढ़ा हुआ है. जब यह लोग डेंगू से बीमार पड़ जाते हैं तो अपने घर वापस हो जाते हैं.
अब तक कितने लोग बाहर शहरों से घर लौटे हैं और इनमें कितने लोग डेंगू से प्रभावित हैं. यह स्वास्थ्य विभाग के लिए पता लगाना मुश्किल हो गया है. इसलिए कि दो माह के अंदर 14 डेंगू मरीज मिलना वास्तव में यह चिंताजनक बात है. ऐसे नहीं है कि सभी मरीज बाहर से ही डेंगू लेकर आये हैं. इनमें कई ऐसे मरीज भी हैं जो बाहर नहीं गया है और वह अपने घर में ही डेंगू से पीड़ित हो गया है. जिले में भी डेंगू का प्रकोप है इसको नकारा नहीं जा सकता. वैसे अब तक स्वास्थ्य विभाग जिले में डेंगू पर काबू पाने से नाकाम ही साबित हो रहा है.
डेंगू जांच में संसाधनों का घोर अभाव : डेंगू एक प्राणघातक रोग है. समय पर उचित जांच और इलाज नहीं होने पर मरीज की मौत हो सकती है.
डेंगू के लिहाज से भले ही सीमांचल सॉफ्ट टारगेट हो रहा है, ठीक इसके विपरीत सीमांचल के किसी भी अस्पताल में इस गंभीर रोग से मुकाबले की मुक्कमल व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पताल में डेंगू के लिए संक्रामक रोग वार्ड बनाया गया है जो सिर्फ एक कमरे का है. इसमें चार बेड की व्यवस्था की गयी है. कमरे का खिड़की का सीसा भी टूटा हुआ है. जहां आसानी से मच्छरों का प्रवेश होता है. इन दिनों वार्ड के चारों तरफ सफाई का व्यवस्था किया गया है लेकिन यह सफाई और मरीजों के ठहरने के स्थान में मुकम्मल व्यवस्था नहीं है.
इसे सिर्फ कामचलाऊ व्यवस्था कहा जा सकता है. यहां तक कि डेंगू प्रभावित मरीजों को प्लेटलेट की संख्या घटने पर प्लेटलेट देने की आवश्यकता होती है. इससे बड़ी चिंता की बात यह है कि सदर अस्पताल में प्लेटलेटस की व्यवस्था नहीं है. स्थानीय रेडक्रॉस सोसाइटी में ब्लड सेपेरेटर लगाने की योजना कई वर्षों से लंबित पड़ी हुई है. रेडक्रॉस के इस ढुलमुल रवैये से डेंगू मरीजों की जान हमेशा सांसत में रहती है. ऐसे में यहां के मरीजों को पटना रेफर कर दिया जाता है या फिर मरीज प्राइवेट क्लिनिक और दलालों के शिकार बन जाता है.
डेंगू एडिज एजिब्टी मादा मच्छर के काटने से होता है. डॉक्टरों के अनुसार मरीज में अचानक प्लाज्मा लिकेज होने से समस्या हो सकती है. इसलिए ज्यादा खतरे वाले मरीजों की जांच शुरुआत से ही होनी चाहिए. सबसे ज्यादा खतरा बीमारी के तीसरे से सातवें दिन होता है. यह बुखार के कम होने से जुड़ा हुआ होता है. प्लाज्मा लीकेज का पता बुखार खत्म होने के प्रथम 24 घंटे और बाद के 24 घंटे में चल जाता है.
ऐसे में पेट में दर्द, लगातार उल्टियां, बुखार से अचानक हाइपोथर्मिया हो जाना या असामान्य मानसिक स्तर जैसे कि मानसिक भटकाव वाले लक्षण देखे जाते हैं. इसमें हेमेटोक्रिट में वृद्धि हो जाती है, जो इस बात का संकेत होता है कि प्लाज्मा लिकेज हो चुका है और शरीर में तरल की मात्रा दोबारा सामान्य स्तर पर लाना बेहद जरूरी हो गया है.
दूसरे राज्यों से आते हैं मरीज, विभाग क्रियाशील
डेंगू के अधिकांश मरीज अन्य प्रदेशों से आते हैं. जिले में डेंगू पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग क्रियाशील है. सदर अस्पताल में डेंगू प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए मुकम्मल व्यवस्था है.
डा एम एम वसीम, सिविल सर्जन पूर्णिया

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