पूर्णिया. मिर्ची व्यवसायी राजू खान हत्या प्रकरण से जुड़े दो अहम गवाहों का शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में 164 के तहत बयान कलमबद्ध हुआ. कांड के अनुसंधानकर्ता अवर निरीक्षक फिरोज आलम दोनों गवाहों के साथ कोर्ट में मौजूद थे. गवाहों में मृतक राजू का व्यावसायिक पार्टनर मो आफताब आलम एवं मृतका का छोटा भाई मो कलीम उर्फ रिंकू भी मौजूद था. गौरतलब है कि आफताब और मो कलीम राजू खान हत्याकांड का चश्मदीद गवाह है.
इस मामले में सदर एसडीपीओ राजकुमार साह ने बताया कि गवाहों के बयान के साथ पुलिस का अनुसंधान जारी है. साक्ष्य संकलन के अलावा वैज्ञानिक अनुसंधान भी चल रहा है. एसडीपीओ ने बताया कि चूंकि हत्या का मामला रहने की वजह से पुलिस सही अपराधी की तलाश कर रही है. इस बिंदू पर भी जांच की जा रही है कि विलास चौधरी एवं राजू खान के बीच के विवाद में कहीं तीसरे शख्स ने तो फायदा नहीं उठा लिया है. ताकि खुश्कीबाग हाट में चल रहे अवैध धंधे में एकछत्र राज स्थापित किया जा सके. इसके अलावा राजू खान के धंधे से जुड़े क्रियाकलापों की भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
खुश्कीबाग हाट के अवैध कारोबार से जुड़ा है मामला : पुलिस इस बात से इनकार नहीं कर रही है कि राजू खान की हत्या खुश्कीबाग हाट में चल रहे अवैध धंधे की वजह से हुई है. हाट के अंदर वर्षों से संचालित लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी के कारोबारियों की जानकारी इकट्ठा की जा रही है. राजू खान की हत्या के बाद जो लोग फरार हो गये हैं, उनकी गतिविधि पर पुलिस की पैनी नजर है. जानकार बताते हैं कि इस मामले से जुड़े लगभग डेढ़ दर्जन संदिग्धों के मोबाइल कॉल डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं. वहीं पुलिस राजू खान पर गोली चलाने वाले शूटर के करीब पहुंच चुकी है और सूत्र बतलाते हैं कि ठोस साक्ष्य मिलने के बाद उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित है. हालांकि मृतक के परिजन विलास चौधरी के भाई वीरेंद्र चौधरी के ही शूटर होने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में गवाहों के बयान और पुलिस अनुसंधान की रिपोर्ट में अंतर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.