दुर्गा पूजा. राजा-रजवाड़े की याद दिलाता है सिटी का राजावाड़ी दुर्गा मंदिर
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मंदिर से जुड़ी कहानियां शहर में हैं चर्चित
दुर्गा पूजा. राजा-रजवाड़े की याद दिलाता है सिटी का राजावाड़ी दुर्गा मंदिर पूर्णिया : मंदिरों के शहर पूर्णिया सिटी का नवरतन चौक स्थित राजावाड़ी दुर्गा मंदिर इस वर्ष अपना 111 साल पूरा कर लिया है. इस मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं है. यहां सालों भर पिंड की पूजा होती है. केवल नवरात्र के समय ही […]
पूर्णिया : मंदिरों के शहर पूर्णिया सिटी का नवरतन चौक स्थित राजावाड़ी दुर्गा मंदिर इस वर्ष अपना 111 साल पूरा कर लिया है. इस मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं है. यहां सालों भर पिंड की पूजा होती है. केवल नवरात्र के समय ही इस मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा होती है. मंदिर से जुड़ी कई कहानियां आज भी शहर में चर्चित हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार दैवीय शक्ति से परिपूर्ण इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से आता है उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं. वर्ष 1992 में सिटी में हुई भीषण अगलगी को मां दुर्गा की चेतावनी के रूप आज भी लोग देखते हैं. कहा जाता है कि उस वर्ष राजा साहब के परिजनों द्वारा नवरात्र की पूजा मंदिर में नहीं किये जाने की वजह से यह घटना हुई थी.
वर्ष 1906 में स्थापित हुआ था मंदिर. वर्ष 1906 में स्थापित राजावाड़ी मंदिर की स्थापना तब के राजा पीसी लाल के द्वारा करवाया गया था. उस समय पूर्णिया सिटी में भव्य मेला का आयोजन भी होता था. राजा पीसी लाल के परिवार से जुड़े जानकारों की मानें, तो मंदिर की स्थापना के समय ब्रिटिश सरकार के कई नुमाइंदे भी राजा साहब के इस मंदिर में मां के दरबार में मन्नतें मांगने आते थे. हालांकि अब न तो राजा का परिवार रहा है और न ही वह बात ही रही है. बावजूद यहां अनवरत पूजा-पाठ जारी है.
पहले होता था मेला का आयोजन. सिटी स्थित राजा पीसी लाल के रिश्तेदार दीनानाथ चौधरी व राजेश जायसवाल के अनुसार मंदिर की स्थापना राजा पीसी लाल द्वारा किये जाने के साथ यहां सिटी में मेले का भव्य आयोजन भी होता था. दूर-दराज से लोग यहां मेला देखने के लिए आते थे. जैसे-जैसे समय बीता, राज-रजवाड़ा खत्म हुआ, सिटी का मेला गुलाबबाग में स्थानांतरित हो गया. पर, मंदिर में मां के पिंड की पूजा अनवरत जारी है. कहा जाता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मन की मुरादें जरूर पूरी होती हैं.
यहां वर्ष 1992 में हुआ था भीषण अग्नि कांड. जानकार बताते है कि वर्ष 1992 में राजा पीसी लाल के सुपुत्र के द्वारा उक्त मंदिर में पूजा नही किये जाने के बाद भयंकर अगलगी की घटना सिटी में हुई थी. इस हादसे में संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था. कई भक्तों को मां का स्वप्न भी आया था. जिसमें कहा गया था कि पूजा नहीं करने की वजह से इस तरह की घटना हुई है. जिसके बाद 1993 में सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के नाम से स्थानीय लोगो ने एक कमेटी का गठन कर पूजा प्रारम्भ की जो लगातार जारी है.
111 वर्ष का कमेटी माना रहा है जश्न . सिटी राजावाड़ी मंदिर में इस वर्ष सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति ने मंदिर के 111 वर्ष पूरे होने पर विशेष आयोजन किया है. सनातन धर्म के अनुसार विधिवत पूजा पाठ के साथ भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरण का विशेष आयोजन किया गया है. खास बात यह है कि मंदिर के कोर-कमेटी में सभी युवा चेहरे हैं. इनके द्वारा श्रद्धालुओं में स्वच्छता और दहेज के विरुद्ध जागरूकता भी फैलायी जा रही है.
दहेज और बाल विवाह के खिलाफ लिया संकल्प
पूजा कमेटी के सदस्यों ने कुछ अलग करने के उद्देश्य से सामाजिक सरोकार से भी खुद को जोड़ने का संकल्प गुरुवार को लिया. कमेटी में शामिल सभी 35 कोर कमेटी के सदस्यों ने गुरुवार को नवरात्र के अष्टमी को मां दुर्गा के समक्ष मंदिर के 111 वर्ष के पूरे होने के जश्न पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में खुले मंच से यह ऐलान भी कर दिया कि सरकार के बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध अभियान में वे सशक्त भागीदारी निभायेंगे. इसके अलावा उन्होंने खुद भी दहेज नहीं लेने और नहीं देने का संकल्प लिया. इस मौके पर स्वच्छता अभियान से भी जुड़ने का संकल्प लिया गया.
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