पूर्णिया : हिंदी दिवस के अवसर पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में सेमिनार आयोजित किया गया. प्राचार्य राजेश कुमार ने कहा कि भारत की मातृभाषा होने के बाद भी बोल-चाल की भाषा में हिंदी का पतन होता जा रहा है. हिंदी चीख कर कह रही है कि संविधान में मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है फिर भी हमें लोग अपनी जुबान पर लाने में डरते हैं. वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था.
इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी बताया था. भारत देश में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है. राष्ट्रीय सेवा योजना पदाधिकारी डा पंकज कुमार यादव ने छात्रों को बताया कि समूचे देश के विकास के लिए हिंदी प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि भारत की स्वतंत्रता के पश्चात 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया था कि हिंदी खड़ी बोली भारत की राजभाषा होगी.
संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में हमें हिंदी को अपनाना चाहिए इस प्रकार लम्बी बहस के बाद भारत संघ की भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी स्वीकार की गयी. इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिक डा जे एन श्रीवास्तव, डा जनार्दन प्रसाद, डॉ0 पंकज कुमार यादव, डा दिलीप कुमार, डा रवि केसरी, श्रीमती अनुपम कुमारी, ई मोहन कुमार सिन्हा, जय प्रकाश प्रसाद, डॉ तपन गोराई एवं एवं कर्मचारियों में उमेश कुमार, गिरीश कुमार दास, नवीन लकड़ा उपस्थित थे. इस अवसर पर छात्रों में मयंक सिन्हा, मृणाल, सूरज, अभिनव, शशि रंजन, गौरव, चंद्रभानू, विजय, शिवराज, अमरजीत सुधांशु अभिषेक, राहुल, दीपक एव छात्राओं में ज्योत्सना जागृति, श्रेया सिंह, शिवांगी, मनीषा, अनुपम, मोनिका आदि ने उत्साह पूर्वक भाग लिया.