पूर्णिया कोर्ट : वरीय अधिवक्ता सारंगधर सिंह तथा उनकी गृहिणी पत्नी कमला देवी की आग से जला कर मार डालने के मामले में अभियुक्त बनाये गये उसके पुत्र सौरभ कुमार शर्मा उर्फ मुकुल शर्मा तथा पतोहू सोनी देवी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण गोपाल द्विवेदी ने भारतीय दंड विधान की धारा 436 (आग लगा […]
पूर्णिया कोर्ट : वरीय अधिवक्ता सारंगधर सिंह तथा उनकी गृहिणी पत्नी कमला देवी की आग से जला कर मार डालने के मामले में अभियुक्त बनाये गये उसके पुत्र सौरभ कुमार शर्मा उर्फ मुकुल शर्मा तथा पतोहू सोनी देवी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण गोपाल द्विवेदी ने भारतीय दंड विधान की धारा 436 (आग लगा कर घर में जलाने) में आजीवन कारावास तथा 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
वहीं भारतीय दंड विधान की धारा 302(हत्या करना) में उम्रकैद के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. मामला एक वर्ष पुराना है, जिसके लिए बनमनखी थाना कांड संख्या 188/16 दर्ज करवाया गया था. इसकी सूचक कमला देवी थी, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. न्यायालय में मामला सत्रवाद संख्या 16/17 के तहत विचारित हुआ.
घटना में अधिवक्ता की मृत्यु तो तत्काल हो गयी थी, पर उनकी पत्नी आधा से ज्यादा जल गयी थी तथा उसका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा था, जहां उसने तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजकुमार प्रभाकर के समक्ष बयान दर्ज करवाते हुए कहा था कि उन
माता-पिता को…
लोगों को मारने के उद्देश्य से उसके कमरे में उनके पुत्र सौरभ कुमार शर्मा तथा सोनी देवी ने आग लगायी थी. घटना 22 नवंबर 2016 के मध्य रात्रि के बाद करीब 01:30 बजे घटी थी. उनका छोटा लड़का सौरभ और पुत्रवधू सोनी देवी अन्य दो व्यक्ति के साथ घर पर आये और गाली-गलौज करने लगे तथा जान मारने की नियत से उनके घर में आग लगा दी. इससे तत्काल ही सारंगधर सिंह जल कर मार गये, जबकि तथा कांड की सूचिका आधा से ज्यादा जल जाने के कारण सदर अस्पताल में इलाज के लिए लायी गयी. वहां उसकी स्थिति खराब होते देख बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच भेज दिया गया. इलाज के दौरान 25 नवंबर को उसकी मौत हो गयी.
उसने अस्पताल के बर्न वार्ड में पुलिस के समक्ष बयान दिया था कि उसके दो लड़के क्रमश: संजय कुमार शर्मा तथा सौरभ कुमार शर्मा के बीच पूर्णिया स्थित जमीन तथा मकान को लेकर बराबर तकरार होता रहता है. उनके पति दोनों भाई के बीच सुलह का प्रयास करते आ रहे थे. लेकिन सौरभ जमीन व मकान नहीं छोड़ना चाहता था, जबकि बड़ा लड़का संजय कुमार शर्मा पत्नी सहित पटना में रह कर दवा कंपनी में काम करता था, जो माता-पिता का भी देखभाल करता था. छोटा लड़के ने अपने माता-पिता को पूर्णिया स्थित घर से भगा दिया था, जिस कारण अधिवक्ता तथा उनकी पत्नी बनमनखी के महादेवपुर में ही रहने लगे थे. उनका छोटा लड़का व उसकी पत्नी बराबर वहां आकर जमीन रजिस्ट्री करने का दबाव देते थे. मामले में बचाव पक्ष से अजय कुमार पाठक ने अभियुक्तों का बचाव करते हुए अपना तर्क दिया, जिसके विरुद्ध सरकार की तरफ से लोक अभियोजक महाराणा प्रताप सिंह ने जोरदार विरोध किया एवं मामले में अंतत: न्यायालय ने सजा सुनाते हुए यह भी कहा कि सौरभ शर्मा की सजा में सरकार कोई भी काम नहीं कर सकेगी.