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डॉक्टर साहब दरभंगा में, बोर्ड लगा पूर्णिया में

पूर्णिया : डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. लोगों ने भगवान या अल्लाह को नहीं देखा है, लेकिन डॉक्टर रूपी भगवान से रूबरू मिलते हैं. शहर में करीब 1300 डॉक्टर हैं, जिसमें अधिकतर डॉक्टर मरीज के स्वस्थ होने की कामना करते हैं और लोगों को बेहतर सेवा भी प्रदान करते हैं. वहीं शहर […]

पूर्णिया : डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. लोगों ने भगवान या अल्लाह को नहीं देखा है, लेकिन डॉक्टर रूपी भगवान से रूबरू मिलते हैं. शहर में करीब 1300 डॉक्टर हैं, जिसमें अधिकतर डॉक्टर मरीज के स्वस्थ होने की कामना करते हैं और लोगों को बेहतर सेवा भी प्रदान करते हैं. वहीं शहर में डॉक्टरों के अनगिनत बोर्ड भी लगे हैं, जो लोगों के समझ से बाहर है. खासकर लाइन बाजार में तो डॉक्टरों का आंकड़ा निकालना बहुत ही कठिन है.

शहर में कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो खुद रहते हैं दरभंगा, पटना, दिल्ली, कोलकाता और अन्य बड़े शहरों में और वहीं प्रैक्टिस भी करते हैं, लेकिन वैसे नामचीन डॉक्टरों का बोर्ड पूर्णिया में भी लगा हुआ है. शायद ही ऐसे कोई डॉक्टर हैं, जो कभी-कभार पूर्णिया आते होंगे. ऐसे मशहूर डॉक्टरों के बोर्ड के पीछे की कहानी कुछ और चल रही है. क्लिनिक के अंदर कोई और डॉक्टर बैठे रहते हैं. मरीज व उनके परिजनों को यह पता नहीं है कि बोर्ड के पीछे बैठे व्यक्ति डॉक्टर हैं या नहीं.
यह कारोबार शहर में धड़ल्ले से चल रहा है. अब तक तो सिर्फ मानकविहीन पैथोलॉजी का मामला सामने आया था, लेकिन अब मानकविहीन डॉक्टर के क्लिनिक का मामला सामने आने लगा है. ऐसे बहुरूपिया और फर्जी डॉक्टर के कारण स्वास्थ्य सेवा बदनाम हो रही है. ऐसे डॉक्टर कम समय में अधिक कमाने के चक्कर में आम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग को यह सब पता नहीं है. लेकिन सब कुछ मालूम होकर भी अनजान होकर बैठा हुआ है. ऐसे क्लिनिकों पर जल्द से जल्द रोक लगाने की आवश्यकता है.
आइएमए में मात्र 275 डॉक्टर हैं सदस्य : शहर में डॉक्टरों का आइएमए संगठन भी है. जो लोग वास्तव में डॉक्टर है और कम से कम एमबीबीएस डिग्री धारक है, वे आइएमए के सदस्य बने हुए हैं. शहर में कुल 1300 डॉक्टरों के क्लिनिक हैं, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि मात्र 275 डॉक्टर ही आइएमए के सदस्य हैं. साथ ही जिन लोगों पर कानूनी कार्रवाई हुई है, वो लोग अब तक आइएमए का सदस्यता धारण नहीं कर पाये हैं. लेकिन डॉक्टर बन कर क्लिनिक चला रहे हैं और भोले-भाले लोगों को आर्थिक शोषण करने के साथ जीवन से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है.
आइएमए में अब तक कुल 275 डॉक्टर मात्र सदस्य हैं. सदस्यता के लिए न्यूनतम योग्यता एमबीबीएस डिग्री निर्धारित है. जो लोग पूर्व में फर्जी डिग्री के मामले में जेल गये हैं, वो लोग आइएमए के सदस्य नहीं हैं.
डा संजीव कुमार, सचिव, आइएमए, पूर्णिया
जेल से निकले फर्जी डॉक्टर फिर से चलाने लगे हैं क्लिनिक
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अनदेखी की वजह से लाइन बाजार में फिर से दागी और फर्जी डॉक्टर क्लिनिक चला रहे हैं. इन दागी डॉक्टरों को रोक-टोक करने वाला कोई नहीं है. गौरतलब है कि वर्ष 2011 में लाइन बाजार में संचालित डॉक्टरों के क्लिनिक पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा छापेमारी हुई थी. इसमें 14 डॉक्टरों के क्लिनिक को सील कर करीब आधा दर्जन फर्जी डॉक्टर को जेल भी भेजा गया था और बांकी डॉक्टर अब तक फरार है. जेल गये फर्जी डॉक्टरों ने कानून का दांव-पेच कर बेल करा कर जेल से बाहर आ गये हैं. बिना डिग्री के वही फर्जी डॉक्टर अब लाइन बाजार में फिर से अपनी मौत की दुकान चलानी शुरू कर दी है.
इसमें चार फर्जी डॉक्टरों को प्रभात खबर की टीम ने अब तक चिह्नित किया है. खास बात यह है कि यह लोग अपने पुराने क्लिनिक या उसके सामने का रूम में क्लिनिक चला रहे हैं. कई फर्जी डॉक्टर बिना बोर्ड के ही क्लिनिक चला रहे हैं. यह सब स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के नाकों के बीच हो रहा है, लेकिन इन विभागों के कान तक जूं तक नहीं पड़ती. कहा जाये तो इन दागी डॉक्टरों का क्लिनिक दलाल और विभाग के रहमोकरम पर चल रहा है. यहां तक कि इन दागी डॉक्टरों के द्वारा महिला का प्रसव भी कराया जाता है और जरूरत पड़ने पर ऑपरेशन भी किया जाता है. इन फर्जी डॉक्टरों का हरकत देख कर बड़े-बड़े डॉक्टर भौंचक रह गये हैं.

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