पूर्णिया : अब तो सबको पता हो गया है कि लाइन बाजार में 500 के करीब पैथोलॉजी संचालित हैं. इसमें 70 की संख्या में पैथोलॉजी संचालकों के पास डिग्री है और 30 पैथोलॉजी स्वास्थ्य विभाग में निबंधित है. स्वास्थ्य विभाग ने समय-समय पर अवैध रूप से संचालित पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर छापेमारी भी किया है.
अल्ट्रासाउंड सेंटरों की मानें तो यह करीब 63 की संख्या में संचालित है. कई ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं, जो डॉक्टर की जगह कर्मचारी ही अल्ट्रासाउंड करते हैं. विभाग द्वारा हर बार 50 की संख्या में पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर छापेमारी कर जांच के नाम पर कागजात मांगा जाता है और फिर मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाता है. यहां तक कि विभाग द्वारा एक ही पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर बार-बार छापेमारी की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि विभाग के अधिकारियों द्वारा पहले बोर्ड वाले पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड का लिस्ट बनाया जाता है. जबकि छापेमारी और जांच के दायरे में अन्य सेंटर भी आते हैं.
लेकिन विभाग के पास चिन्हित किया हुआ सेंटर है, जिसे टारगेट बनाया गया है. गौरतलब है कि वर्ष 2006, 2011, 2014 और 2017 के जनवरी में जिन पैथोलॉजी एवं अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर छापेमारी हुई थी, उसमें लाइन बाजार मेन रोड स्थित बंगाल पैथोलॉजी और पटना एक्सरे एवं इमेजिंग सेंटर शामिल है. ऐसे कई सेंटर शुरू से ही जांच के लिस्ट में शामिल होते आ रहे हैं. इन सेंटरों से जांच अधिकारी द्वारा हर बार कागजात की मांग की जाती है और सेंटर द्वारा कागजात देने पर उसे बरी कर दी जाती है. इनका कसूर सिर्फ यह है कि इन सेंटरों के संचालक के पास डिग्री है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में निबंधित नहीं है. लेकिन विभाग के पास जांच के दौरान सेंटरों को बरी करने का रिकॉर्ड जरूर है. यहां तक कि जो सेंटर स्वास्थ्य विभाग में निबंधित है, वह भी बार-बार जांच के दायरे में आ रहे हैं. निबंधित सेंटरों से हर बार जवाब-तलब किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली को देख जिला पदाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने एक सप्ताह पूर्व अपने देखरेख में 44 पैथोलॉजी सेंटरों पर छापेमारी करवायी थी, जिसमें 22 सेंटरों को मंगलवार तक डिग्री एवं सेंटर का कागजात पेश करने के लिए नोटिस जारी किया गया है. जिससे पैथोलॉजी संचालकों में हड़कंप मच गया है.